Breaking News
Home / Breaking News / सफाई-धुलाई में लापरवाही

सफाई-धुलाई में लापरवाही

लखनऊ रीजन की बसों की सफाई-धुलाई में कंपनी लापरवाह

अनुबंध के तहत कंपनी को एक शिफ्ट में करनी है 25 बसों की धुलाई

दो शिफ्टों में बमुश्किलन निर्धारित मानक से आधी बसें धुल रही कंपनी

अनुबंध के बाद से कंपनी के काम की है यही स्थिति

रीजन स्तर पर शिकायत के बाद भी अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई

पंकज पांडेय

unnamedलखनऊ। सूबे में योगी सरकार बनते ही अन्य विभागों की तरह परिवहन निगम मुख्यालय में भी परिवहन मंत्री की ओर से अधिकारियों को स्वच्छता की शपथ दिलायी गयी। स्वच्छता की शपथ के बाद परिसर को साफ-सुथरा रखने की पुरजोर कोशिश की गयी। लेकिन इसके उलट बसों की स्वच्छता को नजरअंदाज किया जा रहा है। परिवहन निगम मुख्यालय अधिकारियों की नाक के नीचे बसों की सफाई-धुलाई को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। परिवहन मंत्री के साफ-सुथरी बसों को ही सड़क पर भेजने के आदेश की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। राजधानी क्षेत्र में हो रही यह लापरवाही उच्चाधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये का सबूत दे रही हैं। बसों में साफ सफाई दुरुस्त रखने का निर्देश परिवहन मंत्री लगातार निगम अधिकारियों को देते रहते हैं। लेकिन परिवहन मंत्री के इस आदेश को परिवहन निगम मुख्यालय के नाक के नीचे ही नजरअंदाज किया जा रहा है। लखनऊ परिक्षेत्र में बसों की सफाई-धुलाई का काम कर रही कंपनी लापरवाही बरत रही है। लखनऊ रीजन में बसों की सफाई-धुलाई का ठेका बीते दिसंबर माह में वाराणसी की फर्म मेसर्स सुपर भूतपूर्व सैनिक सुरक्षा समिति को दिया गया। अनुबंध के तहत कंपनी को बस की सफाई-धुलाई के लिए प्रति बस 60 रुपये दिया जाना निर्धारित किया गया। फर्म की ओर से कैसरबाग, अवध व अमौसी के पास स्थित उपनगरीय डिपो वर्कशाप में धुलाई का प्लांट लगाया गया। फर्म को अनुबंध के मुताबिक आठ घंटे की एक शिफ्ट में 25 और दूसरी शिफ्ट में भी 25 बसों की धुलाई करनी थी। सूत्र बताते हैं कि फर्म की ओर से बसों की धुलाई का यह आंकड़ा छुआ ही नहीं जा सका। यह स्थिति केवल एक डिपो में नहीं बल्कि सभी डिपो में है। दो शिफ्टों में 50 बसों की धुलाई की जानी थी, लेकिन कंपनी की ओर से दो शिफ्टों में अधिकतम 25 से 30 बसों की ही धुलाई की जा रही है। बीते दिसंबर माह में हुए अनुबंध के बाद से अब तक यही स्थिति है। धुलाई को लेकर फर्म की ओर से बरती जा रही लापरवाही को लेकर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक की ओर से कई बार पत्र भी रीजन के उच्च अधिकारियों को लिखा गया है, लेकिन फिलहाल कोई कार्रवाई रीजन स्तर से नहीं की गयी है।

बसों के अंदर की धुलाई ठीक नहीं

कैसरबाग, अवध व नादरगंज स्थित उपनगरीय डिपो में लगे सफाई प्लांट में बसों के बाहर की धुलाई से अधिकारी भी संतुष्टï हैं। लेकिन बसों के अंदर की धुलाई को लेकर डिपो व रीजन के अधिकारी संतुष्टï नहीं हैं। कारवॉशर लगी मशीन से बसों के बाहर की धुलाई अच्छी प्रकार से हो जाती है। लेकिन बस के अंदर कंपनी मैनुअल रुप से सफाई कर रही है। जिसकी वजह से यह सफाई कामचलाऊ ही कही जा सकती है।

