- रोका जाय डिस्पोजल क्राकरी निर्माताओं का उत्पीडऩ : आईआईए
- आईआईए प्रतिनिधि मंडल को मुख्य सचिव ने दिया आश्वासन, उद्योग स्थापित करने के लिये प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जायेगी भूमि
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सूबे में उद्यमियों की समस्याओं का समाधान करने वाले उद्योग बन्धु की व्यवस्था ध्वस्त है। प्रदेश स्तरीय इस व्यवस्था का यह हाल विगत कई वर्षों से है। विभिन्न औद्योगिक समस्याओं का समाधान पाने के लिये सूबे के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमी परेशान हैं। उद्यमियों की यह पीड़ा आईआईए प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव के संज्ञान में लाकर औद्योगिक व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के सुझाव दिये हैं।
आईआईए ने प्रदेश स्तर पर तीन माह में एक बार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय उद्योग बन्धु की बैठक का सुझाव भी दिया है। आईआईए का मानना है इससे प्रदेश में सरकार की उद्योगों के प्रति प्रतिबद्धता का संदेश प्रदेश, देश एवं विदेश तक जायेगा। इससे निवेश के लिये सरकार को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मुख्य सचिव ने आईआईए के सुझाव का स्वागत करते हुए आश्वासन दिया है कि वे उद्योग बन्धु की सक्रियता को बढ़ाने और इस संस्था को प्रभावी बनाने के लिये शीघ्र ही कार्य योजना तैयार करवायेंगे। आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने मुख्य सचिव को अवगत कराया 15 अगस्त 2017 को जारी शासनादेश जिसमें प्लास्टिक क्राकरी (कप, प्लेट ग्लास आदि) के उत्पादन एवं बिक्री को रोकने के आदेश हैं, इससे प्रदेश में बड़ी तादाद में उद्योग बन्द हो जायेगे। पूर्व में प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग द्वारा प्लास्टिक क्राकरी निर्माताओं एवं विक्रेताओं पर उत्पीडऩात्मक कार्यवाही न करने की व्यवस्था को बहाल कर इन उद्योगों को बंद होने से रोका जा सकता है। मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि इस सम्बन्ध में शीघ्र ही उचित कार्यवाही की जायेगी।
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव को अवगत कराया, सरकार ने नई औद्योगिक नीति में औद्योगिक भूमि सृजन की बात कही है। पर, प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिये पर्याप्त मात्रा में भूमि उपलब्ध नहीं है। भूमि की उपलब्धता के लिये कुछ वर्षों का समय लगेगा और तब तक प्रदेश में निवेश रूका रहेगा। इन परिस्थितियों में ऐसे उद्योग जिनके पास जरूरत से अधिक भूमि है, उनकी लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को इस शर्त पर फ्री-होल्ड कर दिया जाय, कि इसका भू-उपयोग परिवॢतत नहीं किया जा सकता। तो उस भूमि पर बड़ी तादाद में उद्योग स्थापित हो सकते हैं। जानकारों की मानें तो आईआईए के इस सुझाव को यदि प्रदेश सरकार अमली जामा पहनाती है तो जहां नये छोटे उद्योगों की स्थापना में भूमि की उपलब्धता सुगम होगी। वहीं उद्यमी इससे प्राप्त होने वाली पूंजी से अपने उद्योगों की स्थापना और विस्तार कर सकेंगे।
आईआईए ने मेक इन यूपी की सफलता के लिये भारत सरकार के उद्योग विभाग द्वारा मेक इन इण्डिया पर जारी पब्लिक प्रक्योरमेन्ट आर्डर 2017 के अनुरूप कार्य करने की व्यवस्था को मजबूत करने और अन्यथा की स्थिति में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का सुझाव दिया है। आईआईए अध्यक्ष ने कहा, इस आदेश के मुताबिक, घरेलू उत्पादों को सरकारी खरीद में प्राथमिकता दिये जाने का प्रावधान है। प्रदेश में सरकारी विभागों व सार्वजनिक उपक्रमों में लघु उद्योगों से भारी मात्रा में सामान खरीदा भी जाता है। पर, अधिकतर विभाग इसका समय से भुगतान नहीं करते हैं। इससे उद्योग कार्यशील पूंजी के आभाव में बंद होकर बीमार हो जाते हैं। इसके समाधान के लिये आईआईए अध्यक्ष ने सरकार से इन उद्योगों से क्रय किये गये माल का भुगतान अधिकतम 45 दिनों में कराने की मांग की है।
समाधान के लिये बैठकें जरूरी
आईआईए प्रतिनिधि मंडल की बैठक में सहमति बनी कि प्रदेश में औद्योगिक वातावरण को सुदृढ़ करने तथा उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिये इस प्रकार की बैठकें आने वाले समय में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्षों के साथ निरन्तर आयोजित की जायेगी।
उद्यमी महासम्मेलन की तैयारी
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के राज्य स्तरीय उद्यमी महासम्मेलन का प्रस्ताव मुख्य सचिव को सौंपा है। इस राज्यस्तरीय आयोजन में प्रदेश सरकार का सहयोग भी मांगा है। प्रतिनिधि मंडल में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य, पूर्व अध्यक्ष संजय कौल, वीके अग्रवाल, तरुण खेत्रपाल, जीसी चतुर्वेदी, अनिल गुप्ता एवं मनीष गोयल शामिल रहे। साथ ही आईआईए महासचिव केके अग्रवाल मौजूद रहे।