समिति सदस्यों ने आवास आयुक्त के समक्ष 20 अप्रैल को दर्ज कराये लिखित बयान
न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति फर्जीवाड़ा, बिल्डर को बेची करोड़ों की जमीन
समिति प्रबंध तंत्र का आरोप, आवास एवं विकास परिषद के सहकारिता अनुभाग की मिलीभगत से हुई जालसाजी
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। जालसाजों ने न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति के सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर से करोड़ों की जमीन बेच ली। समिति सदस्यों ने २० अप्रैल को आवास आयुक्त के समक्ष लिखित बयान दर्ज कराये हैं। समिति सदस्यों का कहना है कि पूर्व में हुई बैठक में हम लोग मौजूद नहीं थे और न ही इसकी हमें जानकारी थी।
आवास आयुक्त की मौजूदगी में दर्ज कराये गये बयान में संतोष कुमार त्रिपाठी और सुरेन्द्र राय ने कहा है कि मेरे संज्ञान में आया कि बृजेन्द्र कुमार ने आवास एवं विकास परिषद के सहकारिता अनुभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति प्रबंध समिति की असंवैधानिक बैठक में फर्जी सदस्यों के हस्ताक्षर से जारी कार्यवृत्त की बदौलत सचिव बनकर करोड़ों रुपये की जमीन बेंच ली। समिति सदस्यों के दर्ज बयान में लिखा है, परिषद का सहकारी अनुभाग में तैनात अधिकारियों, भू-माफियाओं और जालसाजों के गठजोड़ ने प्रबंध समिति के सदस्यों का फर्जी हस्ताक्षर व पहचान पत्र लगाकर पूर्व में बयान भी दिये। लेकिन, अधिकारियों की संलिप्तता के चलते वह पकड़े नहीं गये।
बता दें कि जालसाजों ने काल्पनिक बैठक में सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर से कार्यवृत्त जारी कर जालसाजों ने एक बिल्डर को लगभग १० करोड़ की बेशकीमती जमीन बेंच दी। समिति का एक बैंक खाता खुलवाकर एक करोड़ रुपये निकाल लिये। यह मामला तत्कालीन आवास आयुक्त के संज्ञान में होने के बावजूद जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में सोये रहे। इतना ही नहीं जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है उन्हीं को जांच अधिकारी बना दिया गया। अब नये आवास आयुक्त के चार्ज लेने के बाद जालसाजी के इस प्रकरण की जांच तेज हुई है। सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में एक राजनैतिक पार्टी के कुछ कोआॢडनेटरों के साथ ही परिषद के कई अधिकारियों की संलिप्तता भी बताई जा रही है। सचिव ऋषि कुमार ने सहकारी आवास समिति के आवासीय भूखण्डों के इस घोटाले में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद मुख्यालय स्थित सहकारिता अनुभाग के आलम्बरदारों की संलिप्तता के गंभीर आरोप लगाये थे।
क्या है मामला
न्यू गोल्डन सिटी सहकारी आवास समिति सचिव ने आवास आयुक्त को शिकायती पत्र देकर कहा था, उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम-1965 एवं सहकारी समिति नियमावली-1968 के तहत संचालक मण्डल की बैठक बुलाने के लिये समिति सचिव अधिकृत है। पर, 26 अप्रैल 2016 को संचालक मण्डल की जिस बैठक का दावा किया जा रहा है उसे सचिव ने नहीं बुलाया। प्रबंध समिति का कोई सदस्य इस बैठक में नहीं गया। इस बैठक में जो कार्यवृत्त जारी हुआ उस पर किसी पदेन सदस्य ने हस्ताक्षर नहीं किये, जो हस्ताक्षर हैं वह फर्जी हैं। आवास एवं विकास परिषद के सहकारिता अनुभाग में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा किसी भी स्वतन्त्र एजेन्सी से प्रकरण की जांच करवाने का अनुरोध भी किया। पर, इस अनुरोध को तत्कालीन आवास आयुक्त ने अनसुना कर दिया। अपर आवास आयुक्त ने फर्जी कागजों के आधार पर समिति जालसाजों के नाम कर दी।