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बजट के अभाव में टल सकता है मेट्रो विस्तार का प्रोजेक्ट!

रेड लाइन का कार्य मेट्रो ने पूरा कर लिया 

अधिकारियों की माने तो अभी स्थितियां पूर्ण रूप से स्पष्टïï नहीं है, अब तक ब्लू लाइन का कोई टेंडर ही नहीं हुआ

लखनऊ। लखनऊ मेट्रो के विस्तार के लिए चारबाग से बसंतकुंज के बीच ब्लूलाइन पर निर्माण शुरू होना है। 11 किमी. लंबे इस रूट के लिए बजट में प्रतीकात्मक बजट आवंटित न किए जाने से प्रोजेक्ट के अगले साल शुरू होने पर संशय पैदा हो गया है। माना जा रहा है कि ब्लूलाइन का काम अब 2020-21 के लिए टाल दिया जाए। अभी तक प्रदेश सरकार से ब्लूलाइन की डीपीआर को अनुमोदित कराकर केंद्र सरकार को भेजा नहीं जा सका है। एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच 23 किलोमीटर लंबी रेडलाइन का काम लखनऊ मेट्रो 2018-19 में पूरा कर चुका है। 24 फरवरी तक सीएमआरएस के निरीक्षण के बाद संरक्षा अनुमति मिलने पर किसी भी समय कॉमर्शियल रन शुरू हो जाएगा। इसके बाद 2019-20 में ब्लूलाइन पर काम शुरू होना संभावित माना जा रहा था।

metro copy
प्रदेश सरकार ने दूसरे शहरों की मेट्रो के लिए बजट आवंटित तो किया लेकिन, भूमि अधिग्रहण और दूसरे कामों के लिए प्रदेश सरकार के राज्यांश के लिए लखनऊ मेट्रो को कोई बजट नहीं दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार से डीपीआर स्वीकृत होने की दशा में भूमि अधिग्रहण शुरू करने के लिए पहले ही प्रदेश सरकार ने अनुमति नहीं दी है। हालांकि मेट्रो अधिकारियों की माने तो अभी स्थिति पूर्ण रूप से स्पष्ठï नहीं है, लेकिन सरकार और मेट्रो प्रबंधन पूरी कोशिश में है कि विस्तार कार्य का निर्माण जल्द शुरू करने की दिशा में वे आगे बढ़े।

सीजी सिटी में हैंडओवर नहीं हो रही जमीन
लखनऊ मेट्रो फायदे में चले और यात्रियों से मिलने वाले किराए पर निर्भर न रहे, इसके लिए सीजी सिटी में लखनऊ मेट्रो को करीब 150 एकड़ जमीन मिलनी प्रस्तावित है। इस जमीन में से अब एक बड़ा भाग विधान भवन के निर्माण के लिए प्रस्तावित कर दिया गया है। ऐसे में मेट्रो को जमीन हैंडओवर नहीं की जा रही है। इस जमीन के व्यावसायिक और आवासीय उपयोग से होने वाली आय से मेट्रो का फयदे में संचालन सुनिश्चित किया जाना था।

केंद्र सरकार की अनुमति का इंतजार
मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि अब केंद्र सरकार से ब्लूलाइन की डीपीआर को अनुमति मिलने का इंतजार है। 4835 करोड़ रुपये की संशोधित डीपीआर को अनुमति के लिए भेजा जाना है। यह बजट 70 प्रतिशत भूमिगत और 30 प्रतिशत एलीवेटेड रूट पर खर्च किया जाना है।

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