- बिजली विभाग बना लूट का सेन्टर, विभाग घाटे में और मुलाजिमों की तिजोरियां भरी : ओपी यादव
- लाकडाउन में बिजली कटौती बनी दाद में खाज, गर्मी की तपिस से बच्चे हो रहे बीमार
- मनमाने ढंग से भेजे जा रहे हैं बिल, ऊर्जा मंत्री को शिकायती पत्र भेजकर विभागीय अनियमितताओं की गई जांच की मांग
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। जनपद रायबरेली में बिजली विभाग लूट का सेन्टर बन गया है। विभागीय कर्मचारी पहले मीटर में तकनीकी खराबी करते हैं और फिर सख्त शासन के निर्देशों की डुगडुगी बजाकर सुनियोजित रूट से मनचाही उगाही को अंजाम देते हैं। उपभोक्ताओं यह शिकायत आम है कि उपभोग की गयी बिजली का बिल मीटर नहीं दर्शाता है। इतना ही नहीं विभागीय जेई बिजली चोरी करने वालों से स्वयं पैसे लेकर छोड़ देते हैं। नियमत: यह रकम विभागीय कोष में जमा होनी चाहिये, पर ऐसा होता नहीं है। नतीजतन, विभाग साल दर साल घाटे के सागर में गोते लगा रहा है और विभागीय मुलाजिमों की माली हैशियत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की पर है। बिजली विभाग की कार्यशैली पर यह गंभीर आरोप पूर्व डीजीसी एवं सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओपी यादव ने लगाये हैं और ऊर्जा मंत्री को पत्र लिख जनहित एवं विभागहित में जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जनपद रायबरेली के सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओपी यादव ने बताया, औद्योगिक एवं व्यापारिक संस्थान और प्रतिष्ठनों में कमर्शियल कनेक्शन के बजाय घरेलू कनेक्शन विभाग के अभियन्ताओं की देख-रेख में चल रहे हैं, जिसके कारण विभाग के कर्मचारियों की तिजोरियां तो भर रही हैं, लेकिन विभागीय घाटा बरकरार है। उन्होंने कहा, एक ओर विभागीय प्रबंध तंत्र सरकारी विभागों के करोड़ों रुपये के बकाया बिजली बिल वसूलने में असहाय बना हुआ है। तो वहीं दूसरी ओर आम जनमानस का मनमाने ढंग से बिल भेजकर उसे ठीक करने के नाम पर मानसिक और आर्थिक उत्पीडऩ खुलेआम कर रहा है।
ओपी यादव ने बताया, लॉकडाउन के कारण औद्योगिक इकाइयां व व्यापारिक प्रतिष्ठान बन्द हैं। बावजूद इसके बिना किसी रोस्टर के मनमाने ढंग से बिजली काटी जाती है। लाकडाउन में बिजली कटौती दाद में खाज बनी है। गर्मी की तपिस के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। उन्होंने बताया, बिजली विभाग की इस कमाऊ कार्यशैली के खिलाफ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को शिकायती पत्र भेजकर विभागीय अनियमितताओं की जांच कराने की मांग की गई है। दोषी कर्मचारियों व अभियंताओं को चिन्हित कर उनके विरूद्ध विभागीय एवं दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने से ही आमजन को न्याय मिलेगा।
एक ओर विभागीय प्रबंध तंत्र सरकारी विभागों के करोड़ों रुपये के बकाया बिजली बिल वसूलने में असहाय बना हुआ है। तो वहीं दूसरी ओर आम जनमानस का मनमाने ढंग से बिल भेजकर उसे ठीक करने के नाम पर मानसिक और आर्थिक उत्पीडऩ खुलेआम कर रहा है। लॉकडाउन के कारण औद्योगिक इकाइयां व व्यापारिक प्रतिष्ठान बन्द हैं। बावजूद इसके बिना किसी रोस्टर के मनमाने ढंग से बिजली काटी जाती है। लाकडाउन में बिजली कटौती दाद में खाज बनी है।
ओपी यादव, पूर्व अध्यक्ष, सेन्ट्रल बार एसोसिएशन