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बिना टेंडर कैसे दिये पार्किंग के ठेके

  • लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने किया नियम कानून दरकिनार

  • एलएमआरसी का कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं

  • कहीं किसी घोटाले की पटकथा तो नहीं लिखी जा रही

  • आचार संहिता के दौरान यह ठेका दिया गया

बिजनेस लिंक ब्यूरो

लखनऊ। लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के लिए नियम- कानून कोई मायने नहीं रखते हैं। सात हजार करोड़ की परियोजना में घालमेल के आरोप लगना शुरू हो गए हैं। नार्थ साउथ कॉरिडोर की डीपीआर बनाने के समय मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई थी। जनरल कन्सलटेंट डीएमआरसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। जमीनों के अधिग्रहण के समय भी एलएमआरसी ने इसे नजरदांज किया मगर अब मेट्रो के संचालन शुरू होने पर कॉरपोरेशन को यहां कमाई नजर आने लगी है।

मेट्रो अधिकारियों की ओर से पहले पार्किंग स्टैंड की सुविधा देने से इंकार किया जाता रहा, मगर अब सात स्टेशनों पर पार्किंग स्टैंड का ठेका दे दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार एलएमआरसी ने बिना टेंडर प्रक्रिया को पूरा किए बिना ही पार्किंग का ठेका दे दिया। यही नहीं चुनाव आचार संहिता के दौरान यह ठेका दिया गया। हालांकि एलएमआरसी की जनसंपर्क अधिकारी पुष्पा बेलानी का कहना है कि आचार संहिता से कोई मतलब नहीं है। एलएमआरसी के लिए पहले से काम कर रही शिप्रा इंफ्रा को ही पार्किंग का भी ठेका दे दिया गया।

metro station copy

गौरतलब बात यह है कि पार्किंग ठेके के लिए नए सिरे से कोई ऑफर नहीं मांगे गए। एलएमआरसी की जनसंपर्क अधिकारी पुष्पा बेलानी के अनुसार पहले से काम कर रही एजेंसी को ही ठेका दिया गया है जबकि नियमानुसार नए सेक्शन के लिए अलग से टेंडर प्रक्रिया की जानी चाहिए थी। इसके अलावा पूर्व में पार्किंग से कितनी आय मेट्रो को होती थी और अब सात नये मेट्रो स्टेशनों से मेट्रो को कितनी आय होगी इसका भी विवरण जनसम्पर्क अधिकारी को मालूम नहीं है।

23 किमी के नार्थ साउथ कॉरिडोर में 21 स्टेशन में से सिर्फ 7 स्टेशनों पर ही पार्किंग की सुविधा दी गई है। इन स्टेशनों पर 23 मार्च से पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है। सुबह छह बजे से रात बजे तक के लिए पार्किंग शुल्क वसूल रहे हैं। सोमवार को इंदिरा नगर में रात को पार्किंग शुल्क ज्यादा लिए जाने की भी शिकायत सामने आई है।

मेट्रो के इस फर्जीवाड़े की शिकायत प्रदेश सरकार से की गई है। यह भी बताया जा रहा है कि इन स्टेशनों पर पार्किंग शुल्क को लेकर कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है। ठेकेदार कौन, शुल्क कौन वसूल रहा है और रेट क्या हैं इसकी यात्रियों को जानकारी नहीं हो रही है। इसकी शिकायत के लिए कोई व्यवस्था तक नहीं दी गई है। इस मामले में एलएमआरसी अधिकारियों की चुप्पी किसी घोटाले की कहानी तो बयां नहीं कर रही है।

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