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बजट बिना बैरिकेडिंग

  • तीनों एलीवेटेड सडक़ों के लिये सेतु निगम को अब तक मिली है कुल बजट की 10 प्रतिशत धनराशि 
  • इन तीनों निर्माण परियोजनाओं पर कुल प्रस्तावित खर्च है 714.98 करोड़ रुपये 
  • हुसैनगंज से डीएवी कॉलेज, हैदरगंज क्रासिंग से मियां बेकरी और हैदरगंज क्रासिंग से नीबू पार्क के पहले तक बननी हैं यह एलिवेटेड सडक़ें
  • बेतरतीब जाम से निजात दिलाने के लिये बीते दिनों गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था शिलान्यास

बिजनेस लिंक ब्यूरो 

लखनऊ। राजधानी में चरक चौराहे से हैदरगंज तिराहा, हैदरगंज तिराहे से मिल एरिया पुलिस चौकी और लालकुआं से डीएवी कॉलेज तक तीन फ्लाईओवर बनने हैं। लगभग 714.98 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इन निर्माण कार्यों के सापेक्ष शासन ने कार्यदायी संस्था को महज 10 प्रतिशत बजट जारी किया है, जो यूटिलीटी स्थानांतरण आदि कार्यों के लिए ही नाकाफी है। पर, जगह-जगह बैरीकेटिंग लगाकर आमजन का रास्ता रोक दिया गया है। पर्याप्त बजट के अभाव में निर्माण के नाम पर कागजी कसरत हो रही है।

जानकारों की मानें तो इन रूटों पर बिजली के खंभे, सीवर लाइन और जलापूॢत की लाइनें शिफ्ट होनी हैं। यूटिलिटी स्थानांतरण के लिए संबंधित विभागों ने सेतु निगम को जो प्रस्तावित बजट सौंपा है, वह शासन से अब तक जारी हुये कुल बजट से अधिक है। बजट के फेर में निर्माण कार्य अभी कागजों के बाहर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है। पर, जगह-जगह लगाई गई बैरीकेटिंग आमजन की राह जरूर रोक कर खड़ी हैं। गौरतलब है कि विद्युत संबंधी यूटिलिटी स्थानांतरण के लिए लगभग तीन माह पूर्व सेतु निगम प्रबंध तंत्र संबंधित विभाग को भुगतान कर चुका है। पर, लेसा तंत्र का कहना है कि यह अनुमानित बजट से कम है। बता दें कि सेतु निगम ने चरक चौराहे से हैदरगंज तिराहा, हैदरगंज तिराहे से मिल एरिया पुलिस चौकी और लालकुआं से डीएवी कॉलेज तक क्रमश: 2.75 करोड़, २.५० करोड़ और पांच करोड़ रुपये का भुगतान लगभग तीन माह पहले ही लेसा को कर दिया है।

सेतु निगम के सूत्रों की मानें तो बीते अगस्त माह में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में व्यवस्था बनी थी कि इन मार्गों से यूटिलिटी का स्थानांतरण जल्द करा दिया जाय, जिससे निर्माण कार्य समय से पूरा हो सके। इन फ्लाईओवरों के रूट से बिजली के पोल और लाइनें हटाने का कार्य प्रारम्भ न होने के पीछे लेसा तंत्र का तर्क है कि इन तीनों रूट पर यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये लगभग 32 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इसका प्रस्ताव सेतु निगम को दिया गया था, जिसके सापेक्ष निगम ने महज 10 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया है, जिससे यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये टेण्डर करा दिये गये हैं।

गौरतलब है कि राजधानी के चौक, हैदरगंज व हुसैनगंज के जाम से निजात दिलाने के लिए इन परियोजनाओं का खाका खींचा गया है। अत्यधिक भीड़भाड़ वाले इलाके चरक चौराहा चौक से हैदरगंज क्रासिंग व हुसैनगंज से डीएवी कालेज तक तीन एलिवेटेड सडक़ों पर लगभग 714.98 करोड़ रुपये की धनराशि का खर्च प्रस्तावित है। जनहित में इन निर्माणों को शासन ने हरी झंडी दी है, मगर बजट के अभाव में यह निर्माण कार्यों की गति बेहद सुस्त है। शासन से स्वीकृति मिलते ही एलिवेटेड रोड बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर करते हुए लोकसभा चुनाव से पहले राजधानी के लोगों को इन तीनों एलिवेटेड रोडों का तोहफा देने के दावे जरूर हुये थे, लेकिन वास्तविकता अलग है। जगह-जगह लगाई गई बैरीकेटिंग आमजन को निर्माण कार्य होने का एहसास जरूर कराती है। पर, बजट के अभाव में निर्माण साइटों पर महज खानापूॢत ही हो रही है।

बता दें कि हैदरगंज क्रासिंग के आगे मीना मार्केट के नजदीक बनने वाले आसमानी मार्ग की लम्बाई 2,478 मीटर है और इसकी अनुमानित लागत 449.96 करोड़ है। यहीं से प्रारम्भ होकर चरक चौराहे पर उतरने वाली दूसरी एलिवेटेड रोड की लम्बाई 908 मीटर और निर्माण लागत 126.81 करोड़ रुपये है। वहीं तीसरी एलिवेटेड रोड हुसैनगंज चौराहे से डीएवी कालेज तक बननी है। इसकी लम्बाई 1,556 मीटर और निर्माण लागत 138.21 करोड़ रुपये है। कहना गलत न होगा कि सरकार की प्राथमिकता में होने के बावजूद जनहित वाली यह निर्माण परियोजनायें अब तक बजट के अभाव में महज बैरीकेटिंग तक सीमित हैं और जगह-जगह आमजन की राह रोक रही हैं।

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