लखनऊ। जिम्मेदार महकमों का गड्ढामुक्त सड़कों का दावा बारिश ने खोखला साबित कर दिया। लाखों के बजट के बावजूद गड्ढामुक्त सड़कों का सपना कागजों में सिमट गया है। प्रमुख मार्गों से लेकर गलियों तक की सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। बारिश से गड्ढायुक्त हो चुकी सड़कें जहां जनता के लिए सफर में मुश्किलें पैदा कर रही हैं तो वहीं जिम्मेदार महकमों की खोखली दलील भी बेनकाब हो चुकी है। शासन के गड्ढामुक्त सड़कों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है बावजूद इसके जिम्मेदार खोखली दलीलें देने से बाज नहीं आ रहे है। जिम्मेदारों की खोखली दलीलों को बेनकाब करने की रही सही कसर बारिश ने भी पूरी कर दी है। बीते कई दिनों हुई बारिश ने स्थिति और भी खराब कर दी है। बारिश से जहां नगर निगम की 60 फीसदी से अधिक सड़कों को नुकसान पहुंचा है तो वहीं एलडीए की सड़कों की क्षति का प्रतिशत भी 30 के आसपास है। नगर निगम व एलडीए की सड़कों का आलम यह है कि बारिश से बजरी पूरी तरह से उखड़ चुकी है। वहीं जिन गड्ढों को बारिश से पहले बंद किया गया था, बारिश के बाद वहां पहले से अधिक गड्ढे हो चुके हैं। शहर की सड़कों पर उखड़ी पड़ी बजरी हादसे का सबब बन रही है। सड़कों उखड़ी पड़ी बजरी व गड्ढा किसी एक इलाके में नहीं बल्कि पूरे शहर में दिखायी पड़ रहे हैं। हाल फिलहाल नगर निगम व एलडीए की ओर से क्षतिग्रस्त सड़कों की लिस्ट कराई जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल बनायी जा रही सड़कों की गुणवत्ता का है जो बारिश के एक मौसम की बजाय एक बार की तेज बारिश तक नहीं झेल पा रही हैं। गुणवत्ता बढ़ाने की बजाय जिम्मेदार महकमें सड़कों को गड्ढामुक्त करने पर ही पूरा ध्यान लगाए हुए हैं।
कॉलोनी के विकास के लिए 367 करोड़
एलडीए की बात की जाए तो वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कॉलोनी के विकास पर करीब 367 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। कुल धनराशि का एक बड़ा हिस्सा सड़क निर्माण पर खर्च किए जाएगा। हाल ही में ही एलडीए की ओर से आधा दर्जन से अधिक कॉलोनी नगर निगम को ट्रांसफर की गई है। इनमें से ज्यादातर कॉलोनी में सड़कें लापता हैं। ऐसे में यह बजट कहां खर्च होगा, बड़ा सवाल है।
सिर्फ सड़क के लिए ही 70 लाख
वार्ड के विकास के लिए हर पार्षद को पार्षद निधि में करीब 70 लाख रुपये वार्डों में सड़क-नाली निर्माण के लिए दिए जाते हैं। बावजूद इसके वार्डों की गलियों में सड़कों की हालत बदतर है। शहर में 15 से अधिक वार्ड ऐसे हैं, जहां एक भी सड़क बेहतर हालत में नहीं है। वार्डों की गलियों का मेंटीनेंस या निर्माण न होने की प्रमुख वजह समय से पार्षद निधि राशि जारी न होना है। निगम प्रशासन की उदासीनता से वार्डों में सड़क आदि का निर्माण और मेंटीनेंस नहीं हो पा रहा है।
सभी वार्डों से शिकायत
राजधानी में नगर निगम के कुल 110 वार्ड हैं। गड्ढायुक्त हो चुकीं सड़कों की बदहाली का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि शहर का कोई ऐसा वार्ड नहीं है जहां से शिकायत न हो। हर वार्ड के पार्षद की ओर से बदहाल सड़कों को लेकर नगर निगम प्रशासन से सवाल किया गया है। पार्षदों के सवाल पर निगम प्रशासन की ओर से सभी को आश्वासन तो दिया गया है लेकिन अभी तक एक भी सड़क के निर्माण या मेंटीनेंस के लिए कदम नहीं उठाया गया है।
एक नजर (नगर निगम)
मार्ग और सड़क
मद- नए निर्माण कार्य
वर्ष- 2016-17
व्यय- 665.78 लाख
वर्ष- 2017-18
व्यय- 600 लाख
1 अप्रैल से 31 दिसंबर 17 तक खर्च-524.90 लाख
वर्ष-2018-19
व्यय-500
मद- मरम्मत और नवीनीकरण
वर्ष-2016-17
व्यय-6878.67 लाख
वर्ष-2017-18
व्यय-9000 लाख
1 अप्रैल से 31 दिसंबर 17 तक खर्च-5302.69 लाख
वर्ष-2018-19
व्यय-6000 लाख
बीते साल की तुलना में इस वर्ष बारिश अधिक हुई है। बारिश से ज्यादातर सड़कें उखड़ गई हैं। सभी वार्डों में बदहाल सड़कों का सर्वे कराया जा रहा है, ताकि हर वार्ड में प्रत्येक क्षतिग्रस्त सड़क का मेंटीनेंस कराया जा सके।
डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त
हमारा पूरा प्रयास है कि शहर की हर सड़क गड्ढामुक्त हो। इसके लिए समय-समय पर सड़कों का सर्वे कराया जाता है। किसी इलाके में कोई सड़क खराब है या नई सड़क के निर्माण की आवश्यकता है तो तत्काल निर्णय लेकर काम शुरु कराया जाता है।
संयुक्ता भाटिया, मेयर