जिलाधिकारी ने दिया सेटेलाइट बस स्टेशन शुरु करने का निर्देश
सपा सरकार में भी शहर के बाहरी इलाकों में बस अड्डे को लेकर हुए थे प्रयास
जगह चिन्हित होने के बाद भी नहीं शुरु हो सका बसों का संचालन
शहीद पथ के पास, सीतापुर रोड व आवास विकास में पी-4 पार्किंग को किया गया था चिन्हित
एलडीए ने दो साल में मांगा बस अड्डे के लिए लीज पर ली जा रही जमीन का भुगतान
लखनऊ। पॉलीटेक्निक चौराहे समेत शहर के अन्य स्थानों पर रोडवेज बसों के चलते लगने वाले जाम से निजात दिलाने की कवायद एक बार फिर से की जा रही है। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने इस बाबत रोडवेज अधिकारियों को अस्थायी बस अड्डे से बस संचालन बंद करने और शहर के बाहरी इलाकों में सेटेलाइट बस स्टेशन की कवायद में तेजी लाने का निर्देश दिया है। जाम से छुटकारा पाने की यह कवायद पुरानी लकीरें पीटने वाली है। डीएम की ओर से जाम से निजात दिलाने के लिए उठाया जा रहा कदम नया नहीं है। बल्कि सूबे में पूर्व की समाजवादी सरकार में भी यह प्रयास तेज गति के साथ किया जा चुका है। लेकिन सारे प्रयास अंतत: सफलता का पायदान नहीं चढ़ पाये। दरअसल जिला प्रशासन की ओर से जाम से निजात के लिए जो निर्देश परिवहन निगम को दिया जा रहा है, उसमें तकनीकी दिक्कतें आड़े आ रही हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण से जो जमीनें बस स्टेशन के लिए लीज पर ली जानी है उसका निर्धारित मूल्य चुका पाना निगम के लिए सपने सरीखा है। वह भी तब जबकि एलडीए लीज पर ली जाने वाली जमीन का मुआवजा चुकाने के लिए 15 साल की बजाय महज 2 साल का समय दे रहा है। वहीं परिवहन निगम जमीन के मूल्य का 10 प्रतिशत भुगतान कर बाकी बची धनराशि को 15 सालों में किस्तों में देने की बात कह रहा है। एलडीए व निगम के बीच जमीन के मूल्य को लेकर की जा रही खींचतान से फिर वही हालात बन गये हैं। जैसे हालात पूर्व में किये जा रहे प्रयास के दौरान बने थे। निगम सूत्रों की मानें तो जमीन की कीमत दो साल में अदा करने की बात से परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक ने भी इनकार कर दिया है। वहीं वर्तमान समय में निगम के जो हालात हैं उस स्थिति में इतने कम समय में भुगतान किया जाना कहीं से भी संभव नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में सेटेलाइट बस स्टेशन की कवायद बिना सरकारी अनुदान के परवान चढ़ती नहीं नजर आ रही है। बताते चलें कि जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बीते दिनों रोडवेज अफसरों के साथ बैठक में पॉलीटेक्निक चौराहे से बसों का संचालन बंद करने और शहर के बाहरी इलाकों में सेटेलाइट बस अड्डों की कवायद में तेजी लाने का निर्देश दिया था। बैठक में तय किया गया कि शहर में यातायात का दबाव कम करने के लिए सेटेलाइट बस अड्डों पर तेजी से काम हो। डीएम के मुताबिक रोडवेज ने पहले से ही चिनहट, सीतापुर रोड पर जानकीपुरम विस्तार और आवास विकास में पी-4 पार्किंग की जगह बस अड्डों के लिए चिन्हित कर रखी है।
जमीन चिन्हित करने तक बढ़ी कवायद
सेटेलाइट बस स्टेशन की कवायद पहले से लेकर अब तक जितनी बार की जा सकी वह जमीन चिन्हित होने तक सीमित रह गयी। इसके पीछे बड़ी वजह लीज पर ली जाने वाली जमीन के भुगतान की है। निगम की माली हालत ऐसी नहीं है कि वह कम समय में लीज पर ली जाने वाली जमीन के करोड़ों रुपये का भुगतान कर सके। परिवहन निगम के अधिकारियों की मानें तो डीएम की ओर से भले ही सेटेलाइट बस स्टेशन को शुरु करने का निर्देश दिया गया है लेकिन एलडीए द्वारा कम समय में जमीन के भुगतान करने की शर्त से यह मामला आगे बढ़ता नहीं नजर आ रहा है।
निगम ने मांगा 15, एलडीए ने दिया दो साल का समय
सेटेलाइट बस स्टेशन के लिए एलडीए से लीज पर ली जाने वाली जमीन के भुगतान के लिए परिवहन निगम 15 साल का समय मांग रहा है। वहीं एलडीए निगम को जमीन के भुगतान के लिए केवल दो साल का समय दे रहा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि जमीन की कीमत का 10 प्रतिशत भुगतान कर बस स्टेशन दे दिया जाए और शेष बची 90 प्रतिशत धनराशि का भुगतान 15 सालों में किस्तों पर कर दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए एलडीए तैयार नहीं है। सीतापुर रोड स्थित जमीन की कीमत 36 करोड़ आंकी गयी थी जबकि शहीद पथ के किनारे स्थित होटल कम बस अड्डे की जमीन के लिए 4 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था।
जाम न लगने को लेकर उठाया कदम
जिलाधिकारी ने परिवहन निगम, आरटीओ, यातायात विभाग और मेट्रो के अलावा तमाम सरकारी महकमों के अफसरों के साथ बैठक में शहर में यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने को मंथन किया था। बैठक में पॉलीटेक्निक चौराहे पर रोडवेज बसों द्वारा अतिक्रमण करने का मामला सामने आने पर डीएम ने परिवहन निगम को वहां से अस्थायी बस अड्डा को पूरी तरह से हटाने के साथ वहां पर खोले गये काउंटर को भी हटाने का आदेश दिया। ताकि बस अड्डों से निकलकर बसें सीधे अपने गंतव्य तक जाएं और शहर में जाम की स्थिति न बने।
ई- रिक्शा का भी तय हो मार्ग
डीएम ने बैठक में आरटीओ को निर्देश दिए कि शहर में बेतरतीब आटो और ई-रिक्शा का भी रूट निर्धारित किया जाए। डीएम ने ई-रिक्शा के परमिट जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने शहर की यातायात व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने के साथ आरटीओ और यातायात विभाग को इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।