Breaking News
Home / उत्तर प्रदेश / ऐसे पढ़ेगा, तो कैसे बढ़ेगा इण्डिया

ऐसे पढ़ेगा, तो कैसे बढ़ेगा इण्डिया

  • सूबे की राजधानी के समीपवर्ती जनपद बाराबंकी, रायबरेली और कानपुर में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, बाकी प्रदेश का राम ही जानें
  • कानपुर में अमान्य प्रकाशकों की पुस्तकों से भरा बाजार, बाराबंकी में प्राइमरी की मान्यता लेकर दी जा रही इण्टर की शिक्षा
  • रायबरेली के महराजगंज ब्लाक में गुरुकुल से गायब हैं गुरुजी, तो ऊंचाहार में अनियमितता की भेंट चढ़ी यूनीफार्म, टूट रही सिलाई-भसक रहे कपड़े

बिजनेस लिंक ब्यूरो 

000लखनऊ। विभागीय मुलाजिमों की मनमानी शिक्षा व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। राजधानी के गोसाईगंज में स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आये देश के भविष्य झाड़ू लगा रहे हैं। तो वहीं राजधानी के समीपवर्ती जनपद बाराबंकी, रायबरेली और कानपुर में जिम्मेदारों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था पटरी से डिरेल हो गई है। शिक्षक विद्यालयों से लापता हैं। यूनीफार्म पर धंधेबाजों की गिद्धदृष्टि है। कहीं बच्चों को दोयम दर्जे की यूनीफार्म बांट दी गई, तो कहीं अब तक बच्चों को यूनीफार्म के दीदार नहीं हुये हैं।

जानकारों की मानें तो सूबे की राजधानी से सटे रायबरेली जनपद के हरचंदपुर ब्लाक में अब तक सभी स्कूली बच्चों को यूनीफार्म नहीं मिली है। कारण, बच्चों की मौजूदा संख्या अधिक है। पर, विभाग ने यूनीफार्म के लिये कम रकम जारी की है। इतना ही नहीं जिन बच्चों को यूनीफार्म मिली भी, उनकी सिलाई अभी से टूटने लगी है और कपड़े का ताना-बाना जवाब देने लगा है। नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देकर देश को प्रगति के पथ पर ले जाने वाली सरकार के कार्यकाल में भी दलालों का बोलबाला है। जनपद रायबरेली में शिक्षकों को स्कूल जाना पसंद नहीं है। नेतागीरी का चोला पहने यह शिक्षक अरसे से अपने मूल कर्तव्य को ताक पर रखकर ट्रांसफर-पोस्टिंग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह शिक्षक बीएसए कार्यालय के इर्द-गिर्द गप्पे लड़ाते आसानी से देखे जा सकते हैं। पर, इसकी परवाह विभागीय अधिकारियों को नहीं है?

विभागीय जानकारों का दावा है महराजगंज ब्लाक स्थित हलोर कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक आकाशदीप पिछले एक सप्ताह से विद्यालय से बीआरसी कार्यालय में ड्यूटी के नाम पर गायब हैं। प्रधानाचार्य ने बीआरसी कार्यालय में मानव संपदा इंट्री का कार्य बताकर आकाशदीप की उपस्थिति रजिस्टर में चढ़ा दी। प्रधानाचार्य का कहना है बीईओ के मौखिक आदेश पर शिक्षक को बीआरसी कार्यालय भेजा गया। इस बाबत बीईओ महराजगंज का कहना है बीआरसी कार्यालय में किसी भी शिक्षक की ड्यूटी नहीं लगाई गई है। अगर प्रधानाचार्य ऐसा कर रहे हैं तो गलत है। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ल का कहना है मामले की जांच कराई जायेगी। दोषियों को बक्शा नहीं जायेगा। जानकारों का दावा है कि यह तो महज बानगी भर है जनपद में अधिकारियों की लापरवाही व मिलीभगत से शिक्षक विद्यालयों से लापता रहते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है।

वहीं जनपद कानपुर में माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी बोर्ड के कालेजों में कक्षा 9 से 12वीं तक पढ़ाई जा रही विभिन्न विषयों की पुस्तकों का तिलिस्म इतना उलझा और गहरा है कि अभिभावक व प्रधानाचार्य तो दूर विषय शिक्षक भी नहीं समझ पा रहे हैं। जबकि सरकार ने मान्य प्रकाशकों की किताबें ही पढ़ाने का स्पष्टï आदेश दे रखा है। बाजार में बोर्ड से अधिकृत प्रकाशकों की अधिकांश पुस्तकें गायब हैं, जो हैं भी वे निर्धारित मूल्य से दो से तीन गुना अधिक दामों पर बेची जा रही हैं। इतना ही नहीं अनाधिकृत प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें कक्षाओं तक पहुंच गई हैं।

बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव द्वारा 13 जुलाई को जारी किये गये आदेश के मुताबिक, अधिकृत प्रकाशकों की सूची, उनके प्रकाशन की पुस्तकों के लिये तय जिले, पृष्ठ संख्या, अधिकतम मूल्य निर्धारित किया गया है। अधिकारियों को निर्देश दिये गये कि वे प्रकाशकों से संपर्क करके पुस्तकों की कमी न होने दें और अधिकृत प्रकाशकों की निर्धारित पुस्तकों को पढ़ाये जाने की व्यवस्था करें लेकिन जो प्रकाशक जिले के लिए अधिकृत नहीं हैं, उनकी पुस्तकें भी यहां धड़ल्ले से बिक रही हैं और बच्चे उन्हें खरीद रहे हैं। कानपुर के डीआईओएस का कहना है बोर्ड द्वारा मान्य व निर्धारित पुस्तकें ही पढ़ाई जाएंगी। कालेजों के निरीक्षण में पुस्तकों की भी जांच की जाएगी।

रायबरेली में 15 अगस्त को भी शिक्षकों ने बजाई ड्यूटी
15 अगस्त के दिन सभी सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। पर, जनपद रायबरेली में शिक्षक मानव संपदा की इंट्री करते रहे। प्रधानाचार्य ने उपस्थिति रजिस्टर में इनकी उपस्थिति 15 अगस्त को भी बीआरसी कार्यालय में दर्शाई है। इस दिन भी शिक्षक मानव संपदा इंट्री कार्य करने में लगे रहे।

कानपुर में अमान्य पुस्तकों का बोलबाला
हाईस्कूल व इण्टर में हिन्दी, अंग्रेजी सहित कुछ अन्य विषयों के लिए शासन ने पूरे प्रदेश के लिए इलाहाबाद के एक प्रकाशक को अधिकृत किया है, जबकि बाजार व कालेजों में मेरठ के एक प्रकाशक की पुस्तकों का बोलबाला है। प्रकाशक ने मई में ही विषय शिक्षकों व दुकानदारों से संपर्क करके पुस्तकें पहुंचा दी थी। उनका मूल्य भी अधिक है। प्रकाशकों ने कक्षा 11 व 12 का पाठ्यक्रम अलग-अलग होने के बाद तरह-तरह की पुस्तकें छापी हैं। इलाहाबाद के एक प्रकाशक ने दोनों कक्षाओं की प्रथम व द्वितीय प्रश्नपत्र की पुस्तकें अलग-अलग छापीं तो मेरठ के एक प्रकाशक ने दोनों प्रश्नपत्रों का कोर्स एक ही पुस्तक में समाहित कर दिया। अलग-अलग पुस्तकों का कुल मूल्य 70 रुपये है, जबकि पूरे कोर्स की बनी एक ही पुस्तक का मूल्य 150 रुपये तक है।

रायबरेली में दलालों से घिरे बीएसए!
जानकारों की मानें तो रायबरेली में बेसिक शिक्षा के मुखिया को पता ही नहीं कि उनके जनपद में बच्चों की यूनीफार्म से लेकर शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी उन पर मेहरबान हैं जिनकी कारगुजारियां शिक्षा विभाग की साख पर हमेशा सवाल खड़े करती रही हैं। इसकी बानगी ऊंचाहार के परिषदीय विद्यालयों में देखने को मिल जायेगी। ब्लॉक के 108 प्राथमिक व 27 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में हजारों की संख्या में बच्चों को दी जाने वाली यूनीफार्म घोटाले की भेंट चढ़ गई। यहां बच्चों को मिली ड्रेस का कपड़ा बेहद घटिया दर्जे का है। ग्रामीण दिनेश कुमार ने बताया प्राथमिक विद्यालय पूरे लल्ला पाण्डेय में घटिया ड्रेस का वितरण किया गया है इसकी लिखित शिकायत बीईओ, तहसील व जपनदीय अधिकारियों से की गई है। यदि मामले मे निष्पक्ष जांच हुई तो विभाग का बड़ा घोटाला बेपर्दा होना तय है। एसडीएम ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

मुख्यालय से दूर के विद्यालयों में गायब रहते हैं गुरुजी
जानकारों की मानें तो रायबरेली जनपद के शिक्षा अधिकारियों का दूर के ब्लाकों की तरफ ध्यान नहीं हैं, जिस वजह से वहां पर शिक्षा की स्थिति बदतर है। विद्यालयों से शिक्षक कई-कई सप्ताह गायब रहते हैं, लेकिन बीएसए सहित अन्य अधिकारी मुख्यालस से दूर स्थित विद्यालयों में निरीक्षण करने नहीं पहुंचते। निरीक्षण के नाम पर बीएसए महज जिला मुख्यालय के करीब वाले ब्लाकों तक ही पहुंच रहे हैं। जिला मुख्यालय से दूर स्थित महराजगंज, शिवगढ़, बछरावां, खीरों, लालगंज, सरेनी सहित अन्य ब्लाकों से शिक्षक प्रधानाचार्यों व खण्ड शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत के चलते विद्यालयों से गायब रहते हैं।

पूर्व निर्धारित नहीं, औचक निरीक्षण जरूरी
जानकारों की मानें तो बछरावां, शिवगढ़, सतांव, महराजगंज, खीरों व लालगंज ब्लाक में गायब रहने वाले शिक्षक प्रदेश की राजधानी में निवास करते हैं। यह प्रधानाचार्यों व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते स्कूलों से गायब रहते हैं। पर, जिलाधिकारी, बीएसए व अन्य अधिकारियों के सुदूर ब्लाकों में औचक निरीक्षण न करने के चलते यह पकड़े नहीं जाते। इतना ही नहीं अधिकारियों के पूर्व निर्धारित निरीक्षण की भनक इन शिक्षकों को पहले ही लग जाती है, जिस कारण विद्यालयों से गायब रहने वाले शिक्षक ऐसे निरीक्षणों के दौरान स्कूल पहुंच जाते हैं।

तय मूल्य से अधिक में मिल रही किताबें
कानपुर में अधिकृत प्रकाशकों की अधिकतर पुस्तकों का मूल्य बोर्ड द्वारा तय मूल्य से अधिक है। जैसे, 9वीं कक्षा के विज्ञान की पुस्तक का तय मूल्य 48 रुपये है जबकि बाजार में यह 200 रुपये की मिल रही है। शासन द्वारा तय प्रकाशकों की एक ही विषय की समान कोर्स वाली पुस्तकों के मूल्य में भी फर्क है। 11वीं की हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र की एक प्रकाशक की पुस्तक 47, दूसरे की 39 व तीसरे की 36 रुपये में बिक रही है। यही स्थिति दूसरे विषयों की भी है।

बीआरसी में नहीं लग सकती है ड्यूटी
विभागीय जानकारों की मानें तो अक्सर बीआरसी में ड्यूटी लगवा विद्यालयों से गायब रहने वाले शिक्षकों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बीआरसी में ड्यूटी लगाने पर रोक लगाई थी। लेकिन इसके बाद भी बीआरसी कार्यालय में शिक्षकों की ड्यूटी धड़ल्ले से लगाई जा रही है। बीएसए सहित अन्य अधिकारियों की सांठगांठ से विद्यालय से शिक्षक अभी भी गायब रहते हैं। अभी भी शिक्षकों की ड्यूटी बीआरसी कार्यालय में जरूरी काम बताकर लगाई जा रही हैं।

About Editor

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>