एसआईबी टीम ने रिटर्न न फाइल करने वाली बड़ी फर्मों पर कसा शिकंजा
सेवाकर क्षेत्र में पंजीकृत हैं सभी फर्में
लखनऊ। वाणिज्य कर विभाग की विशेष जांच टीम (एसआईबी) ने सेवाकर में पंजीकृत तीन फर्मो पर छापा- मारकर करीब तीन करोड़ का भारी भरकम टैक्स जमा कराया है। हालांकि इस कार्रवाई को टैक्सचोरी की संज्ञा तो नहीं दी जा सकती, लेकिन सरकारी राजस्व को दबाकर रखने का मामला जरूर बनता है। इस मामले की खास बात ये है कि लखनऊ जोन प्रथम के अधिकारियों ने जिन फर्मो पर कार्रवाई की है, ये सभी सेवाकर में पंजीकृत हैं, जिनसे टैक्स वसूल करने की पहली जिम्मेदारी सेन्ट्रल एक्साइज विभाग की बनती है। अब इन फर्मो से वसूला गया कर एवं जुर्माना दोनों ही विभागों के मद में जाएगा।
दरअसल लखनऊ जोन प्रथम की विशेष जांच टीम (एसआईबी) के चीफ अनंजय कुमार राय ऐसी बड़ी फर्मो के ऑनलाइन रिटर्न की जांच करा रहे हैं, जो कारोबार करने के बाद भी रिटर्न नहीं फाइल कर रहे हैं। इसमें विशेष कर कंस्ट्रक्श्न कम्पनियां व सरकारी विभागों की ठेकेदारी फर्मे हैं, जिनका करोड़ों का कारोबार उनको रडार पर रखा गया है। इसी रिसर्च के दौरान एसएस कंस्ट्रक्शन कम्पनी जो औरंगाबाद लखनऊ के पते पर पंजीकृत है। नजर में आयी एसआईबी चीफ ने फर्म के रिटर्न के जांच की जिम्मेदारी ज्वाइंट कमिश्नर राजेश सिंह को सौंपी। जांच आगे बढऩे पर पता चला कि फर्म द्वारा ई-वे बिल के माध्यम से भारी मात्रा में भवन निर्माण की सामाग्री तो मंगायी जा रही है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2018-19 का रिटर्न नहीं दाखिल किया गया है। इसके बाद फर्म पर ज्वाइंट कमिश्नर राजेश सिंह व डिप्टी कमिश्नर डा. मुकेश व वाणिज्य कर अधिकारी अभिषेक निगम ने छापा-मार दिया। प्रपत्रों की जांच करने पर पता चला कि फर्म ने केवल अप्रैल 2018 में जीएसटीआर-3 बी दाखिल किया था इसके बाद कोई रिटर्न दाखिल ही नहीं किया।
बताते चलें कि टैक्स प्रणाली का ये वह प्रारूप होता है, जिसमें कारोबारी को हर माह की खरीद/ बिक्री पिछले व्यापारी को दिया गया टैक्स (इनपुट क्रेडिट टैक्स) को समायोजित करने के बाद खुद पर बनी टैक्स की देनदारी का विवरण देना होता है। इसके अलावा फर्म द्वारा जीएसटीआर-1 भी नहीं दाखिल किया गया था, जिसमें कारोबारी को यह बताना होता है, उसने किस बिल नम्बर से किस व्यापारी को माल बेचा, क्योंकि जीएसटी में माल बेचने वाले व खरीदने वाले दोनों ही व्यापारियों की इनवाइज का मिलान होना जरूरी है, इसके आधार पर व्यापारी को इनपुट के्रडिट टैक्स का लाभ मिलता है।
जांच में खुलासा हुआ है की फर्म का अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक कुल दस माह का कोई रिटर्न तो दाखिल नहीं किया गया जबकि फर्म को 34 करोड़ 87 लाख का भुगतान प्राप्त किया गया। फर्म पर शिकंजा कसते ही 2 करोड़ 12 लाख का स्वीकृत टैक्स वसूल किया गया। विभाग अब इस धनराशि पर ब्याज की वसूली का भी प्रयास कर रहा है। इसी तरह सीपेल कंस्ट्रक्शन कंपनी की भी जांच इसी टीम द्वारा की गयी, इस फर्म ने नवम्बर 2018 की जीएसटीआर-3 नहीं दाखिल किया, जबकि फर्म की वित्तीय वर्ष 2017-18 की घोषित सप्लाई 23 करोड़ थी, लेकिन फर्म ने कोई टैक्स नहीं जमा किया।
एसआईबी चीफ अनंजय कुमार राय के निर्देश पर फर्म पर भी छापा- मारा इसके बाद 60 लाख का देय टैक्स वसूल कर लिया गया है, जबकि 12 लाख ब्याज के रूप में वसूल करने की कार्रवाई चल रही है। इसी तरह एक अन्य मामले में मेसर्स नाइट डिडेक्टिव एंड सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापा मारा गया। इस फर्म द्वारा अप्रैल 2018-19 का जीएसटीआर-3 बी नहीं दाखिल किया गया था। इस फर्म ने सितम्बर 2018 में जीएसटीआर-3 बी दाखिल किया था, जिसमें 2 करोड़ 80 लाख का टर्नओवर घोषित किया गया था। इस फर्म से 29 लाख का टैक्स जमा कराया गया है, जबकि 20 लाख का टैक्स जमा होना है। इस तरह से इन तीनों मामलों को मिलाकर कुल 3 करोड़ का टैक्स वसूला गया है।