चुनाव आयोग ने शशिकला और पन्नीरसेल्वम को नए चुनावी निशान दिए
चुनाव आयोग ने गुरुवार को शशिकला और पन्नीरसेल्वम को नए चुनाव निशान दे दिए हैं। शशिकला को पहले अपनी पार्टी के लिए चुनाव निशान ‘ऑटो रिक्शा’ और पन्नीरसेल्वम खेमे को ‘बिजली काखंभा’ मिला है। लेकिन बाद में शशिकला खेमे ने चुनावी निशान के तौर पर ‘हैट’ की मांग की, जिसे चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद चुनाव आयोग ने शशिकला खेमे को चुनावी निशाना के तौर पर ‘हैट’ दे दिया। पन्नीरसेल्वम खेमे ने अपनी पार्टी का नाम एआईएडीएमके पुराट्ची थलैवी अम्मा रखा है तो शशिकला कैंप ने अपनी पार्टी का नाम एआईएडीएमके अम्मा रखा है। वीके शशिकला खेमे ने चुनाव आयोग को अपने नए निशान के लिए तीन विकल्प दिए थे, जिनमें ऑटो रिक्शा, बैट और कैप शामिल था।
बता दें, बुधवार को चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश में अन्नाद्रमुक के चुनाव चिन्ह ‘दो पत्तियों’ के उपयोग पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि दोनों विरोधी खेमे प्रतिष्ठित आर के नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पार्टी के चुनाव चिन्ह और इसके नाम के उपयोग नहीं कर सकते। दिन भर की सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि अंतिम आदेश जारी करने के लिहाज से बहुत कम समय बचा है इसलिए वह अंतरिम आदेश जारी कर रहा है।
इसके बाद अन्नाद्रमुक के दोनों खेमों ने पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘दो पत्तियों’ के उपयोग पर चुनाव आयोग की रोक पर ‘ताज्जुब’ जताया और कहा कि वे इसे वापस पाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने एक बयान में कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष ‘मजबूत सबूत’ प्रस्तुत करने के बावजूद उनकी पार्टी को चुनाव चिन्ह नहीं मिलना ‘आश्चर्यजनक और निराशाजनक’ है। उन्होंने कहा था कि वे ‘किसी भी कीमत पर’ चुनाव चिन्ह वापस लेकर रहेंगे।
जेल की सजा काट रही अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला के भतीजे दीनाकरण ने कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता पहले भी इस तरह की स्थिति का सामना कर चुके हैं जब चुनाव आयोग ने अन्नाद्रमुक संस्थापक एमजी रामचंद्रन की मौत के बाद वर्ष 1987 में पार्टी के चुनाव चिन्ह के उपयोग पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा था, ‘हम जीत हासिल करेंगे और चुनाव चिन्ह वापस लेकर रहेंगे।’
इस सीट पर 12 अप्रैल को आर के नगर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का गुरुवार को आखिरी दिन है। आयोग ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी इच्छा के अनुसार जिस नाम को चुनेंगे, वे उसी नाम से जाने जाएंगे। साथ ही दोनों समूहों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाएगा।