- गोमती नगर के विभूति खंड में नौ करोड़ की लागत से बनाए गए पांच मंजिला लखनऊ हाट हो गया जर्जर
- 50 दुकानों के अलावा कई हाल पड़े है खाली, नहीं मिल रहे दुकानदार
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हस्तशिल्पियों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए लखनऊ हाट की स्थापना करवायी ही नहीं, बल्कि वहां उनके लिए सुचारू व्यवस्था तक करवायी, लेकिन समय की मार ने उस व्यवस्था को भी चूना लगा दिया। वैसे तो पर्यटन निगम ने हाट को हस्तशिल्पियों की मदद के लिए शुरू किया था, लेकिन इसका किराया 60 रुपये प्रति वर्ग फीट तय किया गया। यही नहीं महाजन बना पर्यटन निगम दुकानदारों से 18 फीसद ब्याज, 15 फीसद सर्विस टैक्स, बिजली के खर्च के साथ- साथ जनरेटर के लिए पांच रुपये वर्ग फीट के हिसाब से शुल्क भी वसूलता है। हालांकि अब की हालत तो ये है कि वहां साफ- सफाई तो दूर केयर टेकर तक नजर नहीं आते है। पहले के दुकानदार कहते हैं कि पर्यटन निगम इतना वसूलता है फिर भी चल जाता, लेकिन तब जबकि दुकानदारी होती। आरोप यह है कि अधिकतर बंद पड़ी दुकानों के कारण जो लोग नियमित रूप से दुकानें खोल भी रहे थे उनके लिए किराया निकालना तक मुश्किल हो गया था। ऐसे में उन्होंने निगम से किराया माफ करने के लिए कई बार गुहार लगाई जिसके बदले में उन्हें निरस्तीकरण की नोटिस थमा दी गई। यह तब है जब बात करीब डेढ़ साल पुरानी हो चुकी है। पूर्व मंत्री शिव प्रताप यादव ने औचक निरीक्षण कर हाट की दशा सुधारने के लिए कहा भी था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इस संबंध में पर्यटन मंत्री आर.बी जोशी से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन वे शहर से बाहर थी।
प्रचार- प्रसार में खो गयी पहचान
हाट में 50 दुकानें व हाल बने हैं, जिसमें से पर्यटन निगम द्वारा महज 35 दुकानों का ही आवंटन बड़ी मुश्किल से किया जा सका था। हालांकि इनमें से कई आवंटी तो ऐसे थे जिन्होंने आज तक दुकानों के शटर ही नहीं खोले हैं। ऐसे में जिन लोगों ने दुकानें खोली भी, लेकिन आसपास बंद दुकानों को देख जो ग्राहक आते भी वह वहां तक पहुंच ही नहीं पाते। यही नहीं निगम ने हाट की लोकप्रियता के लिए भी जो प्रयास करने चाहिए थे वह नहीं किए। इससे शुरुआत में तो लोगों ने रुचि दिखाई लेकिन वहां बंद दुकानें देखकर दोबारा रुख ही नहीं किया। ग्राहकों के न पहुंचने के कारण जो दर्जन भर दुकानें खुल भी रही थीं उनमें से निगम ने एक ताजा आदेश कर सात दुकानों को निरस्त करने का नोटिस थमा दिया था। सीएम की मंशा के विपरीत निगम लखनऊ हाट पर ताला लगाने की फिराक में है। क्योंकि दुकानें तो एक भी नहीं खुल रही है।