गर्मी के मौसम में राजधानीवासियों को रुला सकती है बिजली
अधिकारी व उपभोक्ता तो बढ़े लेकिन कर्मचारियों को बढ़ाने की फिक्र नहीं
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश सरकार के निर्देश पर लेसा ने सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन तो हजारों की तादाद में बांट दिये लेकिन न ट्रांसफार्मरों की क्षमता ही बढ़ायी और न उपकेन्द्रों के फीडरों की संख्या। परिणाम स्वरूप हजारों बिजली कनेक्शन होने से पहले से ओवरलोड चल रहे लेसा के फीडर व ट्रांसफार्मर क्षमता से कई गुना अधिक ओवर लोड हो चुके है। ऐसे में बढ़ती उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए मांग के अनुसार बिजली उपलब्ध भी है इसका किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। लेसा ने बिजली का इंतजाम न किये और बिना संसाधन बढ़ाये गत दो साल के भीतर करीब दो लाख से अधिक बिजली कनेक्शन बांट दिये है। परिणाम स्वरूप आगामी दिनों में पडऩे वाली भीषण गर्मी के दिनों में बिजली संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक है। हालांकि अफसरों का कहना है कि सुधार के नाम पर नये उपकेन्द्रों के अलावा ट्रांसफार्मरों की क्षमता भी बढ़ायी गयी है लेकिन दो वर्षो में लगातार बढ़ रहे उपभोक्ताओं की संख्या भी कम मुसीबत नहीं है।
बिजली अफसरों का कहना है कि राजधानी में कुल मिलाकर आम दिनों में सात से नौ सौ मेगावाट बिजली की मांग रहती है लेकिन गर्मियों में यह मांग बढ़कर 10 से 12 मेगावाट तक पहुंच जाती है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों ने वाहवाही लूटने के चक्कर में प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन तो खूब बांट दिये है लेकिन राजधानी के विद्युत उपकेन्द्रों के फीडर, ट्रांसफार्मरों की क्षमता ज्यों कि त्यों बनी हुई है। इतना ही नहीं बिजली आपूर्ति को सुदृढ़ रखने के लिए विभाग ने बिजली कर्मियों व अन्य जरुरी संसाधन भी बढ़ाना उचित नहीं समझा। भारी संख्या में बिजली कनेक्शन बांट दिये जाने से शहर के अधिकतर ट्रांसफार्मर व फीडर अभी से ही ओवर लोड होने लगे है। राजधानी का क्षेत्रफल को देखते हुए पूरे लेसा को दो डिवीजनों क्रमश: ट्रांसगोमती व सिस गोमती में बांट कर दो मुख्य अभियंताओं की तैनाती तो कर दी लेकिन बिजली आपूर्ति सुदृढ़ रखने वाले लाइनमैन व कुलियों की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी ही नहीं की। मालूम हो कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को खुश करने के लिए अधिकारियों ने प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना व अन्य शिविरों के माध्यम से करीब दो लाख से अधिक बिजली कनेक्शन बांट दिये गये।
अधिकारियों के दबाव में अभियंताओं ने कनेक्शन तो खूब बांट दिये लेकिन लोड बढ़ाने के लिए अधिकारियों पर दबाव नहीं बना सके। विभागीय जानकारों का कहना है कि दो वर्ष पूर्व लेसा में करीब साढ़े सात लाख के करीब बिजली कनेक्शन थे लेकिन इधर दो वर्षो के दौरान वाहवाही के चक्कर में बाटे गये कनेक्शनों की संख्या बढ़कर करीब दस लाख के ऊपर पहुंच गयी है। गर्मियों के दिनों में राजधानी में बिजली की मांग सात सौ से बढ़कर 12 सौ मेगावाट पहुंच जाती है लेकिन इधर दो वर्षो के दौरान बाटे गये बिजली कनेक्शनों को मद्देनजर गर्मी के दिनों में यह मांग बढऩा स्वाभाविक है। विभागीय आंकड़ों के वर्तमान समय में लेसा में दो मुख्य अभियंता, दस अधीक्षण अभियंता व 45 अधिशासी अभियंता, 98 सहायक अभियंता (एसडीओ) तथा 166 अवर अभियंता तैनात है लेकिन चतुर्थश्रेणी कर्मियों में लाइनमैन व कुलियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। वर्तमान समय में बिजली कर्मचारियों की हालत तो यह है कि अगर संविदा व ठेकेदार के बिजली कर्मचारी न हो तो उपकेन्द्रों का संचालन ही होना मुश्किल हो जाएगा।
ग्रामीण इलाकों के उपकेन्द्रों की हालत तो और बदतर है। इस बाबत मध्यांचल के प्रबंध निदेशक संजय गोयल ने कहा कि गर्मियों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति उपलब्ध रहे इसके लिए लेसा को सख्त निर्देश जारी किये गये है। गांवों में लगे छोटे ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाकर 63 केवी करने के आदेश जारी कर दिये है। उपभोक्ताओं की संख्या बढऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिजली की कमी नहंी है लेकिन कर्मचारियों की कमी की बात पर उन्होंने कहा कि लेसा में चतुर्थ श्रेणी, लाइनमैन व कुली आदि की कमी है।