वैक्यूम क्लीनर, परफ्यूम्ड का नहीं किया जा रहा प्रयोग

यात्रियों को बस साफ-सुथरी लगे इसके लिए कंपनी के साथ अनुबंध में बसों की अंदर की सफाई को लेकर ज्यादा जोर दिया गया था। लेकिन कंपनी बसों के अंदर की सफाई कामचलाऊ तरीके से कर रही है। अनुबंध के तहत कंपनी को यात्री सीट व बैकरेस्ट की और फर्श की ड्राई वेट वैक्यूम क्लीनर के द्वारा सफाई-धुलाई करानी होगी। बसों के शीशों के अंदर व बाहर ो लिक्विड इंडस्ट्रीयल डिटरजेंट से सफाई करानी होगी। इसके अलावा ब्रांडेड इंड्रस्टीयल परफ्यूम्ड डिस्इन्फेक्टेण्ड का भी प्रयोग किया जाना है। लेकिन बसों की अंदर की सफाई में कंपनी इन सबका प्रयोग नहीं कर रही है।

बस गंदी तो 100 रुपए जुर्माना

अनुबंध में बस गंदी पाए जाने पर कंपनी पर 100 रुपये प्रति बस जुर्माने का प्रावधान किया गया है। कंपनी द्वारा कम बसें धुलने के बावजूद कंपनी पर कितना जुर्माना लगाया गया इस पर संशय बरकरार है। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, क्षेत्रीय प्रबंधक या अन्य उच्चाधिकारियों के निरीक्षण में बस गंदी पाये जाने पर जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन रीजन स्तर पर यह आंकड़ा उपलब्ध ही नहीं हो पाया कि कंपनी पर कितना जुर्माना अब तक लगाया गया है।

पूरी सफाई नहीं तो 60 रुपये क्यों ?

बसों की सफाई-धुलाई के लिए कंपनी को प्रति बस 60 रुपये निगम की ओर से दिया जाता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब कंपनी की ओर से केवल बसों की बाहर से ही धुलाई अच्छी प्रकार से की जा रही है और अंदर की सफाई कामचलाऊ तरीके से की जा रही है तो 60 रुपये का भुगतान क्यों किया जा रहा है।

कंपनी को लगाने हैं दो और प्लांट 

वर्तमान में कंपनी की ओर से कैसरबाग, अवध व नादरगंज स्थित उपनगरीय डिपो वर्कशाप में सफाई-धुलाई प्लांट लगाया गया है। अभी चारबाग डिपो की बसों की सफाई-धुलाई भी उपनगरीय डिपो वर्कशाप में की जाती है। कंपनी को उपनगरीय डिपो में एक और व रायबरेली में भी एक प्लांट लगाना है।

चारबाग, कैसरबाग में स्थिति खराब 

चारबाग व कैसरबाग डिपो में कंपनी द्वारा बसों की सफाई-धुलाई की स्थिति खराब है। चारबाग में बसों की कुल संख्या 103 है जबकि कैसरबाग में बसों की कुल संख्या 113 है। चारबाग व कैसरबाग दोनों डिपो में कंपनी अनुबंध में तय किए गए मानक के अनुरुप बसों की धुलाई व सफाई नहीं कर पा रही है। वहीं 126 बसों की संख्या वाले अवध डिपो में कंपनी अनुबंध के मुताबिक बसों की धुलाई कर रही है। लेकिन यहां पर भी बस के अंदर की धुलाई की स्थिति संतुष्टï करने वाली नहीं है।

-अनुबंध के तहत कंपनी को निर्धारित की गयी बसों की धुलाई की संख्या का अमेंडमेंड किया जा रहा है, जिसके बाद स्थिति ठीक होने की उम्मीद है। यह सही है कि कंपनी बसों के अंदर की धुलाई मानक के अनुरुप नहीं कर रही है। कंपनी को रीजन में दो और प्लांट लगाने हैं। जिसको लेकर कंपनी के कार्यों की समीक्षा की जा रही है। बसों की गंदगी को लेकर कंपनी पर कितना जुर्माना किया गया यह आंकड़ा डिपो स्तर से लेना पड़ेगा।

                                                                                                एके सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ परिक्षेत्र

About Editor

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>