पंकज जायसवाल
मुंबई। पांच अगस्त को अयोध्या में सिर्फ श्रीराम मंदिर का शिलापूजन नहीं हुआ, यह सनातन अर्थव्यवस्था का भी शिलापूजन था। किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए यह आवश्यक है कि वहां सामाजिक विवाद की शून्यता हो और सामाजिक उत्साह और आनंद उत्कर्ष पर हो, ये दो मुख्य बुनियाद हैं जिस पर विकास की नींव रखी जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए शिलापूजन कार्यक्रम के माध्यम से इस विवाद का पटाक्षेप हो गया। राष्ट्र का आनंद उत्साह के साथ उत्कर्ष पर पहुंच गया। श्रीराम मंदिर का शिलापूजन दुनिया में धार्मिक सम्पूर्णता और संतुलन की स्थापना का प्रतीक है। जैसे पूरे विश्व में इस्लाम धर्म का मुख्य धार्मिक स्थल मक्का है, ईसाई धर्म का वेटिकन सिटी है, बौद्ध धर्म का लुम्बिनी है, उसी तरह इस जगत के सबसे पुराने और व्यापक समाज हिन्दू जो की इस्लाम, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के आगमन पूर्व से ही हैं, उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतारी स्वयं ईश्वर श्रीराम मंदिर की स्थापना दुनिया की सम्पूर्णता और संतुलन स्थापना की तरफ बढ़ा एक कदम है।
विश्व के लगभग 15 प्रतिशत आबादी का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र अयोध्या है और यह भारत के विभिन्न हिस्से ही नहीं लगभग विश्व भर में फैले हिन्दुवों चाहे वो इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, अमेरिका, यूरोप के अन्य देश, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद, थायलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर एवं अन्य देश हो, वहां बसे हर हिन्दुवों के मन: स्मृति में अयोध्या का नाम कहानी और इतिहास अंकित है, अत: अयोध्या टूरिस्ट इकॉनमी का एक बड़ा केंद्र है। भारत की ऐतिहासिक विरासत हिन्दू धर्म के पौराणिक स्थल को लेकर भी एक विश्व स्तरीय टूरिज्म प्लान रामायण सर्किट, महाभारत सर्किट आदि भारत के विकास में नींव का पत्थर साबित होगा। यह भारत के अर्थव्यवस्था में एक नए दृष्टिकोण के साथ बड़ी सफलता के एक अध्याय जैसे जुडऩा होगा।
भारत में पर्यटन पूंजी के तौर पर अयोध्या और हिन्दुवों के पौराणिक स्थल जिसमें सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अयोध्या मथुरा, काशी, 12 ज्योतिलिंग, 51 शक्ति पीठ, चारों धाम, चारों शंकराचार्य के स्थान, के अलावा वैष्णो देवी मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड, स्वर्ण मंदिर अमृतसर, अमरनाथ, लिंगराज मंदिर उड़ीसा, गोरखनाथ मंदिर, कांचीपुरम मंदिर, खजुराहो मंदिर, विरूपक्षा मंदिर हम्पी, अक्षरधाम मंदिर गुजरात, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक, साईं बाबा मंदिर, शिर्डी, श्री पदï्मनाभस्वामी मंदिर केरल, लक्ष्मी नारायण मंदिर दिल्ली, रंगनाथस्वामी श्रीरंगम, पद्मावती मंदिर तिरुपति, एकमबरेश्वर मंदिर कांची, कामाख्या मंदिर असम, कालीघाट मंदिर कोलकाता, छतरपुर मंदिर दिल्ली, सूर्य मंदिर, कोणार्क, बृहदीस्वरा मंदिर तंजावुर, सोमनाथ मंदिर गुजरात, तिरुपति बालाजी आंध्र प्रदेश, चिरकुल बालाजी हैदराबाद, मीनाक्षी मंदिर मदुरै, कनक दुर्गा विजयवाड़ा आदि ऐसे अनेक मंदिर हैं जिसकी सरकार चाहे तो अलग-अलग टूरिस्ट सर्किट बना के टूरिज्म विकसित कर सकती हैं और इन शहरों को इनकी धार्मिक प्रसिद्धि के हिसाब से थीम सिटी के रूप में विकसित कर सकती है। भारत के पास सिर्फ हिन्दू सनातन का ही यह टूरिस्ट सर्किट नहीं मौजूद है, विश्व भर मे फैले बुद्ध समाज के लिए हमारे पास सिद्धार्थनगर, रामग्राम, कुशीनगर, सारनाथ, कलिंग, सांची स्तूप आदि महत्वपूर्ण स्थान है जहां हम विश्व भर के कई देशों जैसे की श्रीलंका, थायलैंड, चाइना, म्यांमार जैसे अन्य देशों से इन स्थानों का टूरिस्ट सर्किट बना के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन विकसित कर सकते हैं।
जैन धर्म के भी अनुयायी पूरे विश्व में फैले हैं और धन से सक्षम भी हैं, उनके लिए हम ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में जन्म लिए जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर जैन के जन्म स्थान, गुजरात के कच्छ के जैन मंदिरों, दिल्ली का दिगंबर जैन लाल मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक, रणकपुर मंदिर राजस्थान आदि मंदिरों का एक टूरिस्ट सर्किट बना के इन सक्षम तीर्थ यात्रियों को पर्यटन के लिए आकर्षित कर सकते हैं।
