मुख्यालय के मुख्य द्वार पर निगम प्रबंध तंत्र ने गुदवाये हैं शिष्टचार के वचन, पिछले दरवाजे से दी जा रही भ्रष्टचार को पनाह
आगरा रीजन के तत्कालीन आरएम नीरज सक्सेना ने फर्जी प्रमाणपत्रों पर की 300 से अधिक परिचालकों की भर्ती
इस प्रकरण की मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर 370 से अधिक बार हुई शिकायत, कार्रवाई शून्य
निगम के उच्च स्तरीय अधिकारी भी मामले पर कर रहे लीपापोती, शिकायतकर्ता को ही घोषित कर दिया शिकायत करने का आदी
पंकज पाण्डेय
लखनऊ। ‘निगम को भ्रष्टाचार मुक्त करना हमारा लक्ष्य है। यदि कोई अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत की मांग करता है। तो कृपया शिकायत प्रबंध निदेशक व अपर प्रबंध निदेशक से सीधे करें।’ परिवहन निगम मुख्यालय की दीवार पर यह लाइनें गुदवाकर प्रबंध तंत्र भले ही अपनी छवि भ्रष्टाचार विरोधी दर्शा रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि भ्रष्टाचार विरोधी यह लाइनें महज दीवार तक ही सीमित हैं। शिकायत पर प्रबंध निदेशक कार्रवाई करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। निगम मुख्यालय में लिखी यह लाइनें अधिकारियों की खाऊ-कमाऊ कार्यशैली के आगे बौनी साबित हो रही हैं। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए परिचालक पद पर पीआरडी जवानों की भर्ती में व्याप्त भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों के बावजूद निगम प्रबंध तंत्र की लीपापोती ‘कथनी और करनी’ वाली कहावत को बखूबी चरितार्थ कर रही है। फर्जी प्रमाण पत्र पर भर्ती करने वाले क्षेत्रीय अधिकारी की ऊंची पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर रिकार्ड 37० से अधिक शिकायतों के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 
मामला, तत्कालीन आगरा रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक और प्रभारी सिटी बस प्रबंध निदेशक नीरज सक्सेना से जुड़ा हुआ है। आगरा रीजन में 2010 से 2012 के बीच क्षेत्रीय प्रबंधक व प्रभारी सिटी बस एमडी रहते नीरज सक्सेना पर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए करीब 300 से अधिक फर्जी पीआरडी जवानों को परिचालक पद पर भर्ती कर लिया गया। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर परिवहन निगम मुख्यालय तक पहुंची। लेकिन कार्रवाई के नाम पर बीते 6 सालों से महज लीपापोती की जा रही है। 5 मार्च 2018 को अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम आगरा द्वारा फर्रुखाबाद जनपद के जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल अधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया है कि तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक आगरा रीजन नीरज सक्सेना के विरुद्ध शिकायतकर्ता द्वारा जो प्राथमिक साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं उसमें पीआरडी जवानों को परिचालक के पद पर भर्ती किया जाना प्रथम दृष्टïया नियमानुसार नहीं प्रतीत होता है। वहीं 4 मई 2017 को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत राज्य लोक सूचना अधिकारी परिवहन निगम मुख्यालय से प्राप्त सूचना में तत्कालीन आरएम नीरज सक्सेना के विरुद्ध की गयी कार्रवाई के जवाब में बताया गया है कि मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन द्वारा जांच रिपोर्ट उपलब्ध करा दी गयी है। जांच रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय के लिए पत्रावली उच्च प्रबंधन के समक्ष प्रस्तुत की गई है। प्रकरण का निस्तारण अभी नहीं हुआ है।
इतना ही नहीं तत्कालीन आरएम के विरुद्घ की गयी शिकायत की जांच मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन एचएस गाबा और प्रधान प्रबंधक जेएन सिन्हा द्वारा भी की गयी है। इन दोनों अधिकारियों ने जांच में तत्कालीन आरएम के खिलाफ की गयी शिकायतों को निराधार बताते हुए शिकायतकर्ता को शिकायत करने का आदी घोषित कर दिया, जबकि अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम आगरा ने अपने पत्र में पीआरडी जवानों के फर्जी प्रमाणपत्रों की पुष्टिï की है। अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम के पत्र में उल्लिखित बातें और जांच करने वाले निगम अधिकारियों की बातों में विरोधाभास कहीं न कहीं प्रकरण को दबाए रखने की पुख्ता कहानी बयां कर रहा है। तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने के पीछे परिवहन निगम उच्च प्रबंधन की मिलीभगत की बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या निगम प्रबंध तंत्र मुख्यालय की दीवारों पर शिष्टïाचार की बातें गुदवाकर भ्रष्टïाचार को पनाह दे रहा है। यदि भ्रष्टïाचार को पनाह ही देनी है, तो कम से कम मुख्यालय की दीवार पर टंगी शिष्टïाचार की तख्ती उतार फेंकिये…
जांच में शिकायतकर्ता को बताया शिकायत का आदी
मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन एचएस गाबा और प्रधान प्रबंधक जेएन सिन्हा ने अपनी जांच रिपोर्ट में तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना के खिलाफ शिकायत परिवाद को असत्य बताया है। वहीं शिकायतकर्ता तत्कालीन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार को परिवाद व एससी-एसटी का मुकदमा कायम करने का आदी बताया है। जबकि शिकायतकर्ता खुद परिवहन निगम में जिम्मेदार पद पर हैं। वहीं कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की संवेदनहीनता का आलम यह है कि उन्हें जांचकर्ता कौन है इसका पता संबंधित प्रकरण की फाइल देखने के बाद पता चलेगा।
क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना के खिलाफ की गयी शिकायत पर जांच चल रही है। जांच कौन कर रहा है, इसकी जानकारी फाइल देखकर ही दी जा सकती है।
कर्मेन्द्र सिंह, सीजीएम प्रशासन, परिवहन निगम
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