- पूर्वांचल विकास सहित जीएसटी पर भी उद्यमियों ने रखी अपनी राय, की सुधार की मांग
- कृषि को प्रोत्साहित करके सुधारी जा सकती है देश व प्रदेश की आॢथक दिशा व दशा
लखनऊ। उद्यमियों व व्यापारियों की संगोष्ठïी में इंडस्ट्रियल यूनाइट डेवलेपमेंट फाउण्डेशन आईयूडीएफ ने राज्य सरकार द्वारा बनाई जा रही नई औद्योगिक नीति में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और संचालन में हो रही गंभीर समस्याओं को दूर करने वाली नीतियों को शामिल करने की मांग की है। उद्यमिता विकास संस्थान में आयोजित संगोष्ठïी में इसके अलावा पूर्वांचल विकास मॉडल और जीएसटी पर भी चर्चा हुई।
सरकार द्वारा बनाई जा रही नई औद्योगिक नीति में उद्यमियों की विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान को सम्मिलित करने के लिये आईयूडीएफ ने प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में कराये गये सर्वे के दौरान उद्यमियों की राय ली है। औद्योगिक नीति पर चर्चा करते हुये उद्यमी अनिल बंसल ने अपने अनुभव साझा करते हुये बताया, किस तरह लाल फीताशाही के चक्कर में प्रदेश का औद्योगि विकास बाधित हो रहा है। देश से होने वाले निर्यात में उत्तर प्रदेश का बड़ा हिस्सा महज इस लिये शामिल नहीं हो पा रहा है क्योंकि हमारी वर्तमान औद्योगि नीति की व्यवस्था इसमे बाधक बनी हुई है। निर्यात को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था का अभाव है।
आईयूडीएफ लखनऊ चैप्टर के चेयरमैन रीतेश श्रीवास्तव ने प्रदेश में निॢमत उत्पादों को सरकारी खरीद में प्राथमिकता देते हुये इसे नई औद्योगिक नीति में शामिल करने की मांग की। साथ इन्हें अलग से सुविधा दी जाय जिससे यह उद्योग फल-फूल सके। आईयूडीएफ महासचिव ने बताया कि कई वर्षों से जमीन पर कार्य करने के बाद उत्तर प्रदेश डेवलेपमेंट फोरम यूपीडीएफ के बैनर तले पूर्वांचल विकास का माडल तैयार किया गया है। प्रसिद्ध कृषि निर्यातक कन्हैया लाल निषाद ने पूर्वांचल विकास मॉडल पर चर्चा करते हुये कहा कृषि को प्रोत्साहित करके देश व प्रदेश की आॢथक दिशा व दशा सुधारी जा सकती है।
कन्हैया निषाद ने सरकार से मांग करते हुये कहा यह दुर्भाग्य है कि देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान होने के बावजूद अब तक कृषि को उद्योग का दर्जा नहीं मिला, यह दुर्भाग्य है। यदि सरकार किसानों को समय पर उचित तकनीकि सहायता व संसाधन उपलब्ध कराये तो आगामी दो वर्षों के अन्दर पूरे प्रदेश के खेत, खलिहान और किसान की दशा व दिशा बदल सकती है। प्रतिवर्ष ४५० करोड़ रुपये का कृषि निर्यात करने वाले कन्हैया निषाद के प्रयासों से महाराष्ट, तमिलनाडु, कर्नाटक व मध्य प्रदेश में सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने इसे साझा किया।
आईयूडीएफ के महासचिव शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने राज्य सरकार से अपील करते हुये कहा कृषि क्षेत्र में कन्हैया निषाद द्वारा विभिन्न प्रान्तों में किये गये कार्यों को सूबे में भी लागू कर विशेषकर पूर्वांचल के खेत-खलिहानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। संगोष्ठ की अध्यक्षता उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक एएस राठौर और अरविन्द राही ने की। मुख्य अतिथि सीए पवन तिवारी, विशिष्टï अतिथि अरविन्द राही सहित प्रवीन श्रीवास्तव, सरोजनी नगर औद्योगिक क्षेत्र के अध्यक्ष नीलमणि बाजपेयी, रेफ्रिजरेटर इंडस्ट्री के पंकज शर्मा सहित अन्य प्रतिष्ठित उद्यमी मौजूद रहे।
छोटे उद्यमियों को मिले राहत
जीएसटी विधेयक पर व्यापारियों व उद्यमियों ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि छोटे उद्यमियों व व्यापारियों को कागजी कार्रवाई में उलझाने का प्रयास किया जा रहा है। सीए पवन तिवारी और प्रवीन श्रीवास्तव ने कहा कि छोटे उद्योगों को जीएसटी के नाम पर साल भर में ३७ रिटर्न फाइल करने को मजबूर किया जा रहा है। जीएसटी के तहत पूर्व निर्धारित एक्साइज ड्यूटी की लिमिट घटाने से इस सीमा में तमाम छोटे उद्योग आ रहे हैं। इतना ही नहीं इस सीमा में जो उद्योग नहीं हैं वह भी अपना पंजीकरण कराये अन्यथा उन्हें बाजार में माल बेचने में दिक्कत होगी। इस नई व्यवस्था में के्रता-विक्रता द्वारा फाइल किया गया रिटर्न एक समान होना अनिवार्य है। किसी पक्ष से गलती होने पर दोनों पक्षों को इसका हर्जाना उठाना होगा, यह सरासर गलत है, जिस पक्ष की गलती हो उस पर ही कार्रवाई हो।