-
पेट्रोल-डीजल पर एक रुपये का अतिरिक्त रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस और एक रुपये एक्साइज ड्यूटी लगाने की भी घोषणा की गई
-
3 करोड़ व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को पेंशन लाभ दिया जाएगा, आयकर के वर्तमान ढांचे में कोई फेरबदल नहीं किया गया है
नई दिल्ली/ लखनऊ। बातें और राहतें बहुत तरह की हुई लेकिन बजट का निष्कर्ष क्या निकला जब आखिर में सब लूट लिया। वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने एक हाथ से दिया तो दूसरे हाथ से ले भी लिया। बजट 2019-20 में बहुत तरह की राहतें हैं, पर सबके लिए नहीं हैं। बहुत तरह की छूटें हैं, पर सबके लिए नहीं हैं। छूट उसके लिए है, जो बिजली चलित वाहन खरीदेगा। राहत उसके लिए है जो मकान के लिए कर्ज लेगा। इस हाथ बिजली चलित वाहन की रकम दे, उस हाथ छूट ले।
बजट में साफ है कि बिजली चलित वाहन खरीदने वालों को ऑटो लोन पर डेढ़ लाख रुपये तक के ब्याज पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी। इसके अलावा हाउसिंग स्कीम के तहत घर खरीदने के लिए लिए गए लोन के ब्याज पर डेढ़ लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी। यानी अब 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने पर लोन के ब्याज पर मिलने वाली कुल छूट अब 2 लाख से बढ़कर 3.5 लाख हो गई है। यानी इस बजट ने सबको छूट नहीं दी है।
छूट उनको मिल रही है, जो या तो बिजली चलित वाहन खरीद रहे हैं या घर खरीद रहे हैं। सरकार की बहुत साफ मंशा इन दो सेक्टरों को लाभ पहुंचाने की है। बिजली से चलने वाले वाहनों में लोगों की रुचि बढ़े ऐसा सरकार चाहती है। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में गृह निर्माण गतिविधियों में तेजी आये, ऐसा सरकार चाहती है।
आपको बता दें कि कंस्ट्रक्शन से जुड़ी गतिविधियों के विकास के साथ तमाम दूसरे उद्योगों में भी तेजी आती है। लेकिन इसके उलट पेट्रोल- डीजल पर लगाए गये सेस की बात करें तो उससे सरकार की मंशा साफ होती दिखाई देती है। एक तरफ देशवासी निगाहें जमाए बैठे थे कि आज उनकी झोली में क्या आने वाला है तो दूसरी तरफ बजट भाषण खत्म होते- होते वित्तमंत्री ने देशवासियों को झटका दे दिया?
देश की महिला वित्त मंत्री ने जब संसद में आंकड़े पेश किये तो सेंसेक्स की चाल इतनी गति से उठी कि लगा मानो देश में क्रांति आने वाली है। लेकिन देखते ही देखते कुछ घंटों के भीतर सेंसेक्स एक बार फिर बुझा हुआ नजर आया। जानकारों की माने तो अर्थव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए ये कदम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
देश के अधिकांश करदाताओं को बजट 2019-20 का यही संदेश है कि कुछ नये कर आपकी जेब से नहीं निकाले, और क्या चाहिए। यूं बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने तमाम घोषणाओं में यह जताया है कि इस सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था ने तरक्की की, नयी ऊंचाईयां छुई हैं। अर्थशास्त्रियों की माने तो देश के बजट में कोई ठोस योजना सरकार के पास नहीं, जिससे अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाया जा सके।
हालांकि इसके पूर्व बजट में जिन चीजों की घोषणाएं की गई थी वे अब तक बेपटरी हैं, हर साल बजट में तमाम लोक लुभावनी घोषणाएं की जाती रही हैं, लेकिन इन योजनाओं का क्रियान्वयन पर कोई सवाल नहीं उठाता। वित्त मंत्री के अनुसार 9.4 करोड़ टायलेट बनवा दिये गये। एक ट्रिलियन डालर यानी एक लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनने में देश को 55 साल लगे और गत पांच सालों में एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में जोड़ दिये गये।
आयकर ढांचे में कोई बदलाव नहीं है, सिवाय इसके कि २ करोड़ से ५ करोड़ की आयवालों का कर दायित्व 3 प्रतिशत बढ़ गया और 5 करोड़ रुपये से ऊपर की आय वालों का कर दायित्व 7 प्रतिशत बढ़ गया। बहुत ऊंची आयवालों को कर ज्यादा देना होगा। 5 लाख तक की कमाईवालों को कर छूट दी जा चुकी है। लेकिन 5 लाख से ऊपर के मध्यमवर्ग के लिए, उच्च मध्यमवर्ग के लिए इस बजट से कोई राहत नहीं है।
उनके लिए यथास्थिति है, बल्कि डीजल और पेट्रोल पर २ रुपये का अतिरिक्त कर लगाकर सरकार ने अपने लिए तो कर की व्यवस्था कर ली, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की नरमी का लाभ उपभोक्ताओं को भी दिया जा सकता था। तो अधिकांश लोगों का आर्थिक जीवन 5 जुलाई 2019 के बाद लगभग वैसा ही रहेगा, जैसा 5 जुलाई से पहले था, लेकिन अब मारा गरीब ही जाएगा।
काम की बात
1. मध्यम वर्ग को बजट में कोई खास लाभ नहीं दिया गया, जबकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रतिलीटर की वृद्धि के जरिए उन पर आर्थिक बोझ डाला गया है।
2. आयकर के वर्तमान ढांचे में कोई फेरबदल नहीं किया गया है।
3. कंपनी कर की 25 प्रतिशत न्यूनतम दर को 400 करोड़ रुपये तक वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए लागू किया जाएगा। फिलहाल 250 करोड़ रुपये तक वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए यह दर लागू है। इसमें 99.3 प्रतिशत कंपनियां शामिल होंगी। अब केवल 0.7 प्रतिशत कंपनियां ही इस दर से ज्यादा दर से कर देंगी।
4. 1.5 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार करने वाले लगभग 3 करोड़ खुदरा व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को पेंशन लाभ मिलेगा।
5. सोने पर शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है।
6. तंबाकू पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की गई है।
गुम रहा मध्यमवर्गीय परिवार
देश की पहली पूर्ण कालिक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में खेत-खेलिहान, गांव-किसान पर तो ध्यान दिया मगर मध्यमवर्गीय परिवारों की आस को इस बजट से काफी झटका लगा है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया, जिसको लेकर मध्यम वर्गीय लोगों को काफी उम्मीदें थीं। हालांकि उच्च वर्गीय श्रेणी के लोगों पर टैक्स का भार बढ़ाकर आम बजट को संतुलित करने की कोशिश की जरूर है। वहीं महिला वित्त मंत्री होने का पूरा लाभ महिलाओं को बजट में मिला है।