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आधी आबादी को बस अड्डों पर सुविधाओं का इंतजार

निर्भया योजना के तहत 40 बस अड्डों पर महिलाओं के लिए बनना है वेटिंग एरिया

बस अड्डों पर वेटिंग एरिया के लिए जगह चिन्हित करने में निगम कर रहा लापरवाही

रोडवेज बसों में करीब 20 हजार से अधिक महिलाएं करती हैं सफर

महिला वेटिंग रूम में डिस्प्ले बोर्ड के साथ होनी है पानी की व्यवस्था

साल भर पहले ही बाल एवं महिला कल्याण विभाग जारी कर चुका है गाइडलाइन

लखनऊ। प्रदेश सरकार रोडवेज बसों की सस्ती व बेहतर सुविधा देने का दावा करती रही a-3-1है, लेकिन रोडवेज बसों में सफर करने वाली आधी आबादी के लिए सुविधाओं का टोटा खत्म की ओर ध्यान नहीं दे रही है। बस अड्डों से लेकर रोडवेज बसों तक में महिलाओं के लिए सुविधाएं नदारद हैं। यह हालात तब हैं जब प्रदेश सरकार महिला सुरक्षा के प्रति अति गंभीर होने का दावा करती है। परिवहन निगम के बस अड्डों पर महिलाओं के लिए वेटिंग एरिया और फीडिंग रूम तक न होना आधी आबादी के प्रति गंभीरता की कहानी खुद बयां कर रहा है।
परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक प्रत्येक बस अड्डे पर महिलाओं के लिए वेटिंग एरिया समेत अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जानी है। करीब एक साल पहले बाल एवं महिला कल्याण विकास विभाग नई दिल्ली की ओर से इसके लिए गाइडलाइन भी जारी की जा चुकी है। लेकिन बस अड्डों और बसों में महिला सुरक्षा के प्रति संजीदगी का अभाव आज भी साफ तौर पर दिखायी पड़ता है। परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार निर्भया योजना के तहत केवल पिंक बसों का ही संचालन नहीं किया जाना है बल्कि इस योजना के तहत महिलाओं की सुविधाओं के मद्देनजर सभी बस अड्डों पर महिलाओं के लिए वेटिंग एरिया भी बनना है। साथ ही फीडिंग रूम भी बनाए जाने हैं। महिलाओं के लिए बनाये जाने वाले वेटिंग रूम में डिस्प्ले बोर्ड के साथ पानी की भी व्यवस्था होनी है। इन सबके बावजूद परिवहन निगम प्रबंध तंत्र की लापरवाही का आलम यह है कि इसके लिए बस अड्डों पर अभी तक जगह भी चिन्हित नहीं की जा सकी है। बस अड्डों पर अलग से वेटिंग एरिया और फीडिंग रूम न होने की शिकायतें आए दिन महिलाएं विभाग में करती हैं, लेकिन उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। वेटिंग एरिया और फीडिंग रूम न होने से सबसे ज्यादा समस्या उन महिलाओं को होती है, जो छोटे बच्चों के साथ बसों में सफर करती हैं।

ढ़ाबों पर भी सुविधा नदारद

बस अड्डों पर ही नहीं परिवहन निगम के विभिन्न सड़क मार्गों पर खुले ढ़ाबों पर भी सुविधाएं नदारद हैं। दरअसल, यात्रियों को सफर में सुविधा के लिहाज से परिवहन निगम के विभिन्न मार्गों पर अनुबंध के आधार पर ढ़ाबे खुले हैं। ढ़ाबे की निविदा शर्तों में खानपान की अच्छी सुविधा के साथ शौचालय की भी बेहतर व्यवस्था का प्रावधान किया गया था। निविदा शर्तों को पूरा करने के लिए ढ़ाबा संचालकों ने शौचालय बनवाये भी, लेकिन मौजूदा समय में उनके हालात बद से बदतर हैं। ढ़ाबों पर बनें शौचालयों में गंदगी बजबजा रही है। लिहाजा महिलाओं को ढ़ाबों पर भी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।

सर्वे के बाद काम ठप्प

परिवहन निगम के अधिकारियों की मानें तो राजधानी में महिला वेटिंग एरिया और फीडिंग रूम बनाने के लिए एक कंपनी ने सर्वे भी किया था। बाद में कुंभ में बसों के संचालन को लेकर इस योजना की ओर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे योजना अमल में नहीं आ सकी। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इसकी व्यवस्था की जायेगी।

सभी बड़े बस अड्डों पर महिला वेटिंग एरिया के साथ फीडिंग रूम बनना है। अभी इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है, जल्द ही इस पर काम शुरू होगा।
एचएस गाबा, सीजीएमओ, परिवहन निगम

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