लखनऊ। गौतममार्ग स्थित व्यापार मंडल भवन में आयोजित वाणिज्यकर विभाग की कार्यशाला में व्यापारी और अधिकारी बीते बुधवार को आमने- सामने थे। मौका था जीएसटी को लेकर फैली भ्रांतियों और टैक्स को लेकर व्यापारियों की शंका समाधान का। अधिकारियों ने व्यापारियों के सवालों पर क्रमवार उत्तर दिये और तमाम मसलों को सुलझाने की कोशिश भी की, लेकिन कई व्यापारियों को जवाब से संतुष्ठिï नहीं हुई। कार्यशाला की शुरुआत कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने की।
अधिकारी व व्यापारी मिलकर राजस्व बढ़ाएं। अधिकारी व्यापारियों का शोषण नहीं बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान करें। यह बात प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने वाणिज्य कर विभाग द्वारा आयोजित जीएसटी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही। इस अवसर पर वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने व्यापारियों को जीएसटी के बारे में बताया तथा व्यापारियों की शंकाओं का समाधान किया। विधि व न्याय मंत्री ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार व्यापारियों का किसी स्तर पर शोषण न हो इसके लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारी व व्यापारी एक दूसरे के पूरक हैं। अधिकारियों का दायित्व व्यापारियों की समस्याओं का निदान कर उनका सहयोग करना है। अधिकारियों व व्यापारियों के आपसी तालमेल से ही राजस्व बढ़ सकता है। व्यापारी के कर से सरकार को राजस्व मिलता है। यदि सरकार व अधिकारी व्यापारी का पक्ष सुनकर मदद नहीं करेंगे तो राजस्व कैसे मिलेगा। अधिकारियों को व्यापारियों का सम्मान करना चाहिए। लखनऊ व्यापार मण्डल के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि व्यापारियों के ज्ञापन के कारण जीएसटी का सरलीकरण किया गया है। व्यापारी अभी जीएसटी प्रक्रिया से पूरी तरह अगवत नहीं है इसलिए उनको अधिकारियों से अधिक सहयोग की अपेक्षा है। वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने कहा कि संगठन ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जीएसटी में संशोधन के लिए ज्ञापन दिया था जिसके फलस्वरूप 16 संशोधन किये गये हैं। संगठन इस तरह की कार्यशालाएं पूरे प्रदेश में लगाने में वाणिज्य कर विभाग की मदद करेगा। जोन एक के एडिशनल कमिश्नर बुद्धेश मणि ने कहा कि प्रदेश के राजस्व में 60 फीसद राजस्व वाणिज्य कर के माध्यम से आता है। विभाग व्यापारियों को जीएसटी की जानकारी देने तथा व्यापारियों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है। एडिशनल कमिश्नर अपील चन्द्रिका प्रसाद ने कहा कि अभी तक वैट में प्रदेश में सामान खरीदने पर आईटीसी मिलता लेकिन अब पूरे देश में सामान खरीदने पर आईटीसी मिलेगा। प्रान्तीय बिक्री पर केन्द्र द्वारा लगायी जाने वाली जीएसटी को सीजीएसटी कहा जाएगा और राज्य द्वारा लगायी जाने वाली टीएसटी को एसजीएसटी कहा जाएगा। बीस लाख तक वार्षिक टर्न ओवर करने वाले व्यापारियों को जीएसटी से बाहर रखा गया है लेकिन व्यापारी चाहे तो उनको जीएसटीएन नम्बर दिया जाएगा। जीएसटी सेल मुख्यालय के असिस्टेंट कमिश्नर देवेश तिवारी ने बताया कि व्यापारियों के लिए सुविधा केन्द्र खोले जाएंगे। व्यापारियों के सवाल का जवाब देते हुए अधिकारियों ने बताया कि नये व पुराने फार्म 38 पर एक लाख तक सामान मंगवाया जा सकेगा। व्यपारी पुराने फार्म 38 पर अपने खण्ड से मोहर लगवा सकता है।
कार्यशाला में रहे ये अधिकारी
व्यापारियों के सवालों पर एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-१ प्रथम जोन बुद्धेश मणि और वीपी सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी सेल मुख्यालय देवेश तिवारी, डिप्टी कमिश्नर खंड-५ पीएन यादव, खंड-८ अजय श्रीवास्तव, खंड- ७ के शिवआसरे सिंह, खंड-३ गुलाब चंद, खंड-६ शैलेश सिंह, खंड-८ प्रेरणा सिंह, खंड-७ रूबी सिंह, खंड- ४ बब्बू यादव, खंड-५ संजय सिंह, खंड-३ अल्का सिंह, खंड-३ कुमार अमित, खंड-८ सुमित शिवा, खंड-७ ज्योति रानी, खंड- ४ रविकान्त व खंड- ५कुमार गौरव सहित कई अधिकारी वाणिज्य कर विभाग की तरफ से व्यापारियों के सवाल देने के लिए मौजूद थे।