बिजली कंपनियों ने 11851 करोड़ रुपये का उपभोक्ताओं को नहीं दिया लाभ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में उदय स्कीम लागू होने के बाद 2016-17 तक बिजली कंपनियों ने रेगुलेटरी एसेट (घाटे की भरपाई की व्यवस्था) के 11,851 करोड़ रुपये का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया। इस पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के सामने दो विकल्प रखते हुए कहा है कि समय से बिल जमा करने पर बिलों में 2.5 से लेकर 5 फीसदी तक की छूट दी जाए या फिर बिजली दरों में इजाफा न किया जाए। इससे बिजली दरें बढ़वाने की मुहिम में जुटे पावर कॉरपोरेशन को तगड़ा झटका लगा है। प्रदेश की बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए राज्य सरकार ने 2016 में केंद्र सरकार के साथ उदय स्कीम के तहत अनुबंध किया था। उस दौरान बिजली कंपनियों का कुल घाटा 70,738 करोड़ रुपये था। इसमें 53,211 करोड़ बैंकों का ऋण था। इसका 75 प्रतिशत यानी 39,908 करोड़ रुपये का दायित्व राज्य सरकार ने वहन कर लिया। उदय स्कीम के तय मानकों के अनुसार बिजली कंपनियों को घाटा कम करने के लिए लाइन हानियां कम करने, ज्यादा से ज्यादा कनेक्शन देने, मीटर लगाने सहित परफार्मेंस में सुधार सुधार करना था। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल कर पुराने घाटे के एवज में वसूले जा रहे 4.28 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज को समाप्त करने व उदय योजना से होने वाले लाभ का फायदा उपभोक्ताओं को देने की मांग की थी।
आयोग ने कॉरपोरेशन से तलब की रिपोर्ट
याचिका पर आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से रिपार्ट तलब की थी। इस मामले को लेकर आयोग में कई बार सुनवाई भी हुई। बाद में नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने इस मामले में आयोग के विशेषज्ञों से डिस्कशन पेपर तैयार कराया। इसमें खुलासा हुआ कि उदय स्कीम लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को रेगुलेटरी एसेट का जो फायदा मिलना था, वह नहीं दिया गया। वर्ष 2000 से 2016-17 तक के ऑडिट आंकड़ों के परीक्षण के बाद पता चला कि बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं को 11,851 करोड़ का फायदा देना है।
15 दिन में मांगा सुझाव व आपत्तियां
विद्युत नियामक आयोग ने अपनी वेबसाइट पर डिस्कशन पेपर अपलोड करके सभी पक्षों से 15 दिन के भीतर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। आपत्तियां व सुझाव मिलने के बाद आयोग इस पर अंतिम फैसला करेगा। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि बिजली कंपनियों के लिए अब दरें बढ़वाना मुश्किल होगा। यही नहीं, आने वाले समय में रेगुलेटरी सरचार्ज का समाप्त होना भी तय है।