100 से अधिक एआरएम, 47 यातायात अधीक्षकों व सैकड़ों बाबूओं का निगम में हुआ तबादला
बड़ी संख्या में हुए तबादलों से निगम को हो रहा नुकसान
बड़ी संख्या में तबादलों के बावजूद जुगाड़ वाले बच गए
लखनऊ। बीती 31 मई को सरकार की तबादला नीति समाप्त हो गई। तबादला नीति के तहत परिवहन निगम में सैकड़ों अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला दूर-दराज क्षेत्रों में कर दिया गया। बड़े पैमाने पर किए गए तबादलों से नुकसान यह हो रहा है कि पहले से मैन पावर से जूझ रहे विभाग और निगम में काम पूरी तरह ठप पड़ गया है। कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी के चलते हर रोज करीब ढाई करोड़ रुपए का सीधे तौर पर नुकसान परिवहन निगम को हो रहा है। वहीं अब तक की बात की जाए तो करीब 35 करोड़ रुपए का नुकसान परिवहन निगम को हो चुका है, वहीं आगे इससे ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद भी परिवहन निगम के जिम्मेदार जता रहे हैं। पहली बार बाबुओं के इतने बड़े स्तर पर हुए तबादले के चलते चाहे बसों की समय-सारिणी हो या फिर आय का लेखा-जोखा, यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाएं हों या फिर दफ्तर से संबंधित कोई भी काम, तबादलों से विभाग व निगम को अभी फिलहाल काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। जानकारों की मानें तो इतने बड़े स्तर पर हुए तबादलों से विभाग व निगम हर स्तर पर काफी पीछे चला जाएगा। परिवहन निगम के 20 परिक्षेत्रों में से तबादला नीति के तहत आने वाले दर्जनभर से ज्यादा क्षेत्रीय प्रबंधकों का तबादला कर दिया गया। इसके अलावा करीब 100 से ज्यादा सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों, 47 यातायात अधीक्षकों और सैकड़ों बाबुओं को इधर से उधर कर दिया गया। बाबुओं के तबादले का मकसद था कि निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरु प्रसाद का कहना है कि ज्यादा दिन तक जमे रहने के चलते अधिकारी और कर्मचारी अपना तंत्र विकसित कर लेते हैं, जिससे भ्रष्टाचार फैलता है। तबादला नीति के तहत ऐसे ही अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला किया गया है। इससे आने वाले दिनों में परिवहन निगम में भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने नहीं आएंगी। हालांकि यह बात अलग है कि अभी इससे कुछ दिन नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
ट्रांसफर हुए कर्मियों ने नहीं संभाला कार्यभार
बीती 31 मई तक अंतिम तबादला सूची जारी होने के बाद भी अभी तक बहुत सारे अधिकारियों-कर्मचारियों ने नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। ऐसे कर्मियों के कार्यभार ग्रहण करने के लिए एमडी पी. गुरु प्रसाद ने पत्र लिखा है। सभी प्रधान प्रबंधक संचालन, प्राविधिक और क्षेत्रीय व सेवा प्रबंधकों को लिखे पत्र में एमडी ने कहा है कि यह संज्ञान में आया है कि तबादले के बाद भी बहुत सारे कार्मिकों ने नवीन तैनाती की जगह पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, यह आदेश की अवहेलना है। स्थानांतरित जो कार्मिक आप सभी के अधीन कार्यरत हैं उनको तत्काल अवमुक्त किया जाए और स्थानांतरण के बावजूद कार्यभार न ग्रहण करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों की सूची निगम मुख्यालय को उपलब्ध कराएं। साथ ही स्थानांतरित हुए कार्मिकों का जून माह का वेतन वर्तमान तैनाती स्थल से न निर्गत किया जाए।
जिनकी सेटिंग उनकी हो गयी वापसी
भले ही तबादला नीति के तहत अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले करने में परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरु प्रसाद ने जितनी भी ईमानदारी दिखाई हो, लेकिन सेटिंग वाले अधिकारियों और बाबू के सामने उनकी भी एक न चली। लिहाजा, कई दागी अधिकारी और कर्मचारी वापस अपनी कुर्सी पर आ गए हैं। सीतापुर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विमल राजन का तबादला कर दिया गया था, लेकिन बड़ी जुगाड़ भिड़ाकर राजन वापस सीतापुर में एआरएम की कुर्सी पर काबिज हो गए। कानपुर के झकरकटी डिपो से लखनऊ के चारबाग के बस स्टेशन मैनेजर बनाए गए राजीव कटियार भी जुगत भिड़ाकर वापस कानपुर लौट गए। इतना ही नहीं बात लखनऊ के एक भ्रष्टाचारी बाबू की, की जाए तो उसके आगे भी बड़े-बड़े अधिकारी नतमस्तक हो गए। बाबू ने क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में फिर से कुर्सी थाम ली। वहीं झकरकटी डिपो के ही एक बाबू की बात की जाए तो करीब 10 से 12 वर्ष का समय गुजार देने के बाद बावजूद उसका तबादला नहीं किया गया। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि तबादला नीति की धज्जियां नहीं उड़ीं, तो गलत होगा।