- निर्माण टेंडरों में सर्वाधिक गड़बड़झाला, ठेका आवंटन में खूब हुआ खेल
- भू-उपयोग परिवॢतत कर हुई कमाई, आय-व्यय की होगी विस्तार से जांच
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। योगी सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम में हुए घपलों की जांच अब सीएजी से कराने का फैसला किया है। अभी तक इसका राज्य आडिट हुआ करता था। बीते वर्षों इन प्राधिकरणों में जमीन आवंटन, भू उपयोग परिवर्तन व दूसरे वित्तीय लेन-देन मामलों की आडिट जांच होगी। इस संबंध में औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक सिन्हा ने भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग महालेखाकार को पत्र लिखा है। बीते लम्बे समय से इन तीनों प्राधिकरणों व यूपीएसआईडीसी की जांच नियंत्रक और महालेखा परीक्षक से कराने की मांग हो रही थी।
यूपी इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट एक्ट-1976 के तहत गठित नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथॉरिटी के साथ-साथ यूपीएसआईडीसी के खातों की जांच भारत के महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक की ऑडिट टीम से कराये जाने का निर्णय लिया गया है। कैग यूपीएसआईडीसी के कई बड़े भूखण्डों, ठेकों के आवंटन, निर्माण टेण्डर और ठेकेदारों को किये गये भुगतान आदि की जांच करेगी। इस जांच के घेरे में मुख्य अभियंता, अधिशासी अभियंता, क्षेत्रीय प्रबंधक और औद्योगिक क्षेत्र प्रभारी होंगे। सीएजी ऑडिट का आदेश होने से कई भ्रष्ट अफसर और कर्मचारी परेशान हैं क्योंकि अब वे बेनकाब होंगे। कैग जांच से संबंधित आदेश प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक सिन्हा की तरफ से पत्र 11 जुलाई को विशेष सचिव मोनिका रानी ने जारी कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर निगम के सूत्रों की मानें तो कई बार ऐसा भी हुआ जब गंभीर आपत्ति को अधिकारियों ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले ही हटवा दिया। पर, सीएजी जांच में ऐसा संभव नहीं हो पाएगा। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को सीएजी जांच के दायरे में लाने के निर्णय से धंधेबाज अधिकारियों में खौफ है और वह सुरक्षित बच निकलने की संभव कोशिशों में जुट गये हैं। पर, राजस्व को चूना लगाने वाले अधिकारियों की गर्दनें फंसना अब तय माना जा रहा है। इस निर्णय से यूपीएसआईडीसी के धंधेबाज अधिकारियों में हडक़ंप है। असल में पिछले कई सालों से सरकारी धन के दुरुपयोग, योजनाओं में गलत तरीके से धन आवंटन, खरीद में घपलों की जांच कैग से कराने की मांग होती रही है।
निर्माण टेंडरों में सर्वाधिक गड़बड़झाला
यूपीएसआईडीसी की सीएजी जांच में सबसे ज्यादा गड़बड़झाला निर्माण कार्यों के टेण्डरों में सामने आ सकता है। निगम ने चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ देने के लिए अनुमानित लागत से अधिक पर टेण्डर निकाल कर निर्माण कार्यों के ठेके छोड़े थे। बसपा-सपा शासन काल में इस तरह के अनेक टेण्डर निकाले गये, जिन निर्माण कार्यों पर लाख रुपये खर्च होने थे उनमें निर्माण सामग्री की कीमत अधिक दिखाकर कई गुना तक कीमत बढ़ाई गई। इन मामलों की गहनता से जांच हुई तो यूपीएसआईडीसी में सैकड़ों मामलें और दर्जनों अधिकारियों के चेहरों से नकाब उतरना तय है।
आय-व्यय की होगी विस्तार से जांच
सूत्रों की मानें तो सीएजी जांच का प्रमुख एजेंडा वित्तीय जांच होगी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के साथ यूपीएसआइडीसी की स्थापना से लेकर अब तक आय-व्यय की विस्तार से जांच होगी। भूमि आवंटन में कम दरों पर जमीन देकर प्राधिकरण को वित्तीय हानि तो नहीं पहुंचाई गई, यह जांच का सबसे बड़ा बिदु होगा। दरअसल, बसपा शासन काल में बिल्डरों को कौडिय़ों के भाव जमीन दे दी गई थी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में एक बिल्डर को तो मात्र एक हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर पर जमीन आवंटित की गई। इसी तरह कई स्कूलों को मात्र एक रुपये प्रति वर्ग मीटर पर जमीन आवंटित की गई थी। जबकि, भूमि अधिग्रहण में इससे अधिक खर्च आया था।
भू-उपयोग परिवॢतत कर हुई कमाई
नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सहित उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम में अनेक बार भू-उपयोग परिवर्तन हुये। औद्योगिक भूखण्डों को कामॢशयल और आवासीय में परिवॢतत कर आवंटित कर दिया गया। कई जगहों पर संस्थागत में भूमि दर्ज कर होटल उद्योग को जमीन देकर राजस्व का भारी चूना लगाया गया। यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधकों ने उन्हें भी औद्योगिक भूमि आवंटित कर दीं, जो लोग इकाई स्थापित करने में सक्षम नहीं थे। परिणामस्वरूप, वे भूमि लेकर बेचते रहे। सैंकड़ों भूखण्ड ऐसे हैं जो कई बार बेचे गए पर औद्योगिक इकाई नहीं लगी।
ठेका आवंटन में खूब हुआ खेल
गंगा बैराज स्थित ट्रांसगंगा सिटी में करोड़ों का भुगतान बिना काम के दे दिया गया। ऐसे ठेकेदार जिनकी क्षमता नहीं थी, उन्हें भी करोड़ों रुपये के काम दे दिये गये। इतना ही नहीं सीवर, सफाई, सडक़ निर्माण में सरस्वती हाईटेक सिटी नैनी इलाहाबाद, ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद, सूरजपुर, औद्योगिक क्षेत्र जगदीशपुर सुल्तानपुर सहित कई औद्योगिक क्षेत्रों में अनियमितता का शक है, जहां करोड़ों की घटिया सडक़ें बनाई गई और चहेते ठेकेदारों को रेवडिय़ों की तरह अग्रिम भुगतान बांटा गया।
पूर्व सरकारों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये नोयडा, ग्रेटर नोयडा, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण और यूपीएसआईडीसी का कैग द्वारा परीक्षण कराया जाना आवश्यक है। यह संस्था पारदॢशता से कार्य करती है।
सतीश महाना, औद्योगिक विकास मंत्री