शैलेन्द्र यादव
- हस्तांतरण और समय-विस्तारण पर यूपीएसआईडीसी का फोकस
- एक वर्ष की मैराथन परिक्रमा के बाद निदेशक मण्डल के निर्णय पर उद्योग प्रतिनिधि को मिला आवंटन पत्र
- आवंटन पत्र में लगाई गई ऐसी शर्तें कि इकाई स्थापना अभी दूर की कौड़ी
- वहीं जिन आवंटियों ने दशकों से स्थापित नहीं की इकाई, ऐसे कथित उद्यमियों पर यूपीएसआईडीसी प्रबंध तंत्र मेहरबान
लखनऊ। राज्य सरकार सूबे में अधिक से अधिक निवेश के लिये जापान, फिनलैंड, चेक गणराज्य और अमेरिका सहित विदेशी निवेशकों को लुभा रही है। वहीं दूसरी ओर यूपीएसआईडीसी के अधिकारियों की भगाऊ कार्यप्रणाली से देशी निवेशक बेहाल हैं। विभागीय जिम्मेदार राज्य में 375 करोड़ का निवेश करने वाले उद्योग प्रतिनिधि को एक वर्ष से परिक्रमा लगवाते रहे। इस निवेश को हाथों-हाथ लेने के बजाय उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम प्रबंध तंत्र एक वर्ष तक भूखण्ड आवंटन पर निर्णय न लेकर अपना फोकस वर्षों से खाली पड़े औद्योगिक भूखण्डों के हस्तांतरण और समय-विस्तारण पर केन्द्रित किये रहा। एक वर्ष बाद निगम के निदेशक मण्डल की 296वीं बैठक में भूखण्ड आवंटन पर जिम्मेदारों की सहमति बन सकी।
निदेशक मण्डल की बैठक में निगम के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में वर्षों पूर्व आवंटित अनुपयोगी भूखण्डों के हस्तांतरण और समय-विस्तारण के लिये आवेदन करने की अन्तिम तिथि तीन माह बढ़ाकर ऐसे कथित उद्यमियों को राहत दी गई जिन्होंने दशकों से औद्योगिक इकाई स्थापित नहीं की है, जबकि नियमत: भूखण्ड आवंटन के अधिकतम तीन वर्ष में औद्योगिक इकाई की स्थापना अनिवार्य है। निगम प्रबंध तंत्र ने 14 जून 2017 को भूखण्ड हस्तान्तरण व समय-विस्तारण के आवेदन लेने की अन्तिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की। इस अवधि में निगम के क्षेत्रीय कार्यालय आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, बरेली, फैजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, सूरजपुर, ट्रोनिका, ईपीआईपी नोयडा, एसईजेड मुरादाबाद, वाराणसी और ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी में हस्तांतरण के 858 और समय-विस्तारण के 839 आवेदन मिले। निगम प्रबंध तंत्र ने भूखण्ड हस्तांतरण के आवेदनों में बेहद दिलचस्पी दिखाते हुये 337 आवेदनों का निस्तारण कर दिया, जबकि 521 मामलों में अनिर्णय की स्थिति बनी रही।
क्षेत्रीय प्रबंधकों ने समय-विस्तारण के आवेदनों पर भी कुछ ऐसी ही दिलचस्पी दिखाते हुये १६९ प्रकरण निस्तारित किये और 670 मामलों में आरएम और कथित उद्यमियों के मध्य बैठकों का दौर जारी रहा। निदेशक मण्डल की 25 सितम्बर 2017 को संपन्न हुई बैठक में भूखण्डों के हस्तांतरण और समय-विस्तारण के आवेदनों को शीघ्र निस्तारण के लिये क्षेत्रीय प्रबंधकों के अधिकार भी बढ़ा दिये गये। इस नई व्यवस्था के तहत आरएम को पांच एकड़ तक के ऐसे औद्योगिक भूखण्ड जिनकी आवंटन अवधि की कोई समय-सीमा नहीं होगी, के निस्तारण का अधिकार दे दिया गया। इसके बाद से क्षेत्रीय प्रबंधक निर्धारित शुल्क पर आवेदनों का निस्तारण करने में व्यस्त हैं। इतना ही नहीं वर्षों पूर्व भूखण्ड आवंटित कराने वाले कथित उद्यमियों को राहत देते हुये निगम प्रबंध तंत्र ने फिर से भूखण्ड हस्तांतरण व समय-विस्तारण की समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसम्बर कर दी है। सूत्रों की मानें तो कथित उद्यमियों पर इस मेहरबानी के बाद हस्तांतरण और समय-विस्तारण के आवेदनों की संख्या कई गुना बढ़ी। यह सिलसिला जारी है।
