लेसा में उपकेंद्रों की संख्या में हो रहा इजाफा, लाइनमैन व कुली की नहीं बढ़ रही संख्या
संविदा कर्मियों पर है राजधानी की विद्युत आपूर्ति और मेंटीनेंस की जिम्मेदारी
संविदा कर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नहीं निभा रहा विद्युत विभाग
बिना सुरक्षा उपकरणों के संविदा कर्मी गंवा रहे अपनी जान
लखनऊ। हाईटेक हो रहे विद्युत विभाग में संविदा कर्मियों के हालात नहीं सुधर रहे हैं। विद्युत वितरण व्यवस्था की कमान संविदा कर्मी अपने कंधों पर संभाले हुए हैं, फिर भी विद्युत विभाग उन्हें सुविधाएं प्रदान करने को लेकर मौन है। संविदा कर्मी बिना सुरक्षा उपकरणों के अपनी जान गंवा रहे हैं। राजधानी की विद्युत आपूर्ति व रखरखाव की जिम्मेदारी के साथ बिजली लाइनों और ट्रांसफार्मरों की मरम्मत तक की जिम्मेदारी उठा रहे संविदा कर्मियों को विद्युत विभाग कोई सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहा है। जिसका परिणाम है कि बीते दो वर्षों में चार दर्जन से अधिक संविदा कर्मी दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। इनमें दो दर्जन से अधिक संविदा कर्मियों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन इनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है और ना ही इनको रखने वाले ठेकेदार या फिर संबंधित डिवीजन के अभियंता ही गंभीर हैं। नतीजतन आये दिन कार्य के दौरान संविदा कर्मी दुघर्टना का शिकार होकर अपाहिज हो रहे हैं या फिर मौत को गले लगा रहे हैं। जबकि विभागीय नियमों व विद्युत सुरक्षा के नियमों के अनुसार विभाग संविदा कर्मियों को बिजली पोल पर नहीं चढ़ा सकता है। संविदा कर्मियों से पोल गाडऩे व तार खींचने का काम कराया जा सकता है। इसके विपरीत लेसा में हालत यह है कि यदि संविदा व निविदा बिजली कर्मी न हों तो उपकेंद्रों का संचालन व आने वाली फाल्ट भी अटेंड न हो पाये। इसकी प्रमुख वजह लेसा में लाइनमैन व कुलियों की भारी कमी होना बताया जाता है। लेसा का क्षेत्रफल, विद्युत कनेक्शन, उपकेंद्रों, फीडरों, ट्रांसफार्मरों की संख्या में हर साल बड़ी संख्या में इजाफा हुआ लेकिन इनके रखरखाव के लिए लाइनमैन व कुलियों की भर्ती तक नहीं की गयी।
लाइनमैन, कुलियों की संख्या दो हजार भी नहीं
वर्तमान में लेसा के ट्रांसगोमती व सिस गोमती में देखा जाए तो कुलियों व लाइनमैन की संख्या सात हजार से घटकर मात्र दो हजार से भी कम रह गयी है। वहीं जो कार्य कर भी रहे हैं तो उनमें अधिकतर सेवानिवृत्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। सेवानिवृत्त होने की कगार पर पहुंच चुके कर्मचारी न तो बिजली के पोल पर चढ़ सकते हैं और न ही फाल्ट अटेंड कर सकते हैं। ऐसे में राजधानी की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से संविदा व निविदा कर्मियों पर निर्भर है। मौजूदा समय में राजधानी में उपभोक्ताओं की संख्या करीब दस लाख के करीब पहुंच चुकी है।
दो दर्जन संविदा कर्मियों की गयी जान
लेसा में बीते दो सालों में चार दर्जन से अधिक संविदा कर्मी दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इनमें दो दर्जन से अधिक संविदा कर्मी अपनी जान तक गंवा चुके हैं। विभागीय जानकारों की मानें तो संविदा कर्मियों के दुर्घटनाग्रस्त होने में विभागीय लापरवाही बड़ी वजह है। बीते दिनों चिनहट में संविदा कर्मी नसीर की दर्दनाक मौत विभागीय लापरवाही का जीवंत उदाहरण है। बिजली विभाग में कार्यरत संविदा कर्मी नसीर की हुई दर्दनाक घटना ने राजधानी वासियों में सिहंरन पैदा कर दी। विभागीय लापरवाही का बीते दो सालों में शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है जहां पर संविदा कर्मी दुर्घटनाग्रस्त न हुए हों। दो साल पहले बंगला बाजार में अनिल, विश्वासखंड में मुन्ना, पवन, गोमतीनगर विस्तार में संविदा कर्मी कल्लू की करंट की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। वहीं आशियाना क्षेत्र में रवि, फतेहगंज में शत्रोहन लाल मौर्य करंट की चपेट में आकर अपाहिज हो चुके हैं। इसी प्रकार पुराने लखनऊ के अपट्रान, बंगलाबाजार, बंथरा, मलिहाबाद, माल, रहीमाबाद समेत बख्शी का तालाब, राजाजीपुरम, नूरबाड़ी, चारबाग, अमीनाबाद, हुसैनगंज क्षेत्रों में संविदा कर्मी चोटिल हो चुके हैं।
इलाज के लिए अलग से फंड भी नहीं
विभागीय जानकारों के मुताबिक दो साल में चार दर्जन से अधिक संविदा कर्मी दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। घटना के बाद विद्युत विभाग व ठेकेदार इनका इलाज तक कराने की जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं है। जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि संविदा कर्मियों के दुर्घटना का शिकार होने पर इनके इलाज के लिए अलग से फंड नहीं बनाया गया है। इस संबंध में मध्यांचल के प्रबंध निदेशक संजय गोयल का कहना है कि कर्मचारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी विभाग की है। किस डिवीजन में संविदा कर्मियों के सुरक्षा उपकरणों का बंदोबस्त नहीं है, इसकी जांच करायी जाएगी। जांच में दोषी पाये जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।