Breaking News
Home / Uncategorized / राम व्यापक तो हैं, पर अलग-अलग स्वरूपों

राम व्यापक तो हैं, पर अलग-अलग स्वरूपों

girish ji

गिरीश पांडेय

लखनऊ। आज अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्यतम राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन होना है। देश और दुनिया के करोडों हिंदुओं को करीब 500 साल से इस शुभ घड़ी की शिद्दत से प्रतीक्षा थी। इसके लिए 1528 से अब तक कई संघर्ष हुए। इन संघर्षों में हजारों की संख्या में साधु-संतों और रामभक्तों ने कुर्बानियां दीं। यूं तो अपने राम सबके लिए मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वह राम जाे तबके संपन्न राजवंश (इक्ष्वाकु वंश) में पैदा होने के बाद भी शायद ही कभी सुख देखा हो। बचपन, ऋषि-मुनियों की सुरक्षा में लगाया। व्याह कर आए तो 12 वर्ष का वनवास मिला। वन में ही पत्नी सीता का अपहरण हुआ तो रावण से संघर्ष। ऐसा संघर्ष जिसमें वह भाई लक्षमण को खोते-खोते बचे। सकुशल लौटकर अयोध्या आए तो एक धोबी द्वारा सीता पर लांक्षन लगाने से उनको त्याग दिया। और अंतत: सरयू में जलसमाधि ले ली। बावजूद इसके उन्होंने जिस आदर्श राज्य (रामराज्य) की स्थापना की वह खुद में देश-दुनिया के लिए नजीर है।

आइए ऐसे ही राम के बारे में आपको कुछ नया बताने का प्रयास करते हैं। मसलन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की व्यापकता में कोई संदेह नहीं। पूरे देश के लोकरंग,परंपरा, संस्कार, संस्कृति और रामलीला में वह आप्त हैं। रोम-रोम में राम और सबके राम जैसे शब्द इसके सबूत हैं। पर देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके अलग-अलग स्वरूपों की अधिक मान्यता है। जिस हिस्से में वह जिस रूप में रहे, उसी रूप में उनकी मान्यता भी है।

कौशलपुरी में बालक राम हैं

मसलन पुरानी कौशलपुरी का वह क्षेत्र जिसमें अयोध्या भी आता है वहां राम का बालरूप सर्वाधिक प्रचिलत है। वह रूप जिसका वर्णन तुलसीदास ने कुछ इस तरह किया है। भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला कौशल्या हितकारी या ठुमकि चलत रामचंद्र बाजत पैजिनयां। अयोध्या के अधिकांश मंदिरों में भगवान श्रीराम अपने इसी बाल स्वरूप में नजर आते हैं। यही वजह है कि रामनवमी (रामजन्मोत्व) इस पूरे क्षेत्र का बडा पर्व है। यह हर गांव में मनाया जाता है। बच्चे के पैदा होने पर गाये जाने वाले सोहर से लेकर गारी तक में कहीं न कहीं राम दिख जाते है। चूंकि राम मूलत: यहीं के थे। लिहाजा यहां की रामलीलाओं में अमूमन उनके पूरे जीवन प्रसंग का वर्णन आ जाता है, पर हर जगह की रामलीला में ऐसा नहीं।

मिथिला में राम पाहुन बन जाते हैं

मिथिला जहां रामचंद्र का सीता से ब्याह हुआ था। वहां उनका दुल्हा (पाहुन) स्वरूप अधिक स्वीकार्य है। मिथिला की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग में सीता-राम के विवाह प्रसंगों की भरमार है। यही नहीं इस क्षेत्र में लड़िकयों की शादी एक ही वर से दो बार होती है। तर्क यह है कि राजा जनक की शर्त के अनुसार सीता तो राम की तभी हो गयी थीं जब उन्होंने धनुष तोडा था। बावजूद इसके शादी की रस्म निभाने राजा दशरथ बारात लेकर अयोध्या से जनकपुर आए थे। यहां की रामलीलाएं अक्सर सीता-राम के विवाह के बाद खत्म हो जाती है।

दंडकारण्य में वनवासी तो दक्षिण भारते में कोदंडधारी

राम का वनवास होता है। दंडकारण्य (चित्रकूट के आसपास का क्षेत्र) को वह अपना ठिकाना बनाते हैं। इस पूरे क्षेत्र में उनके वनवासी स्वरूप की अधिक मान्यता है। ऐसा स्वरूप जिसमें वह पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जटा-जूट के साथ वनवासी स्वरूप में हैं। इस स्वरूप में सवार्धिक प्रचिलत वह स्वरूप है जिसमें सहमी सी सीता हिरन के रूप में आए मायावी मारीच के शिकार के लिए राम से कह रही हैं। पीछे लक्ष्मण पूरी सतर्कता के साथ खडे हैं। रावण द्वारा सीता के अपहरण के बाद उनकी खोज में राम जब दक्षिण भारत की ओर बढ़ते हैं तब वह कोदंड राम हो जाते हैं। अकेले दिखते हैं।

गोरक्षपीठ के लिए सामाजिक समरसता के मानक हैं श्रीराम

गोरक्षपीठ, जिसके मौजूदा पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, उसके लिए प्रभु श्रीराम अपने सर्वस्व खूबियों के साथ सामाजिक समरसता के भी प्रतीक हैं। वह पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने वाले, निषादराज को गले लगाने वाले, गीद्धराज जटायू के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम हैं। मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल योगीजी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल को मिला। एक हरिजन से ऐसा करवाकर उन्होंने पूरे समाज को सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

About Editor

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>