वहीं दूसरी ओर सूबे में 375 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली कंपनी ग्रीनप्लाई के प्रतिनिधि को निगम में पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध बताये जाने वाले यूपीएसआईडीसी प्रबंध निदेशक कोई राहत न दे सके। बीते एक वर्ष से अनिर्णय की स्थिति में निवेशक शासन-प्रशासन की परिक्रमा लगाने को मजबूर रहे। कंपनी ने औद्योगिक भूखण्ड के लिये यूपीएसआईडीसी में अक्टूबर २०१६ में आवेदन किया था। हरदोई जनपद स्थित निगम के औद्योगिक क्षेत्र सण्डीला में इस कंपनी को ३४ एकड़ भूखण्ड आवंटित करने के लिये निगम प्रबंध तंत्र ने एक वर्ष से अधिक का समय लगा दिया। सूबे में 375 करोड़ के निवेश वाला यह प्रकरण औद्योगिक विकास मंत्री, तत्कालीन व वर्तमान मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास आयुक्त और प्रमुख सचिव के संज्ञान में भी था। बावजूद इसके भूखण्ड आवंटन में की गई यह देरी निवेश के लिये प्रतिबद्ध राज्य सरकार के प्रयासों पर कुठाराघात है। एक वर्ष से अधिक की भागदौड़ के बाद ग्रीनप्लाई को निदेशक मण्डल की बैठक में दर्जनों शर्तों के साथ भूखण्ड आवंटन का निर्णय लिया गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो औद्योगिक भूखण्ड आवंटन में अतिरिक्त शर्तों के नाम पर यूपीएसआईडीसी प्रबंध तंत्र ने ऐसी-ऐसी शर्तें लगाई हैं जिससे फिलहाल सूबे में इस कंपनी के प्लांट की स्थापना अभी दूर की कौड़ी है।
बीते वर्ष यूपीएसआईडीसी ने रिक्त भूखण्डों के आवंटियों को नोटिस देकर उद्योग लगाने के लिए प्रेरित करने की व्यवस्था बनाई। वर्तमान प्रबंध निदेशक ने कार्यकाल संभालते ही क्षेत्रीय प्रबंधकों को वर्षों पूर्व आवंटित अनुपयोगी भूखण्डों को रद्द करने का फरमान सुनाया। फिर अचानक इन औद्योगिक भूखण्डों के हस्तारण और समय-विस्तारण के आवेदन प्राप्त करने की समय-सीमा दो-दो बार बढ़ा दी। वहीं ग्रीनप्लाई जैसी बड़ी निवेशक कंपनी के प्रतिनिधि को परिक्रमा लगवाते रहे। जिम्मेदारों की ऐसी उपेक्षित कार्यपद्धति से सूबे में कैसे आयेगा निवेश और कैसे दूर होगी बेरोजगारी। यह सवाल चिंतनीय है।
ट्रांसगंगा में भी हस्तांतरण- समय विस्तारण शुरू
यूपीएसआईडीसी की जनपद उन्नाव स्थित ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी अभी जमीन पर हकीकत नहीं बन पाई है। यहां कोई औद्योगिक इकाई भी प्रारम्भ नहीं हुई है, लेकिन यहां औद्योगिक भूखण्डों के हस्तांतरण और समय-विस्तारण का खेल शुरू हो गया है। इस हाईटेक सिटी में निगम प्रबंध तंत्र को 31 अगस्त तक हस्तांतरण के 17 और समय-विस्तारण के 40 आवेदन प्राप्त हुये। हस्तांरण के इन आवेदनों में कई आवेदन निगम प्रबंध तंत्र ने निरस्त भी कर दिये। जिम्मेदारों ने कुछ ऐसी ही दिलचस्पी औद्योगिक भूखण्डों के समय-विस्तारण में दिखाई है। समय सीमा बढऩे के बाद इन आवेदनों की सख्या में और इजाफा हुआ है। इस हाईटेक औद्योगिक सिटी में भूखण्डों का निर्धारित मूल्य 10,850 रुपये प्रति वर्ग मीटर है।
एक वर्ष बाद भूखण्ड आवंटन पर निर्णय, लगाई गई यह शर्तें
यूपीएसआईडीसी के एक आधिकारी ने नाम न छापने पर बताया, निगम प्रबंध तंत्र ने ग्रीनप्लाई के भूखण्ड आवंटन में जो शर्तें लगाई गई हैं। उन्होंने अपने तीन दशकों के कार्यकाल में ऐसी अव्यवहारिक शर्तें पहली बार देखी-सुनी हैं। यह शर्तें हैं, प्रस्तावित इकाई की स्थापना के लिये जो भी अनुमतियां व स्वीकृतियां, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों, शासनादेशों अथवा अधिनियमों व नियमों के तहत आवश्यक होगीं, उन्हें समय से प्राप्त करने का पूर्ण उत्तरदायित्व स्वयं आवंटी का होगा। साथ ही सभी अनापत्तियां व अनुमतियां प्राप्त करने के उपरान्त ही इकाई की स्थापना की शर्त लगाई गई है। इसके अलावा अन्य सभी शर्तों का अनुपालन व आवश्यक अनुमतियां प्राप्त न होने की स्थिति में आवंटी द्वारा भूखण्ड समपर्ण अथवा आवंटन निरस्त करवाने पर कुल प्रीमियम की 25 प्रतिशत धनराशि जब्त करने की शर्त लगाई गई है। साथ ही पूंजी निवेश के सत्यापन के लिये आवंटी द्वारा प्रत्येक छह माह में सीए प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है।
औद्योगिक क्षेत्र आवेदन हस्तांतरण आवेदन समय विस्तारण मूल्य प्रति वर्ग मीटर
अलीगढ़ 82 135 3500
गाजियाबाद 133 102 16,803 + 5000 मेट्रो सेस
सूरजपुर 186 149 11,640
ट्रोनिका सिटी 134 94 13,550
(31 अगस्त 2017 तक प्राप्त आवेदन)
Business Link Breaking News