- भूखण्डों का आवेदन ऑनलाइन, आवंटन किया जा रहा मैनुअल
- ई-एप्लीकेशन पोर्टल पर आवेदकों को हो रहीं कई समस्यायें
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। औद्योगिक भूखण्ड आवंटन में पारदर्शी कार्यप्रणाली के उद्देश्य से जिस ई-पोर्टल का शुभारम्भ किया गया, वह अधूरी तैयारियों की भेंट चढ़ रहा है। बीते 22 जुलाई को पोर्टल शुभारंभ के समय बड़े-बड़े दावे किये गये। अब तक लगभग 300 ऑनलाइन आवेदन मिले, पर आंवटन की संख्या दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाई है। आवंटन के लिये उद्यमियों को अभी भी लम्बी भागदौड़ करनी पड़ रही है।
विभागीय सूत्रों का दावा है कि इस बेहतरीन सुविधा का शुभारम्भ जल्दबाजी में अधूरी तैयारियों के साथ कर दिया गया। नतीजतन, किसी आवेदक को ऑनलाइन जमा की गई धनराशि की पावती नहीं मिल पा रही। तो किसी आवेदक को आवेदन की रशीद नसीब नहीं हो रही है। इतना ही नहीं आवेदकों को भूखण्ड आवंटन में ऑनलाइन ग्रेङ्क्षडग की व्यवस्था भी जवाब देने लगी है। इस व्यवस्था के अनुसार आवेदक आसानी से अपनी परियोजना रिपोर्ट तैयार कर आवेदन कर सकते हैं।
सूत्रों का दावा है कि इससे उद्यमियों की जगह ट्रेडर और ब्रोकर की एक नयी दुकान खुल गई है। ब्रोकर आवेदकों के प्रपत्रों के आधार पर क्षेत्रीय प्रबंधकों से मिलकर सुविधा शुल्क देने वाले आवेदकों को भूखण्ड आवंटित करा रहे हैं। जानकारों की मानें तो इस पोर्टल से मात्र आवेदन लेने की सुविधा है। आवंटन आज भी मैनुअल ही हो रहा है। आवेदक ऑनलाइन आवेदन करने के बाद उसकी प्रति मैनुअल कार्यालय में जमा कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकारी इसकी जानकारी ब्रोकर से साझा कर रहे हैं। फिर वह ब्रोकर आवेदकों से सम्पर्क स्थापित करके औद्योगिक भूखण्डों का आवंटन करा रहे हैं।
यूपीएसआईडीसी के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के 2,093 भूखण्डों की ऑनलाइन आवंटन प्रक्रिया में अब तक महज सात भूखण्ड ही आवंटित किये जा सके हैं। प्रबंध निदेशक का दावा था यह पोर्टल भूखण्ड आवंटन व अन्य सुविधाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे आवेदनकर्ताओं को बिना वजह की भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। फिलहाल, अभी तक निगम का यह ई-पोर्टल नाम बड़े दर्शन छोटे वाली कहावत ही चरितार्थ कर रहा है।
लंबित आवेदनों की सुनवाई नहीं
विभागीय सूत्रों की मानें तो बड़ी संख्या में भूखण्ड आवंटन के आवेदन लंबित पड़े हैं। यदि इनमें से पात्र आवेदकों को आवंटन करने में प्राथमिकता दी जाये, तो लगभग 1700 करोड़ रुपये का निवेश और लगभग 4000 रोजगार का सृजन किया जा सकता है। पर, इन आवेदनों की सुनवाई नहीं है।
बड़े भूखण्डों का आवंटन जटिल
सूत्रों की मानें तो बड़े भूखण्डों के आवंटन की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है। इस प्रक्रिया में छह से सात माह का वक्त भी लग सकता है। बावजूद इसके आवंटन हो जाय, इसकी गारंटी नहीं है। ई-पोर्टल पर बड़े भूखण्डों की उपलब्धता की अपेक्षा निगम प्रबंध तंत्र का ध्यान छोटे भूखण्डों के आवंटन पर अधिक है। इतना ही नहीं निगम के पोर्टल पर विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के मुकदमाती भूखण्डों को भी रिक्त बताया गया है। साथ ही ऐसे भूखण्ड भी रिक्त बताये जा रहे हैं जिनका कब्जा निगम के पास है ही नहीं।
दावों पर कब खरा उतरेगा पोर्टल
उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम की भूखण्ड आवंटन प्रक्रिया में निवेशकों को किसी तरह की परेशानी न हो, उनका काम बिना किसी भागदौड़ के आसानी से हो जाय इस उद्देश्य के लिये निगम प्रबंध तंत्र ने पुरानी वेबसाइट बंद करके नई शुरु की। सूबे के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने इस अवसर पर कहा था उद्यमियों समयबद्ध सुविधायें दिलाने के लिये इस ई-पोर्टल को शुरू किया जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके यूपीएसआईडीसी की कार्यप्रणाली में जल्द ही बड़ा परिवर्तन आयेगा। राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति का लाभ उद्यमियों को मिलेगा। साथ ही उन्होंने उद्यमियों को यकीन दिलाया था कि अब इस पोर्टल के जरिये यूपीएसआईडीसी भूखण्डों का त्वरित आवंटन होगा।
पुरानी बंद कर शुरू हुई थी नई
यूपीएसआईडीसी ने अपनी पुरानी वेबसाइट बंद करके नई शुरू की थी। इस वेबसाइट पर २४ ऑनलाइन सुविधायें उपलब्ध कराई जानी थी। भूखण्डों की स्थित, पूर्व की बोर्ड बैठकों में पास हुए प्रस्ताव और यूपीएसआईडीसी व यूपीसीडा की नियमावली आदि की जानकारी। प्रबंध निदेशक ने अधिकारियों से नई वेबसाइट को प्रचारित करने के लिए कहा था।
इन भूखण्डों का होना है ई-आवंटन
औरैया स्थित प्लास्टिक सिटी में 223 से अधिक भूखण्ड रिक्त पड़े हैं। कानपुर देहात के जैनपुर में 20 और हरदोई के सण्डीला में 170 से ज्यादा भूखण्ड खाली पड़े हैं। इसके अलावा अलीगढ़ में 40, बाराबंकी में 54, झांसी में 70, शाहजहांपुर में 180, गाजियाबाद में 45, मथुरा में 460 समेत तकरीबन 2,093 भूखण्डों का ई-आवंटन आवेदन ऑनलाइन किया जाना है।