लेटलतीफी का शिकार हुई योजना में मशीन के आने का इंतजार नहीं हो रहा खत्म
12वीं पंचवर्षीय योजना में मिली थी मंजूरी, 1262 लाख का बजट है आवंटित
योजना की सफलता पर संशय जता रहे विभागीय जानकार, बड़े स्कैम की जता रहे संभावना
लखनऊ। केंद्र सरकार की मशीनों के जरिए वाहनों के फिटनेस जांचने की योजना लेटलतीफी का शिकार हो गयी है। ट्रांसपोर्टनगर स्थित फिटनेस ग्राउंड पर वाहनों की फिटनेस जांचने का काम करीब चार सालों बाद भी नहीं शुरू हो सका है। फिटनेस ग्राउंड पर सिविल वर्क का काम काफी पहले खत्म हो चुका है, लेकिन मशीन आने का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है। फिटनेस ग्राउंड के लिए स्पेन से मंगायी जा रही मशीन कब आएगी, इसकी भी तारीख तय नहीं है। विभागीय जानकार करोड़ों रुपए की इस योजना की सफलता को लेकर संशय भी जता रहे हैं। विभागीय जानकारों का तो यहां तक कहना है कि यह योजना कहीं परिवहन विभाग के लिए बड़ा स्कैम ना साबित हो। हाल फिलहाल करीब तीन माह तक फिटनेस ग्राउंड पर मशीनों के जरिए वाहनों की फिटनेस समेत अन्य की जांच शुरू हो पाने की संभावना ना के बराबर है। ऐसे में विभागीय जानकारों की संभावना सही साबित होने की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही यह योजना विभाग के लिए सफेद हाथी न साबित हो, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों का कहना है कि दूसरे प्रदेशों में वाहनों के फिटनेस के लिए इस तरह के सेंटर की शुरुआत की गयी थी तो वाहनों के अनफिट किये जाने पर बड़ा हंगामा हुआ था। वहीं प्रदेश में मशीन के जरिए वाहनों की जांच किए जाने पर वाहनों का अनफिट होना तय है। जिसके बाद बड़ा हंगामा होना भी तय है। ऐसे में बड़ी वाहन संख्या वाले प्रदेश में मशीनों के जरिए वाहनों की जांच-पड़ताल का प्रयोग किस प्रकार सफल साबित होगा यह सोचने वाली बात है।
2014 में मिली थी मंजूरी
अत्याधुनिक मशीनों से वाहनों के फिटनेस समेत अन्य की जांच के लिए फिटनेस ग्राउंड बनाने की मंजूरी भारत सरकार की ओर से 2014 में मिली थी। राजधानी में ट्रांसपोर्टनगर में शहीथ पथ के किनारे 7550 वर्ग मीटर में फिटनेस ग्राउंड का निर्माण कराया गया है। फिटनेस ग्राउंड का परिसर छोटा होने के चलते इसमें तीन लेन बनायी गयी है। दो लाइट व्हैकिल के लिए और एक हैवी व्हैकिल के लिए। नियमत: यह चार लेन का बनाया जाता है।
1262 लाख का है बजट
फिटनेस ग्राउंड बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से 12 करोड़ 62 लाख का बजट आवंटित किया गया है। फिटनेस ग्राउंड के निर्माण के लिए करीब 8 करोड़ का बजट आवंटित था। फिटनेस ग्राउंड के सिविल वर्क का काम सीएंडडीएस कार्यदायी संस्था को दिया गया था। जबकि सिविल वर्क के अलावा दिया गया बजट मशीन के लिए अलॉट किया गया है। फिलहाल फिटनेस ग्राउंड के सिविल वर्क का काम करीब 6 महीने पहले ही पूरा हो चुका है।
12वीं पंचवर्षीय योजना में पूरा होना था काम
देश में 2012 से 2017 के बीच 12वीं पंचवर्षीय योजना का संचालन किया गया। 12वीं पंचवर्षीय योजना में ही फिटनेस ग्राउंड बनाने की योजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन लेटलतीफी के चलते योजना का काम 12वीं की बजाय 13वीं पंचवर्षीय योजना में पूरा हो सका। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में काम पूरा न होने से टेंडर वैधता समाप्त हो गयी और लेटर ऑफ क्रेडिट भी खत्म हो गया। जिसके बाद विलंब के चलते 13वीं पंचवर्षीय योजना में फिर से प्रक्रिया करनी पड़ी।
एक दर्जन सेंटर हैं संचालित
देश में इस तरह के करीब एक दर्जन फिटनेस ग्राउंड सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। वहीं प्रदेश में यह एकमात्र फिटनेस ग्राउंड सेंटर बनाया जा रहा है। प्रदेश में फिटनेस ग्राउंड बनाने के साथ उड़ीसा में भी इसका निर्माण कराया गया। जिसके लिए भी मशीन स्पेन से मंगायी जा रही है। बीते दिनों ही देश की प्रतिष्ठिïत रिसर्च यूनिटों की टेक्निकल टीम और मशीन का संचालन करने वाली कार्यदायी संस्था रोजमार्टा के प्रतिनिधियों ने स्पेन जाकर मशीन को देखा था।
फिटनेस ग्राउंड के लिए स्पेन से मशीन आनी है। टेक्निकल टीम और कार्यदायी संस्था रोजामार्टा के प्रतिनिधि हाल ही में मशीन को देखने स्पेन गये थे। करीब 6 महीने पहले ही फिटनेस ग्राउंड के सिविल वर्क का काम पूरा हो चुका है। मशीन के जरिए वाहनों के फिटनेस की जांच शुरू होने में अभी दो से तीन महीने और लग सकते हैं।
गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त, सड़क सुरक्षा