Breaking News
Home / Breaking News / घनी बाजारों में किसका खौफ!

घनी बाजारों में किसका खौफ!

  • राजनीति की आड़ में व्यापारी लगाते हैं राजस्व को चूना

  • वाणिज्य कर अधिकारी खाौफ में नहीं मारते छापा

  • व्यापारी राजनीति को फं्रट में रखकर अधिकारियों को लेते हैं रौब में 

  • व्यापार मंडल के कई धुरंधर नेता कराते है टैक्स चोरी

  • कुछ बड़ेे व्यापारियों ने अधिकारियों से पूरे बाजार की कर रखी है सेटिंग

लखनऊ। राजधानी में ७00 व्यापार मंडल की पूरी सेना है। जो व्यापारी उत्पीडऩ और समस्याओं के लिए हमेशा कार्य करने का दावा करते रहे हैं। पर व्यापारियों की इस फौज का डर कुछ ऐसा है कि वाणिज्य कर अधिकारी शहर की कुछ खास बाजारों में सिर्फ जागरूकता के लिए ही पहुंच पाते है।

उनकी इतनी हिम्मत नहीं हो पाती है कि वे इन व्यापारियों की फौज का सामना कर पाये। ये बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि व्यापारी नेता सियासी दलों को चमका रहे हैं और वे दल उनको पूरा संरक्षण देते है।

अब दूसरे पहलू को देखें तो आए दिन व्यापारी उत्पीडऩ के मामले सामने आते हैं। लेकिन उनके पीछे उत्पीडऩ का आरोप वाणिज्य कर अधिकारियों पर ही थोपा जाता है, हालांकि इसमें कोई गुरेज नहीं है। लेकिन मजे की बात ये है कि वाणिज्य कर विभाग के आलाधिकारी शहर की कई पुरानी बाजारों तक जांच या छापा मारने आखिर क्यों नहीं पहुंंचते है।

इस सवाल के जवाब में अनौपचारिक रूप से कई अधिकारी मानते हैं कि उन्होंने यदि प्राचीन बाजारों में छापा मारा तो उन्हें भारी विरोध या मारपीट का सामना करना पड़ सकता है। इस डर के चलते अधिकारी अमीनाबाद, नक्खास, पांडेयगंज, यहियागंज, चारबाग, चौक, लाटूश रोड, रकाबगंज आदि प्राचीन बाजारों में जाने से कतराते है।

shopping-in-aminabad-lucknow

बताया जाता है कि इन क्षेत्रों में कई व्यापारी नेताओं की धमक के आगे वाणिज्य कर अधिकारी अपने को बौना समझते है। करोड़ों रुपये का कारोबार करने वाले बड़े कारोबारियों का गढ़ कहलाये जाने वाले इन बाजारों में करोड़ों की टैक्स चोरी भले ही हो जाए लेकिन यहां जांच करने की हिम्मत जुटा पाना अधिकारियों के लिए आसान नहीं है।

व्यापार मंडल की फौज के आगे अधिकारी बौने साबित

शहर में चलने वाली वाणिज्यकर विभाग की जांच टीम शहर की प्राचीन बाजारों में छापे डालने व जांच करने में असमर्थ रही है। पिछले कई सालों में इन प्राचीन बाजारों में डर के चलते या व्यापारी नेताओं के दबाव की वजह से अधिकारी जांच करने नहीं जाते है। हर बड़ी बाजार में व्यापारियों की फौज के आगे अधिकारी बौने साबित होते रहे है, यही वजह है कि बाजारों में करोड़ों की टैक्स चोरी प्रतिदिन की जा रही है।

रौब इतना कि नहीं बनाते बिल

इन बड़ी बाजारों के बड़े शो-रूम को छोड़ दिया जाए तो किसी भी दुकान में ग्राहकों को पक्का बिल नहीं दिया जाता है, जिसकी आड़ में कारोबार जीएसटी में खूब खेल करते है। क्योंकि कच्चे मॉल के हिसाब के बजाए वह अपने हिसाब से तय करते है और उन पर जीएसटी देनी है या नहीं उसके मालिक वे खुद होते हैं।

पहले ही हो जाती है सेङ्क्षटग

यदि कारोबारियों को जांच या छापे की खबर लगती है तो पहले ही संबंधित अधिकारी से सेङ्क्षटग हो जाती है ताकि दुकान पर छापा न पड़े। मजे की बात तो ये भी पता चली है कि छापे की सूचना व्यापारियों को वाणिज्यकर स्टॉफ के लोग ही पहुंचाते है। इसके बदले उनको भी मुंह दिखाई कारोबारियों की तरफ से मिलती है।

छापा पड़े तो खुलेेंगे कई दबे राज

सूत्र बताते है कि यदि कारोबारियों और वाणिज्य कर अधिकारियों की पोल खोलनी हो तो प्राचीन बाजारों में छापेमारी की जाएं, जिससे इन बाजारों में दबे हुए राज सामने आ सके और टैक्सचोरी का पर्दाफाश हो। हालांकि इन इलाकों के कारोबारियों ने अधिकारियों से सेटिंग ऐसी बैठा रखी है कि अधिकारी वहां तक पहुंचते ही नहीं है।

About admin

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>