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रिवर फ्रंट के चक्कर में गोमा बेहाल

  • इस गर्मी में भी नहीं मिल पाएगा गोमती को पर्याप्त पानी

  • इन्दिरा व शारदा नहर से होनी थी आपूर्ति

  • प्रतिदिन सात सौ क्यूसेक पानी देने की थी योजना

लखनऊ। करोड़ों का बजट फूंककर रिवर फ्रंट को सुंदर एवं दर्शनीय तो बना दिया गया, लेकिन गोमा को बेहाली से निकालने के लिए तो जतन किये जाने थे, उस पर न तो पूर्व सरकारों ने कुछ किया और न ही वर्तमान में कुछ हो रहा है। चौकाने वाली बात ये है कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद इस गर्मी में गोमती को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा।

तीन वर्ष पहले रिवर फ्रंट के विकास के समय योजना बनायी गयी थी कि शारदा व इन्दिरा नहरों के पानी से गोमती को सजल किया जाएगा। इसके तहत इन्दिरा नहर से प्रतिदिन दो सौ क्यूसेक पानी इटौंजा क्षेत्र में बहने वाले रेहुआ व कुकरैल से होते हुए गोमती में लाया जाना था तथा शारदा कैनाल से प्रतिदिन पांच सौ क्यूसेक पानी महदोइया व बेता नाले के माध्यम से माल क्षेत्र में गोमती में गिराया जाना था।

प्रतिदिन सात सौ क्यूसेक पानी मिलने से गर्मी के दिनों में भी गोमती पानी से लबालब रहेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। रिवर फ्रंट योजना का काम बंद होने के साथ ही गोमती को सजल करने उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। गोमती में पानी की भारी कमी है। शहर का सीवेज मिलने से गोमती में कीचड़ की मात्रा बहुत अधिक हो गयी है।

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पानी में बहाव न होने से गर्मी में घुलित आक्सीजन की मात्रा खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। हालात इतने बदतर हैं कि गऊघाट और कुडिय़ाघाट को छोड़कर लखनऊ के किसी भी स्थान पर पानी इंसान के नहाने लायक भी नहीं रहा है। बैराज पर पानी इतना गंदा हो चुका है कि यहां जानवर भी नहाएं तो बीमार हो सकते हैं।

नालों की ट्रैपिंग में खामी रहने से 40 फीसदी से अधिक सीवेज अभी भी गोमती में मिल रहा है। गर्मी में यह समस्या और भी भयावह हो जाती है। आक्सीजन की मात्रा माइनस में चली जाती है। बीते साल तक शारदा कैनाल से सौ क्यूसेक पानी बेता नाले के द्वारा गोमती को दिया जाता था, लेकिन सौ क्यूसेक पानी से गोमती का भला नहीं हो रहा था।

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गोमती रिवर फ्रंट योजना में ही इस बात का भी प्रावधान किया गया था कि सिंचाई विभाग शारदा व इन्दिरा नहर के माध्यम से प्रतिदिन सात सौ क्यूसेक पानी गोमती को दिया जाएगा। पानी मिलने से गोमती की अधिकतर समस्याएं स्वत: दूर हो जाएंगी। गोमती रीवर फ्रंट योजना में पानी की आपूर्ति प्रमुख बिन्दु होने के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं किया गया।

2016 की गर्मी में ही इन्दिरा व शारदा नहरों से गोमती को पानी दिया जाना था, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बाद भी गोमती की कोख खाली है। रिवर फ्रंट मामले की जांच शुरू होने के बाद इस योजना पर सिंचाई विभाग के अधिकारी भी खुलकर बोलने में हिचक रहे हैं।

गोमती को पानी उपलब्ध कराना प्राथमिकता नहीं : अधीक्षण अभियंता

लखनऊ जोन के अधीक्षण अभियंता राजेन्द्र जैन बताते हैं कि गोमती को पानी उपलब्ध कराना सिंचाई विभाग की पहली प्राथमिकता नहीं है। नदी में पानी कम होने पर विभाग की पहली प्राथमिकता पेयजल उपलब्ध कराना है। इसके बाद किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराना दूसरी प्राथमिकता है। इसके बाद पानी बचने पर ही गोमती में डाला जा सकता है।

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