ट्रांसफार्मरों से दी जाने वाली बिजली और उसके बदले मिलने वाले राजस्व की गणना के लिए लगाए गए थे मीटर
बिजली चोरी पर परदा डालने के लिए अभियंताओं ने उतरवा दिए मीटर
राजधानी में कुल बिजली खपत का 20 प्रतिशत हो रही चोरी
अभियंताओं की शह पर संविदा कर्मी करवाते हैं बिजली चोरी, वसूलते हैं पैसा
लखनऊ। उपभोक्ता के घरों में स्वीकृत लोड से अधिक का उपभोग मिलने या फिर कहीं पर सर्विस केबल में कट होने पर बिजली चोरी साबित करने पर आमादा रहने वाले लेसा अभियंता खुद खुलेआम बिजली चोरी करा रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ट्रांसफार्मरों पर लगवाए गए बिजली के मीटर हैं। इन मीटरों को फीडर या ट्रांसफार्मर से दी जाने वाली बिजली और उसके बदले में मिलने वाले राजस्व की गणना करने के लिए लगाया गया था। ताकि बिजली चोरी या फिर लाइन लॉस का आसानी से आंकलन किया जा सके। लेकिन अभियंताओं की शह पर लाखों रुपये खर्च कर लगवाए गए मीटर गायब हो गए। लेसा में सिस गोमती क्षेत्र के मुख्य अभियंता मधुकर वर्मा ट्रांसफार्मरों पर लगे मीटरों को उतारे जाने की दलील तो देते हैं लेकिन ये मीटर किस अधिकारी के आदेश पर उतारे गए, इसका जवाब उनके पास नहीं है। वह इसे पहले का मामला बताते हैं लेकिन लेसा अभियंताओं द्वारा मीटर उतरवाने की बात मानते जरूर हैं। दरअसल, इस मामले में गोलमोल की मुख्य वजह बिजली चोरी पर परदा डालना है। अभियंता उपभोक्ताओं पर भले ही कितना दबाव बना रहे हों लेकिन ट्रांसफार्मरों से मीटर गायब होने के मामले में अंजान बन जाते हैं। मुख्य अभियंता ट्रांसगोमती प्रदीप कक्कड़ के मुताबिक ट्रांसफार्मरों से मीटर नया ट्रांसफार्मर लगाए जाने के दौरान हटा दिए गए, लेकिन इन मीटरों को दोबारा क्यों नहीं लगाया गया, इसमें पूरी तरह से क्षेत्रीय अभियंताओं की लापरवाही है। हालांकि लापरवाही के बावजूद क्षेत्रीय अभियंताओं पर इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जानकारों की मानें तो राजधानी में रोजाना कुल बिजली खपत के करीब 20 फीसदी बिजली की चोरी हो रही है। बावजूद इसके क्षेत्रीय अभियंता केवल उपभोक्ताओं को ही बिजली चोर साबित करने पर तुले हुए हैं। मंडियों व पटरी दुकानों पर लगने वाली कटिया का पैसा जमा करने का काम विद्युत विभाग के संविदा कर्मी कर रहे हैं, जबकि अभियंता आंख मूंदे घर को निकल जाते हैं। ट्रांसफार्मर पर मीटर लगने और नियमित रीडिंग से इस पूरी चोरी का खेल आसानी से खुल सकता है। लिहाजा अभियंताओं ने बड़ी सहजता से मीटर ही गायब कर दिए।
करोड़ों के घोटाले पर कार्रवाई जीरो
शून्य उप्र राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन हर बार बिजली कंपनियों के करोड़ों रुपये से अधिक के घाटे में होने की दलील देकर बिजली दरों में इजाफा करा लेता है, लेकिन विभागीय अभियंताओं की शह पर करोड़ों रुपये के ट्रांसफार्मर पर लगे मीटर गायब कर जो घोटाला किया गया, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जानकारों का कहना है कि प्रदेश भर में ट्रांसफार्मर पर लगे मीटरों के गायब करने में हुआ घोटाला पचास करोड़ से ज्यादा का है। पर, मुख्य अभियंता से लेकर उच्चप्रबंधन तक किसी को भी इसकी फिक्र नहीं है।
बिजली चोरी का खेल निर्बाध जारी
राजधानी की मंडियो, बाजारों, झुग्गी झोपड़ी व आउटर इलाकों में संविदा कर्मी अभियंताओं से मिलीभगत कर बिजली चोरी करा रहे हैं। यही नहीं शहर में होटल, लॉज समेत बड़ी खपत वाली जगहों पर भी अभियंताओं की शह पर बड़े पैमाने पर बिजली चोरी हो रही है। डालीबाग स्थित बहुखंडी मंत्री आवास के सामने बसी झुग्गियों में एक बल्ब, पंखा, कटिया से चलाने पर तीन सौ रुपये महीने का शुल्क लिया जाता है। दुबग्गा सब्जी मंडी में आढ़ती बिजली कनेक्शन के लिए दो सौ रुपये महीना देते हैं। अमीनाबाद में पटरी दुकानदार दो हैलोजन बल्ब के लिए पचास रुपये रोजाना देते हैं। राजधानी में खुलेआम बिजली चोरी के लिए इस रेट से वसूली की जाती है। अमीनाबाद, निशातगंज, चारबाग, रिंग रोड से लेकर वीआईपी इलाकों तक में बिजली चोरी का सुनियोजित खेल रोजाना होता है।
ट्रांसफार्मरों से मीटर नया ट्रांसफार्मर लगाए जाने के दौरान हटा दिए गए थे। लेकिन इन मीटरों को दोबारा क्यों नहीं लगाया गया, इसकी जानकारी नहीं है। हटाए गए मीटरों को दोबारा लगाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय अभियंताओं की थी। अगर अभियंता मीटर हटाने और बिजली चोरी कराने में संलिप्त पाये गये तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रदीप कक्कड़, मुख्य अभियंता ट्रांसगोमती