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लाइन लास 15 प्रतिशत, तो 24 घंटे बिजली

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विद्युत आपूर्ति के मामले में वीआईपी जनपदों की प्रथा हो समाप्त
कर्ज में डूबी बिजली कंपनियों को उबारना बड़ा लक्ष्य
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था सुधारने के लिए केंद्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत अभियंताओं ने किया है। साथ ही अगले दो साल में सबको 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ बिजली चोरी पर अंकुश लगाने की बात कही है। बिजली अभियंताओं ने बिजली चोरी को सरकारी खजाने से नगदी चोरी के समान मानते हुए इसके लिए कठोर कदम उठाने की भी बात कही। विद्युत आपूर्ति के मामले में वी आई पी जिलों की परम्परा समाप्त कर सभी 75 जिलों को एक समान मानने के ऊर्जा मंत्री के बयान का स्वागत करते हुए सबसे कम लाईन हानियों के क्रम में श्रेणी बनाकर 24 घंटे बिजली देने का रोस्टर तय किया किया जाये। यानि कि जिन जनपदों में 15 प्रतिशत या कम हानियां हों वहां 24 घंटे बिजली देने की प्राथमिकता हो। इस कदम से भी बिजली चोरी पर अंकुश लगेगा। यह प्रयोग महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में सफल रहा है। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, उप्रराविप अभियन्ता संघ के अध्यक्ष जीके मिश्र, महासचिव राजीव सिंह व वरिष्ठ उपाध्यक्ष राम प्रकाश ने कहा कि अधिकांशतया बिजली चोरी राजनीतिज्ञों के संरक्षण में होती रही है। उप्र में भी सार्थक कार्य योजना और दृढ राजनीतिक इच्छा शक्ति से यह लक्ष्य प्राप्त करना कोई मुश्किल कार्य नही है। अभियंताओं के मुताबिक 60 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के घाटे और कर्ज में डूबी विद्युत वितरण कम्पनियों को इससे उबारना बड़ी चुनौती है, जिसके लिए बिजली हानियां 15 प्रतिशत से नीचे लाना और बिजली की लागत कम करना लक्ष्य होना चाहिए। अभी बिजली को उपभोक्ता के घर पहुंचाने में लगभग 6 रुपए प्रति यूनिट लागत आ रही है जबकि औसत टैरिफ लगभग 4.45 रुपए प्रति यूनिट है। इस गैप को कम किये बिना वितरण कम्पनियों को घाटे से नहीं उबारा जा सकता है।
इटावा, कन्नौज में 70 प्रतिशत से अधिक लाइन लास
प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान इटावा, कन्नौज, हमीरपुर, मैनपुरी व औरैया में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का शिड्यूल था। इन जनपदों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के समय सबसे अधिक लाइन हानियां रही। वित्तीय वर्ष 2015-2016 के पावर कॉरपोरेशन के आंकड़ों के अनुसार उप्र में कुल हानियां 25.33 प्रतिशत रहा, जबकि इटावा और कन्नौज में लाइन हानियां लगभग 70 प्रतिशत या इससे भी अधिक हैं। मैनपुरी, आजमगढ़ आदि कुछ अन्य जगहों पर हानियां 50 प्रतिशत से अधिक हैं। अभियंताओं के मुताबिक गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि प्रदेशों में प्रबंधन ने अभियंताओं को विश्वास में लेकर कार्य योजना बनायी और जिसका परिणाम रहा कि इन प्रदेशों में लाइन हानियां 15 प्रतिशत से कम हो गयी हैं।
मुनाफे के लिए काम कर रहे निजी क्षेत्र
25 साल से अधिक पुराने बिजली घरों को बंद कर उनकी जगह पर 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाइयां लगाने के निर्णय कि सराहना करते हुए अभियंताओं ने कहा कि निजी घरानों पर अति निर्भरता की ऊर्जा नीति में बदलाव कर अधिक से अधिक नए उत्पादन प्लान्ट सरकारी क्षेत्र में लगाए जाने चाहिए, जिससे आम लोगों को सस्ती बिजली मिल सके। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम कर रहे हैं जबकि सरकारी क्षेत्र के बिजली घर बिना लाभ लिए लागत पर बिजली दे रहे हैं।
निजी घरानों से खरीदी गयी सबसे महंगी बिजली
वर्ष 2015-2016 में पावर कॉरपोरेशन ने विद्युत उत्पादन निगम से रु 3.80 प्रति यूनिट, जल विद्युत निगम से 67 पैसे प्रति यूनिट, एन टी पी सी से रु 3.09 प्रति यूनिट पर बिजली खरीदी, जबकि निजी घरानों से 4.14 रुए प्रति यूनिट पर सबसे महंगी बिजली खरीदी गयी। अभियंताओं ने मांग की कि निजी घरानों से बिजली खरीद के करारों की पुनर्समीक्षा की जाए और बाजार में सस्ती बिजली उपलब्ध होने पर सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों को बंद करने की बजाय निजी घरानों से बिजली लेना बंद किया जाए। अभियंताओं के मुताबिक सरकारी क्षेत्र के 25 साल से अधिक पुराने अनपारा बी बिजली घर से 2.1 रुपए प्रति यूनिट, अनपारा ए से 2.88 रुपए प्रति यूनिट, ओबरा बी से 2.63 रुपए प्रति यूनिट और ओबरा ए से 2.76 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बहुत सस्ती बिजली मिल रही है। इसलिए इन बिजली घरों को बंद करना उपयुक्त नहीं होगा।

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