भारत की इस टूरिस्ट पूंजीगत धरोहरों का भारतीय इकॉनमी के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। भारत के पास ये संपत्तियां हजारों वर्षों से पड़ी हुई हैं इस पर किसी का आर्थिक आधार पर अब तक दृष्टि नहीं गया था। रामायण सर्किट के माध्यम से हमें अयोध्या को उन सभी देशों और नगरों से जोड़ा जाना चाहिए जहां राम के राज्य का विस्तार हुआ था या संबंध था या वनवास के दौरान वह जहां जहां गए, मसलन अयोध्या-नासिक, अयोध्या- जनकपुर, अयोध्या- श्रीलंका, अयोध्या- कंबोडिया, अयोध्या-इंडोनेशिया- बाली, अयोध्या- थायलैंड, एवं अन्य संबंधित देश, इसी तरह श्री कृष्ण की भी एक सर्किट बनाया जा सकता है। राम, कृष्ण, रामायण एवं महाभारत से संबंधित स्थानों एवं चीजों का एक अंतर्राष्ट्रीय सर्किट एवं म्यूजियम का निर्माण किया जा सकता है।
अब तक की सरकारों का इस तरफ विशेष दृष्टिकोण नहीं गया है जिसे बहुत पहले चला जाना चाहिए था। इन टूरिस्ट सर्किटों का निर्माण और इनकी धार्मिक विशेषता के आधार पर शहरों का थीम शहर के तर्ज पर विकसित करना कहीं से भी भारतीय संविधान के दायरे में गलत नहीं माना जाना चाहिए। आपने एक शहर को उसके आर्थिक संभावना के हिसाब से उसकी आर्थिक सम्पत्तियों के आधार पर थीम सिटी के रूप में विकसित किया तो इसमें कोई बुराई नहीं है, दुनिया भर की सरकारें कर रही हैं। सऊदी की सरकार मक्का को विश्व भर में प्रोमोट करती है, अंतर्राष्ट्रीय सुविधा एयरपोर्ट, पांच से सात सितारा होटल विकसित करती है ताकि वहां दुनिया भर में फैले मुसलमान लोग आयें और सऊदी का पर्यटन विकसित हो, उसी तरह विश्व भर में फैले ईसाई समुदाय के लिए वेटिकन सिटी को विकसित किया गया। इन शहरों में आप जाइए मक्का में जाते ही आप एक थीम महसूस करते हैं, वेटिकन सिटी में जाते ही आप ईसा को महसूस करते हैं उनके धर्म को महसूस करते हैं, तो यह अच्छा ही है कि हम अयोध्या में घुसें और श्रीराम और रामराज्य को महसूस करें, हिन्दू सनातन हो तो ईश्वर के रूप में गैर हिन्दू सनातन हो तो एक ऐतिहासिक पौराणिक चरित्र के रूप में राम को महसूस करें और शहर का विकास और वास्तु भी इसी थीम पर हो।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यह हिन्दुवों को भी वैसे ही समझता है, जैसे अन्य को, उसका यह कार्य सिर्फ भारत में बसे हिन्दुवों के लिए नहीं होगा, इसे पूरे विश्व में फैले हिन्दू समुदाय जिसका की संयोग से सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थल, आराध्यों के स्थल भारत वर्ष में पड़ते हैं इसे ऐसा दृष्टिगत करना चाहिए। राम तो भारत के हिन्दुवों के ही नहीं यहां बस रहे 130 करोड़ लोगों के नायक हैं अत: राम मंदिर का निर्माण कहीं से भी साम्प्रदायिक नहीं होगा। भारत में हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, अजमेर शरीफ, हाजी अली, ताज सबको पर्यटन की दृष्टि में रखकर कार्य करना चाहिए ताकि भारत विश्व का एक बहुत बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन सके।
किसी भी देश का पर्यटन उद्योग वहां रहने और बाहर से आने वाले समुदायों की सोच और जीवनशैली के आधार पर ही विकसित होता है। आज भी भारत वर्ष में 90 प्रतिशत लोग अगर टूर पर जाते हैं तो कारण धार्मिक ही होता है। लोगों ने जिन स्थानों को बचपन से सुना है उसको देखना और महसूस करना चाहते हैं। धार्मिक पर्यटन के माध्यम से वह दोहरे फायदे में होते हैं एक तो वो परिवार को घूमा देते हैं। इसी दर्शन के बहाने और दूसरे दर्शन भी हो जाता है। आज भी उत्तर भारत के कई दंपत्ति साल में एकबार घूमने के लिए वैष्णो देवी मंदिर जाते हैं। इसी बहाने उनका एक वार्षिक टूर भी हो जाता है और एक धार्मिक अनुष्ठान हो जाता है। सरकार को इसी सूत्र को पकडऩा चाहिए ताकि विश्व भर के हिन्दू यहां पर्यटन भी कर सकें, साथ में दर्शन भी कर सकें। यहां महत्वपूर्ण जगह जैसे कि अयोध्या, मथुरा, आगरा, काशी, गोरखपुर, पटना, द्वारिका, कुशीनगर जैसे जगहों पे अच्छे सुविधा युक्त एयरपोर्ट विकसित किए जाएं, फाइव स्टार होटल बनाए जाएं, अन्य इन्फ्रा विकसित किए जाएं ताकि यात्रा सुगम हो और इन जगहों के अन्य चीजों का भी व्यापार फले फुले यदि बड़ी संख्या में विश्वभर से तीर्थ यात्री यहां आते हैं तो।