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मीटर मेकर नंबर बदलने में दलालों-कर्मियों की जुगलबंदी

लैब में जांच हुई तो पकड़ में आयी कारस्तानी

अधिकारियों को दावा अभी और मामले आएंगे सामने

meter copyलखनऊ। पुराने शहर में कर्मियों और दलालों का गठजोड़ जहां विद्युत विभाग को हर महीने लाखों रुपये का चूना लगा रहा है तो वहीं विभाग महज सख्त कार्रवाई और दलालों पर अंकुश लगाने तक सीमित है। दलालों-कर्मियों की जुगलबंदी से उपभोक्ताओं का जमकर उत्पीडऩ होने के बावजूद विद्युत विभाग कड़ी कार्रवाई करने की घुट्टी पिला मामले से पल्ला झाड़ रहा है। मीटरों में अनियमितता के तमाम मामले सामने आते रहने के बावजूद कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होती और अंतत: फंसता है उपभोक्ता। पुराने लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में बीते दिनों में मीटरों में अनियमितता के कई मामले सामने आ चुके हैं। मीटर बदले जाने के बाद जांच में कनेक्शनों के छह मीटरों में हेराफेरी सामने आयी है। आधा दर्जन मीटरों में अनियमितता से जांच अधिकारी हलकान हैं। उनका कहना है कि बिना कर्मचारियों की मिलीभगत से ऐसा किया जाना संभव नहीं है। परीक्षण खंड के सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से मीटरों के मेकर नंबर से छेड़छाड़ का फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है, उससे अभी और मामले सामने आने की उम्मीद है। दरअसल, इन दिनों बड़ी संख्या में पुराने मीटरों की जगह स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं। पुराने मीटरों की लैब में जांच की जा रही है। इस दौरान अभियंताओं ने इस तरह के प्रकरण को पकड़ा। जिसमें यासीनगंज निवासी उपभोक्ता आलमगीर अंसार (कनेक्शन नंबर 8731880000) के मीटर को उतार कर जांच की गयी तो पता चला कि मीटर में मेकर नंबर को बदल दिया गया है। वहीं बालागंज के रामनगर निवासी उपभोक्ता नेहा गुप्ता (कनेक्शन नंबर 8336301000) के मीटर का मेकर नंबर बदल दिया गया। साथ ही सरदार नगर निवासी उपभोक्ता लाजवंती (कनेक्शन नंबर 8258957244) के मीटर के भी मेकर नंबर को बदल दिया गया है। वहीं उपभोक्ता शिफता परवीन (कनेक्शन नंबर 209848000) के भी मीटर का मेकर नंबर बदल दिया गया। वहीं जांच में दो उपभोक्ताओं के मीटर में शंट लगा भी पाया गया।

इस मामले में जिन भी विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होगी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला बहुत ही गंभीर है। बदले जा रहे है सभी मीटरों की जांच की जाएगी। दलालों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। ऐसे प्रकरणों से विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है जिसके अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

मधुकर वर्मा, मुख्य अभियंता सिस गोमती

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