Breaking News
Home / उत्तर प्रदेश / अड़चनों से घिरी गांव-गांव बस चलाने की योजना

अड़चनों से घिरी गांव-गांव बस चलाने की योजना

योजना की तकीनीक व व्यावहारिक दिक्कतें दूर करना होगी चुनौती
8 हजार गांवों के सर्वे में 522 मार्ग किए गए चिन्हित
चिन्हित मार्गों पर 1500 बसें होंगी संचालित
बीएस-4 मानक की बसें जल्द उपलब्ध होना भी मुश्किल

लखनऊ। प्रदेश सरकार की गांव-गांव तक रोडवेज बस चलाने की योजना में कई अड़चनें हैं। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली योजना तकनीकी और व्यावहारिक दिक्कतों से घिरी नजर आ रही है। प्रदेश सरकार जहां जल्द से जल्द गांव तक बस चलाना चाहती है तो वहीं व्यावहारिक मुश्किलें इस काम में बड़ा रोड़ा बनती दिखायी पड़ रही हैं। ऐसे में इन दिक्कतों को दूर किए बिना योजना की शुरुआत होना भी मुश्किल दिखायी पड़ रहा है। सूबे में प्रचंड बहुमत के साथ बनी योगी सरकार ने गांवों तक रोडवेज बसों के संचालन के लिए अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्य योजना बनाने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री की योजना को जल्द मूर्त रुप देने के लिए परिवहन विभाग व निगम के अधिकारियों ने गांव में बस संचालन के रुट का सर्वे कराया। 8000 गांवों के रुट सर्वे में 522 मार्ग चिन्हित किए गए। पहले चरण में जिन रुटों का सर्वे कराया गया उन पर 1500 बसों का संचालन किया जाना है। ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर बीएस-3 मानक वाले वाहनों के निर्माण व बिक्री पर रोक लगा दी है तो इतनी संख्या में एक साथ बीएस-4 मानक वाली बसों का जल्द मिल पाना संभव नहीं दिखता। वहीं शासन स्तर पर अभी इस बात को लेकर भी सहमति नहीं बन पायी है कि इन रुटों पर जो मिनी बसें संचालित की जाएंगी वह निगम की होंगी या अनुबंधित। ऐसे में सहमति बनने के बाद भी टेंडर समेत अन्य प्रक्रियाओं को पूरा होने में ही काफी समय लगेगा। साथ ही बसों के बनकर आने में भी कई महीने लग जाएंगे। वहीं ग्रामीण इलाकों में डग्गामार बसें और जीपें ही संचालित होती हैं। जिनसे विभाग और निगम को निपटना भी बड़ी चुनौती होगी।
40 हजार गांवों को है जोडऩा
प्रदेश की योगी सरकार इस योजना के अंतर्गत 40 हजार गांवों को जोड़ेगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण में आठ हजार गांवों का सर्वे कराया गया है। अभी 32 हजार गांवों को इस योजना से जोडऩे के लिए सर्वे कराया जाना बाकी है। सर्वे कराए गए रुटों पर बसों का संचालन शुरु होने के बाद अन्य रुटों का सर्वे कराया जाएगा।
5000 बसें चलायी जाएंगी
प्रदेश सरकार 5000 बसें इस योजना में संचालित करेगी। अभी जिन 8000 गांवों के सर्वे में 522 रुटों को चिन्हित किया गया है उन पर 1500 बसें चलायी जाएंगी। बीएस-3 की बजाय बीएस-4 मानक वाली बसों की उपलब्धता को लेकर परिवहन निगम के तकनीकी शाखा के अधिकारी मंथन कर रहे हैं। यह बसें निगम की होंगी या अनुबंधित इस बात पर सहमति बनने के बाद टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
रुट सर्वे पर आपत्ति के बाद उलझे अफसर
अफसरों को ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने वाली बसों के रुट सर्वे ने उलझा दिया। इस योजना के तहत बसों के संचालन को लेकर परिवहन विभाग और परिवहन निगम की ओर संयुक्त रुप से रुट सर्वे कराया गया। इस सर्वे के पहले चरण में 8000 गांवों को शामिल किया गया। आठ हजार गांवों में बस संचालन के लिए 522 रुट चिन्हित किए गए। विभाग व निगम की रुट सर्वे की संयुक्त रिपोर्ट प्रमुख सचिव परिवहन आराधना शुक्ला के पास गयी तो उन्होंने रिपोर्ट पर आपत्ति जतायी। उनकी आपत्ति इस बात को लेकर थी कि आखिर 522 रुट ही क्यों चिन्हित किए गए, यह संख्या इससे ज्यादा या कम क्यों नहीं? प्रमुख सचिव की आपत्ति को लेकर परिवहन विभाग के अफसर उलझन में पड़ गये और इसका जवाब ढूंढने में उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ी।
डग्गामारी खत्म करना बड़ी चुनौती
ग्रामीण इलाकों में परिवहन के साधन के रुप में डग्गामार वाहन ही संचालित होते हैं। इनमें बड़ी संख्या में बस व जीपें शामिल हैं। जिन मार्गों पर ये डग्गामार वाहन चलते हैं वहां पर रोडवेज की बसें चलाना बड़ी चुनौती होगी। इस बात को परिवहन विभाग व निगम के अफसर भी अच्छी तरह जानते हैं। इन मार्गों पर बसों के संचालन से होने वाले घाटे की भरपाई किस मद से होगी, इस बात को लेकर अफसर चौकन्ने हैं। इन मार्गों पर निगम खुद अपनी या अनुबंधित बस चलाए, घाटा होना तय है।
एक बस के निर्माण में लगते हैं 3 महीने
परिवहन निगम के तकनीकी शाखा के अधिकारियों की मानें तो एक बस के निर्माण में करीब 3 महीने का समय लगता है। ऐसे में बीएस-4 मानक वाली 1500 बसों को बनकर तैयार होने में कितना समय लगेगा, इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है। अधिकारियों की मानें तो बीएस-4 मानक वाली बसें बाजार में उलब्ध हैं। ऐसे में अगर अनुबंधित मिनी बसें संचालित करने पर सहमति बनती है तो इसकी उपलब्धता जल्द हो सकती है।
सफल नहीं रही लोहिया ग्रामीण बस सेवा
गांवों को शहरों से जोडऩे के लिए सपा सरकार ने लोहिया ग्रामीण बस सेवा की शुरुआत की थी। इस बस सेवा के संचालन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में व्यवसाय को बढ़ावा देना और छात्रों को सुविधा देना था। वर्तमान में इस सेवा के अंतर्गत करीब 1458 बसों का संचालन किया जा रहा है। लोहिया ग्रामीण बस सेवा के रुप में संचालित हो रही इन बसों में ज्यादातर शहरों में संचालित हो रही हैं। घाटे की वजह से इन बसों का संचालन शहरी क्षेत्र में किया जा रहा है। पूर्ववर्ती सरकार के इस प्रयोग की असफलता को देखते हुए नयी सरकार की योजना की सफलता का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।

-गांव-गांव बस संचालन के लिए प्रदेश सरकार 5000 बसें चलाएगी। पहले चरण के रुट सर्वे के बाद 1500 बसों की आवश्यकता है। ये बसें अनुबंधित होंगी या निगम की इस पर निर्णय होना बाकी है। एक बस के निर्माण में करीब 3 महीने का समय लगता है।
जयदीप वर्मा, प्रधान प्रबंधक प्राविधिक, परिवहन निगम up-roadways-1482477536

About Editor

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>