सहकारिता अनुभाग तन्त्र की मिलीभगत से हुई जालसाजी
जिनके खिलाफ दर्ज है एफआईआर उन्हीं से कराईजा रही जांच
कजालसाजों ने कर ली प्रबंध समिति की बैठक, किसी सदस्य को पता ही नहीं
समिति सचिव ने आवास आयुक्त से की शिकायत, सितम्बर 2016 में दर्ज हुआ मुकदमा
पुलिस अब तक न कर सकी कार्रवाई, न्यू गोल्डन सिटी में जालसाजों का फर्जीवाड़ा
तथाकथित बैठक में सचिव को बेदखल कर बिल्डर को बेची करोड़ों की जमीन
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। सहकारी व्यवस्था के तहत घर का सपना देखने वालों के अरमानों पर जालसाजों ने भ्रष्टïाचार का तेजाब फेर दिया है। कृष्णानगर कोतवाली क्षेत्र स्थित न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति की अधिकृत प्रबंध समिति की काल्पनिक बैठक में काली कमाई के रास्ते निकाल लिये गये। सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर से जारी हुये कार्यवृत्त पर प्रबंध समिति सदस्यों का कहना है कि इस बैठक में हम लोग मौजूद नहीं थे और न ही इसकी हमें जानकारी थी। इतना ही नहीं जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है उन्हीं को जांच अधिकारी बना दिया गया है। आवास आयुक्त को लिखे शिकायती पत्र में समिति सचिव ने यह आरोप लगाते हुये कहा है सहकारिता अनुभाग जालसाजों एवं भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन गया है।
जानकारों की मानें तो न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति प्रबंध तन्त्र की फर्जी बैठक में करोड़ों का वारा न्यारा करने के लिये समिति सचिव को बेदखल कर दिया गया। जालसाजों ने एक नई कंपनी बनाकर समिति की लगभग १० करोड़ की बेशकीमती जमीन फर्जी रिकार्डों के आधार पर बेंच ली। समिति का फर्जी बैंक खाता खुलवाकर लगभग एक करोड़ रुपये निकाल लिये। यह मामला तत्कालीन आवास आयुक्त के संज्ञान में होने के बावजूद जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। इस प्रकरण में एक राजनैतिक पार्टी के कुछ कोआॢडनेटरों के साथ ही आवास एवं विकास परिषद के अपर आयुक्त-अपर निबंधक, सहायक निबंधक-सहायक आयुक्त सहकारिता, आवास अधिकारी आदि की संलिप्तता बताई जा रही है। सचिव ऋषि कुमार ने सहकारी आवास समिति के आवासीय भूखण्डों के इस घोटाले में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद मुख्यालय स्थित सहकारिता अनुभाग के आलम्बरदारों की संलिप्तता के गंभीर आरोप लगाये हैं। नामजद एफआईआर भी दर्ज कराई है।
समिति सचिव ने आवास आयुक्त को दिये शिकायती पत्र में लिखा है उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम-1965 एवं सहकारी समिति नियमावली-1968 के तहत संचालक मण्डल की बैठक बुलाने के लिये सचिव अधिकृत है। पर, 26 अप्रैल 2016 को संचालक मण्डल की बैठक मैंने नहीं बुलाई। प्रबंध समिति का कोई सदस्य इसमें शामिल नहीं हुआ। इसलिये यह बैठक असंवैधानिक है। जो तथाकथित कार्यवृत्त जारी हुआ उस पर पदेन सदस्य ने हस्ताक्षर नहीं किये, जो हस्ताक्षर हैं वह फर्जी हैं।
इतना ही नहीं शिकायती पत्र में आगे लिखा है कि आवास एवं विकास परिषद के सहकारिता अनुभाग में तैनात अपर आवास आयुक्त राम प्रकाश, आवास अधिकारी संजय सिंह आदि का इस जालसाजी में बड़ा योगदान है। थाना गौतमपल्ली में 26 सितम्बर 2016 को नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी गई है। इसके अलावा समिति का फर्जी खाता खुलवाकर लगभग एक करोड़ रुपये निकालने के आरोप में कोतवाली हजरतगंज में जालसाजी का अभियोग पंजीकृत कराने के लिये प्रार्थना पत्र भी दिया गया है। आवास आयुक्त को दिये गये शिकायती पत्र में लिखा है, आप अवगत हैं कि समिति को नुकसान पहुंचाने वाले जिन जालसाजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है उन्हीं से जांच कराई जा रही है। यह अन्याय है। समिति सचिव ने सहकारिता अनुभाग के अलावा किसी भी स्वतन्त्र एजेन्सी से प्रकरण की जांच करवाने का अनुरोध भी किया। पर, इस अनुरोध को तत्कालीन आवास आयुक्त आरपी सिंह ने अनसुना कर दिया।
समिति सचिव का आरोप है कि अपर आवास आयुक्त ने फर्जी कागजों के आधार पर आवास समिति के सचिव को बदल कर समिति जालसाजों के नाम कर दी। समिति संचालक संतोष त्रिपाठी के बयान के आधार पर गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज कराया। समिति सचिव ने आवास आयुक्त, अपर आवास आयुक्त एवं अपर निबंधक सहित राजधानी पुलिस से न्याय की गुहार लगाई। पर, ऊंची पहुंच वाले भूमाफियाओं के सामने सभी चुप रहे। अब देखना यह है कि योगी सरकार का एंटी भू-माफिया स्क्वायड सहकारी आवास समिति की बेशकीमती जमीन की जालसाजी में क्या कार्रवाई करता है।
यह सभी आरोप निराधार हैं। सहकारी आवास समितियों के भूखण्ड खरीद फरोख्त में रजिस्ट्रार का कोई लेना-देना नहीं होता है। यह प्रकरण मेरे पूर्व का है, लगभग दो बीघे जमीन बेंची गई थी। मैंने इस पर रोक लगाई थी। जांच चल रही है।
राम प्रकाश, अपर आवास आयुक्त एवं अपर निबंधक, उप्र आवास एवं विकास परिषद