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शराब पर No GST ?

  •  जीएसटी के बाद भी जारी रहेगी शराब तस्करी
  • एक राष्ट एक कर की नीति में फेल साबित हुई केंद्र सरकार

धीरेन्द्र अस्थानाalcohol_720-770x433

लखनऊ। देश में बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी को रोकने के लिए सबसे बेहतर निर्णय होता अगर शराब को जीएसटी के दायरे में लाया जाता। लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यों की कमाई को देखते हुए शायद इससे दूरी बनाना ही सही समझा। अभी देश के लगभग हर राज्य में अलग- अलग रेट में शराब की बिक्री होती है, वहां तस्करी एक बड़ी वजह है। जिसे रोकने के लिए शराब को यदि जीएसटी के दायरे में लाया जाता तो आज पूरे देश में शराब एक दाम में होती और तस्करी का खेल स्वत: समाप्त हो जाता और लोगों को सस्ती शराब के लिए तस्करी जैसे माध्यमों से छुटकारा मिल जाता। जबकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल लागू होने से पूरे देश में वस्तुओं के सामान एक हो जाने का दावा फेल साबित होता दिखाई दे रहा है। यानि जीएसटी लागू होने के बाद भी शराब की तस्करी जारी रहेगी। माना यह जा रहा था कि शराब जीएसटी के दायरे में आ जाएगी, जिससे पूरे देश में शराब के रेट भी समान हो जाएंगे। लेकिन राजनैतिक मंशा के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जीएसटी काउंसिल ने राज्य सरकारों को लाभ पहुंचाने के चक्कर में शराब का पूरा जिम्मा राज्यों के ऊपर छोड़ दिया है, लेकिन सरकारें ये सोचने में असमर्थ रही कि इससे नुकसान किसका होगा और किस स्तर तक होगा? आपको जानकर हैरानी होगी कि शराब, कू्रड ऑयल, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमान ईंधन को जीएसटी से बाहर रखा गया है। प्रत्येक राज्य में शराब का कारोबार हजारों करोड़ का है। जिसका पूरा लाभ राज्य सरकार को मिलेगा।

बड़े पैमाने पर होती है तस्करी
यूपी में बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी होती है। यूपी से जुड़े कई cowaymalaysia.JPGds_2राज्यों में शराब सस्ती होने के कारण दूसरे राज्यों से बड़ी मात्रा में तस्करी की शराब यूपी आती है, जो पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। आयेदिन शराब की बड़ी खेप पुलिस द्वारा पकडऩे के मामले सामने आते है। हरियाणा से आने वाली शराब मैनपुरी, एटा, इटावा, अलीगढ़, कासगंज, फिरोजाबाद के अलावा दूरदराज के कई इलाकों में भी पहुंचती है। जिससे राजस्व का नुकसान बड़े पैमाने पर होता है।

बना रहेगा सिरदर्द
आबकारी अधिकारियों की माने तो यह एक बड़ी समस्या है। हालांकि तस्करी रोकने के लिए बड़े अभियान चलाए जाते हैं, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिलती है। यदि जीएसटी के दायरे में शराब आ जाती, तो सिरदर्द खत्म हो जाता। जिस रेट पर शराब यूपी में मिलती है, उसी रेट से हरियाणा में मिलती। यानि शराब माफियाओं को तस्करी से कोई फायदा नहीं मिलता।

इसलिए होती है शराब की तस्करी
दिल्ली हरियाणा में यूपी के मुकाबले शराब सस्ती है, जबकि यूपी में शराब कही ज्यादा महंगी है। आबकारी अधिकारियों की माने तो हरियाणा और यूपी के रेट में 15- २० फीसद तक अंतर होता है। इसी कारण तस्कर हरियाणा की शराब को यूपी में खपाते हैं। यह खेल बड़े स्तर पर होता आ रहा है।

इसलिए महंगा होगा जाम!
जीएसटी लागू होने पर बहुत कुछ बदलने वाला है। शराब जीएसटी के दायरे से बाहर है। लेकिन इसके बावजूद व्हिस्की, बियर और वाइन महंगी होने वाली है। शराब इंडस्ट्री का कहना है वो कीमतें 20 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। शराब पर तो पहले की तरह टैक्स लगता रहेगा लेकिन शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों और इसके ट्रांसपोर्ट पर जीएसटी लगेगा। उदाहरण के लिए जिस बोतल में शराब पैक होती है वो महंगी होने वाली है। अभी कांच पर 14.5 फीसदी टैक्स लगता है लेकिन इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। शीरे से शराब बनाई जाती है इस पर अभी 12 से 15 फीसदी तक टैक्स लगता है लेकिन इस पर जीएसटी 28 फीसदी लगेगा। इसी तरह ढुलाई पर टैक्स 4.5 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो जाएगा। इसके साथ ही कई केमिकल और कलरिंग एजेंट्स पर भी ज्यादा टैक्स लगेगा। इंडस्ट्री की माने तो लागत बढऩे पर शराब की कीमत बढ़ाना मजबूरी होगी। हालांकि जीएसटी में अनाज को टैक्स फ्री कर दिया गया है, तो अनाज से बनने वाली शराब की लागत कम होगी लेकिन शराब उत्पादकों का कहना है कि देश में अनाज से कम और शीरे से ज्यादा शराब बनती है। बहरहाल मयखाने में जाम छलकाना इतना महंगा नहीं होगा क्योंकि नॉन एसी रेस्टोरेंट और बार पर जीएसटी युग में टैक्स कम हो जाएगा। जाहिर है शराब पीने वालों के लिए जीएसटी अच्छी खबर लेकर नहीं आएगी।

जीएसटी काउंसिल का निर्णय है कि शराब सहित कू्रड ऑयल, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमान ईंधन को जीएसटी से बाहर रखा गया है। मैं मानता हूं कि इससे रेट सामान्य नहीं होंगे, जिससे तस्करी की संभावना बनी रहेगी। लेकिन आबकारी विभाग अपनी टीम के साथ सतर्कता बरतेगा। शराब की कमाई पर राज्य का अधिकार बना रहेगा।

- मुकेश मेश्राम, आयुक्त, वाणिज्य कर विभाग
यदि शराब को जीएसटी के दायरे में लाया भी जाता तो हमें कोई खास समस्या नहीं होती, लेकिन हां तस्करी पर जरूर लगाम लगती। जिससे पूरा लाभ सरकार को मिलता। यूपी में शराब महंगी होने के कारण तस्करी में आधे से ज्यादा राजस्व का नुकसान होता है, वो नहीं होता और लोगों को देश में शराब एक दाम पर मिलती।

- कन्हैयालाल मौर्या, महामंत्री, लखनऊ शराब एसोसिएशन

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