- 1195.89 करोड़ रुपये है हाउस टैक्स बकाया
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। नगर निगम लखनऊ में हाउस टैक्स पर ब्याज की रकम 38452 करोड़ रुपये है। यह ब्याज 811,37 करोड़ रुपये के बकाया हाउस टैक्स पर लगा है। आवासीय पर ब्याज समेत कुल 468.64, अनावासीय पर 575,84 तथा राजकीय भवन पर कुल 151,41 करोड़ मिलाकर कुल 1195.89 करोड़ हाउस टैक्स बकाया है। नगर निगम सीमा में करीब पांच लाख भवनों से गृहकर वसूली न होने से ब्याज भी वसूला नहीं जा सका है। भवन स्वामी भी हाउस टैक्स जमा करने से बच रहे हैं।
नगर निगम का वार्षिक बजट बनाने वाले अफसर व लेखा विभाग टैक्स वसूली के लिए लक्ष्य तो निर्धारित कर देता है लेकिन टारगेट के सापेक्ष वसूली में सालभर कोई सख्ती नहीं दिखायी जाती है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के अंतिम महीने में टारगेट को हासिल करने के लिए छुट्टियों में कार्यालय खोले जाते हैं। इससे अनावश्यक बिजली खर्च नगर निगम पर बढ़ रहा है। आवासीय व अनावासीय भवनों से हाउस टैक्स की शत-प्रतिशत वसूली में निगम फेल है। हालात कुछ ऐसे हैं कि नगर निगम के अपने खर्चों का वहन कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस समस्या से उबरने के लिए नगर निगम प्रशासन के पास सिर्फ हाउस टैक्स ही मजबूत विकल्प है। वित्तीय वर्ष की शुरूआत से ही हाउस टैक्स वसूलने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया जाता है। गत वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार 350 करोड़ रुपए वसलूने का लक्ष्य है।
४० फीसदी अनावासीय भवनों का कर निर्धारण नहीं
चालीस फीसदी से अधिक अनावासीय भवन, बाजार एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से गृहकर वसूली नहीं हो रही है। बजट की कमी ने नगर निगम के हाथ बांध दिए हैं। गत दिनों में वसूली की समीक्षा बैठक में सख्ती के बाद लक्ष्य को पूरा करने के लिए जोनवार जोनल अधिकारी तथा कर अधीक्षकों की ओर से बकाएदारों को नोटिस भेजना शुरू किया गया। साल भर तक जोनल अधिकारी, कर अधीक्षक तथा कर निरीक्षक की ओर से वसूली के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जबकि मार्च नजदीक आते ही टारगेट को पूरा करने की होड़ शुरू हो जाती है।
ट्रस्ट एंड वेरीफाई नीति का नहीं हो रहा अनुपालन
महापौर ने सरलीकरण प्रक्रिया के तहत ट्रस्ट एंड वेरीफाई नीति लागू करने का निर्णय कार्यकारिणी में लिया गया है। हालांकि इसका अनुपालन तक नहीं हो सका है। वहीं यह निर्देश हुए थे कि आठ जोन में कम्प्यूटर आपरेटर आपत्तियां फीड करेंगे। जिनका समयबद्ध तरीके से निस्तारण हो। नगर आयुक्त ने कार्यकारिणी को आश्वासन दिया था कि एक पोर्टल बनेगा। आउटसोर्सिंग से एक-एक कम्प्यूटर आप्ॉरेटर हर जोन में टैक्सेसन संबंधी शिकायत दर्ज करने के लिए लगाया जाएगा। कार्यकारिणी के मिनट्स बीते वर्ष 15 मार्च को जारी हो चुके हैं। मगर अनुपालन अभी तक नहीं हो सका है।
स्थानीय निकायों में एकमुश्त समाधान योजना यानी ओटीएस योजना को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। मगर लखनऊ नगर निगम ने इस पर सहमति नहीं जतायी है। उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड ने नगर विकास के माध्यम से निकायों से उनके सुझाव मांगे थे। बीते दिनों नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के साथ नगर निगम लखनऊ एवं अन्य सम्बंधित अधिकारियों की बैठक हुई। ओटीएस को लेकर बैठक में सहमति नहीं बन सकी है माना जा रहा है कि ओटीएस लागू होने पर नगर निगम को ब्याज की रकम से नुकसान उठाना पड़ सकता है, जबकि इस सुविधा के शुरू होने पर बड़ी संख्या में बकाएदार टैक्स नहीं जमा करेंगे। इससे नगर निगम के पास जो कुछ टैक्स के रूप में आय हो रही है वह भी कम हो जाएगी। इसी के चलते लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों ने इसे न लागू करने पर असहमति जतायी है। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हो सका है। नगर निगम की अभिलेखों में 60 प्रतिशत अनावासीय संपत्तियां हैं। लखनऊ नगर निगम की ओर से तर्क दिया गया कि ओटीएस के लिए नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 221 2 के तहत कार्रवाई की जानी उचित होगी। नगर पालिका वित्तीय संसाधन बोर्ड ने इसे तर्कपूर्ण व न्याय संगत नहीं बताया।