- शासनादेश का किया जा रहा है खुला उल्लंघन
- ओवर रेट बिक्री पर सीबीआई जांच की मांग
लखनऊ। सूबे के सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मंडल में आबकारी विभाग और शराब माफियाओं का गठजोड़ सरकारी राजस्व को चूना लगा रहा है। लगातार ओवर रेट शराब की बिक्री से प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये जनता से लूटे जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता डा. संदीप पहल ने यह आरोप लगाते हुये दावा किया है कि यदि राज्य सरकार उच्च स्तरीय जांच कराये, तो पिछले आठ साल में 50 हजार करोड़ से भी अधिक का आबकारी राजस्व गबन सामने आना तय है।
सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई ऐक्टिविस्ट डा. संदीप पहल ने बताया, निरंतर ओवर रेट शराब की बिक्री से प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये की जनता से लूट की जा रही है। सूबे के सिर्फ चार मंडल सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली में लगभग 3,500 करोड़ रुपये के राजस्व का गबन किया गया है। आबकारी विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और शराब माफियाओं के गठजोड़ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत अन्य जिलों में लाखों पेटी देशी अवैध शराब की निरंतर बिक्री कराते हुये सरकारी कोष को हजारों करोड़ रुपये प्रति माह के राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि आबकारी अधिकारी अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की रिश्वत लेकर शराब माफियाओं को आॢथक फायदा पहुंचा रहे हैं।
डॉ. संदीप पहल ने सरकार को पत्र लिखकर इस मामले की जांच एसआईटी और सीबीआई से कराने को की मांग की है। उन्होंने बताया कि किसी भी शराब के ठेके पर प्रतिदिन की बिक्री व भण्डार रजिस्टर नहीं हैं। समस्त रजिस्टर आबकारी विभाग में अथवा शराब माफिया ठेकेदारों के कार्यालय में रखे रहते हैं और वहीं पर अनाप-शनाप भरे जाते हैं।
बीते दिनों विधानसभा में प्रश्न प्रहर में कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू, जटा शंकर त्रिपाठी और नफीस अहमद ने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार गुजरात और बिहार की तरह यूपी में भी पूर्ण शराबबंदी करेगी। इस पर सरकार ने अपना पक्ष रखते हुये कहा कि यूपी में शराबबंदी नहीं होगी। कारण बताते हुये कहा, ऐसा राजस्व की दृष्टि से व्यवहारिक न होने के कारण किया जा रहा है। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार एक ओर प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिये आवश्यक राजस्व के चलते सूबे में शराबबंदी लागू नहीं करेगी। पर, उसी राजस्व को लूटने वालों पर सरकार कितना सख्त रुख अपनायेगी, यह भविष्य के गर्भ में है।
शासनादेश का उल्लंघन कर बिक रही शराब
डॉ. संदीप पहल के मुताबिक, शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख है जो वर्ष 2016 और 17 की देशी शराब होगी वो किसी भी दशा में वर्ष 2017-18 में नहीं बेची जायेगी। पर, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मण्डलों के 18 जिलों में आज भी वर्ष 2016-17 की शराब बेची जा रही है। यह भ्रष्टाचार बसपा सरकार से शुरू हुआ, सपा सरकार में चालू रहा और अब जब जांच बैठा दी गई तो आबकारी विभाग के उच्च अधिकारी ने इस जांच को पूरा नहीं होने दे रहे हैं।