प्रदेश में बिजली के वितरण में होने वाली लाइन हानियों पर विद्युत नियामक आयोग ने तेवर कड़े कर दिये हैं। पावर कॉरपोरेशन द्वारा श्रेणीवार विद्युत वितरण का ब्योरा मुहैया न कराने से नाराज आयोग ने अधिनियम की धारा 128 के तहत एक इन्वेस्टिगेटिंग अथारिटी का गठन कर दिया है। सेवानिवृत्त विद्युत लोकपाल आरएस पांडेय व विकास चंद्र अग्रवाल, निदेशक (वितरण) आयोग को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा है। उल्लेखनीय है कि अपने पूर्व टैरिफ आदेशों में सभी वितरण कंपनियों को निरंतर इनर्जी आडिट/हानि के आंकलन के लिए घरेलू वितरण हानि के तकनीकी कारणों व व्यावसायिक हानि में वोल्टेजवार ब्रेकअप प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे। उपभोक्ता संगठनों ने कुछ फीडरों पर बहुत अधिक वितरण हानि की शिकायत की थी। इसके बाद आयोग ने यूपीपीसीएल प्रबंधन को इसके कारणों से अवगत कराने का निर्देश दिया, लेकिन यूपीपीसीएल ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 128 में प्राविधानित है कि यदि नियामक आयोग संतुष्टï है कि वितरण लाइसेंसी लाइसेंस की किसी शर्त अथवा इसके अन्तर्गत बनाये गये नियम या विनियम का अनुपालन करने मे असफल रहता है तो आयोग को ऐसे मामलों में इंवेस्टिगेशन का अधिकार है। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 142 में आयोग के निर्देशों का अनुपालन न किये जाने पर दण्ड का भी प्रावधान है। उप्र विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा व सदस्य एसके अग्रवाल ने फीडरों की लाइन हानियों के मामले में इंवेस्टिगेशन के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 128 के अंतर्गत इन्वेस्टिगेटिंग अथारिटी के गठन का आदेश पारित किया है। आयोग ने आरएस पांडेय सेवा निवृत्त विद्युत लोकपाल, उप्र एवं विकास चंद्र अग्रवाल, निदेशक (वितरण), विद्युत नियामक आयोग को इन्वेस्टिीगेटिंग अथारिटी के रूप में कार्य करते हुए यूपीपीसीएल द्वारा माह जनवरी, 2016 में मिल फीडर शाहजहांपुर और न्यू फीडर, गाजियाबाद की वितरण हानियों के जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं, उनके इंवेस्टिगेशन के आदेश दिये गये हैं।
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