- कैसे रुके कर चोरी जब एसटीएफ ही संसाधन विहीन
- अधिकारियों के बैठने के लिए कमरे तक नहीं
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश में टैक्स माफियाओं से मुकाबला करने के लिए वाणिज्य कर मुख्यालय में तैयार की गयी एसटीएफ की लम्बी-चौड़ी फौज टैक्स माफियाओं से मुकाबला तो तब कर पाएगी, जब वह पूरी तरह से सक्रिय होगी, फिलहाल इसकी कोई उम्मीद अभी नजर नहीं आ रही है। प्रदेश के किन-किन जनपदों में प्रान्त बाहर से टैक्सचोरी का माल आ रहा, किन-किन पंजीकृत फर्मो द्वारा रिटर्न में दिखायी गयी खरीद-बिक्री संदेह के घेरे में है, इसकी खोज तो तब शुरू हो होगी जब अधिकारियों के खुद बैठने की जगह की खोज पूरी होगी।
प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभाग के लिए यह बात सुनने में तो जरूर अटपटी लग रही है, लेकिन पूरी तरह से सच है, क्योंकि एसटीएफ के अधिकारियों के पास न तो बैठने के लिए कमरा है और न कम्प्यूटर है और न ही गाड़ी है। विभाग के जोनल एडीशनल कमिश्नर कार्यालयों में तैनात एसआईबी के अधिकारी एसटीएफ की इस लाचारी को समझ चुके हैं, और ये भी मान चुके हैं कि जब मुख्यालय प्रशासन ही एसटीएफ को गंभीरता से नहीं ले रहा है तो हमे भी लेने की कोई जरूरत नहीं है। शायद यही कारण है कि जोन कार्यालयों में तैनात एडीशनल कमिश्नर- ग्रेड-2 एसटीएफ द्वारा मांगी गयी जानकारी देने के बजाए एसटीएफ के अधिकारी वेतन किस बात का ले रहे हैं इसका हिसाब तक लेने लगे हैं। ये अच्छी बात है ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि अगर एसटीएफ स्थापित हो गयी तो नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर के अलावा कई जनपदों में टैक्स चोरी पर लगाम लग जाएगी जो शायद कई लोगों को गवारा नहीं है।
देश के सबसे बड़े उपभोक्ता राज्य यूपी में टैक्सचोरी पर पूरी तरह से लगाम लगे, इसी सोच के साथ मुख्यालय में प्रवर्तन कार्यों के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन दो माह पूर्व किया गया था। इसकी दो विंग दोनों के प्रभारी के तौर पर एडीशनल कमिश्नर- ग्रेड-2 की तैनाती की गयी है, जिसमें से एक ज्वाइंट कमिश्नर की कुछ दिन पूर्व लखनऊ मंडल कार्यालय में तैनाती होगी अब इस महत्वपूर्ण विंग के पास एक ज्वाइंट कमिश्नर भी कम है। विभाग के अपर मुख्य सचिव कर एवं निबन्धन आलोक कुमार सिन्हा एसटीएफ से ये अपेक्षा करते हैं कि ये विंग प्रान्त के विभिन्न जनपदों के आकड़ों के आकलन के जरिए टैक्सचोरी के बड़े मामलों का खुलासा करे, गौर करने वाली बात ये है कि आकड़ों का आकलन आनलाइन सिस्टम के जरिए ही किया जा सकता है, लेकिन ये होगा तब जब अधिकारियों के पास कम्प्यूटर होंगे। शायद यही कारण है कि गठन के बाद से एसटीएफ ने छापे की कोई कार्रवाई नहीं की है जिस पर अपर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों हुई बैठक में नाराजगी भी जाहिर की थी लेकिन वह जमीनी हकीकत से कुछ दूर हैं। प्रदेश में फैले टैक्स माफिया पर तभी लगाम लगेगी जब एसटीएफ स्थापित होगी, इसके लिए जरूरी ये है कि कार्यों के साथ ही एसटीएफ व मुख्यालय की सेन्ट्रल मोबाइल यूनिटों की मौलिक जरूरतों की भी समीक्षा की जाए।