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सुरक्षा के साधनों में जंग

  • दो साल से कबाड़ हो रही करोड़ों की फायर टेंडर चेचिस
  • खरीदी गई थी 35 ट्रक की चेचिस
  • 12 से 16 लाख एक चेचिस की कीमत का अनुमान
  • छ: करोड़ हुए थे खर्च

धीरेन्द्र अस्थाना DSC_0635 

लखनऊ। सूबे में हर साल करोड़ों की संपत्ति आग के हवाले होकर स्वाहा हो रही है तो वहीं राजधानी लखनऊ में तमाम गाडिय़ों की चेचिस केवल धूल ही नहीं फांक रही है, बल्कि जंग लग कर खराब हो रही है। अधिकारियों की चुप्पी साफ बता रही है कि वे इसके लिए बिल्कुल गंभीर नहीं हैं। यदि सरकार व फायर अफसरों को इसकी थोड़ी भी सुध होती तो ये गाडिय़ां आज सड़कों पर दौड़ रही होती और आम जनमानस की आग से होने वाली क्षति रोकने में कारगर साबित होती।

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एक तरफ पूरे प्रदेश में फायर ब्रिगेड संसाधन के अभाव से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ करोड़ों खर्च कर फायर ब्रिगेड के लिए खरीदी गई ट्रक की चेचिस कबाड़ हो रही हैं। अफसरों की अनदेखी के चलते दो साल पहले खरीदी गई 35 गाडिय़ों की चेचिस न अब चलने लायक बची और ना ही उन्हें मोडीफाई कर फायर ब्रिगेड का रूप दिया जा सकता है। आलम यह है कि चौक और पीजीआई फायर स्टेशन में खड़ी इन ट्रक की चेचिस में जंग और पेड़ों ने अपना ठिकाना बना लिया है। हालांकि उच्च अधिकारियों की मानें तो गााडिय़ां सही हैं और बॉडी का टेंडर जल्द करा लिया जाएगा, फिर इनको जिलों की मांग को देखते हुए आग की रोकथाम हेतु लगाया जाएगा। लेकिन सच क्या है ये सवाल केवल कागजों में बंद है। सवाल तो अग्निशमन विभाग पर कई खड़े होते हैं कि आखिर चेचिस खरीदते समय विभाग बॉडी के बारे में नहीं सोचा या फिर यह किसी घोटाले की शुरूआत तो नहींDSC_0663

35 गाडिय़ों की चेचिस आयी थी
आग की आपदा से लोगों को बचाने के लिए फायर ब्रिगेड की कमी के चलते करीब दो साल पहले वर्ष 2016 में ट्रैक की 35 चेचिस खरीदी गई थी। हर एक चेचिस की कीमत करीब 12 से 16 लाख रुपये बतायी जा रही है। करीब छह करोड़ रुपये खर्च करके खरीदी गई चेचिस पर फायर ब्रिगेड की बॉडी बनाई जानी थी। मिली जानकारी के मुताबिक इन गाडिय़ों को लखनऊ व आस-पास के जिलों को आवंटित किया जाना था। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते इन गाडिय़ों को जंग लगने के लिए छोड़ दिया गया।

बजट दूसरे मदों पर खर्च
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शासन से इन गाडिय़ों को मोडीफाई करने के लिए जो बजट आया था। उसे अफसरों ने दूसरे मदों में खर्च कर दिया। फायर टेंडर बनाने के लिए आए बजट को अधिकारियों ने लाइफ सेव जैकेट, नाइट विजन कैमरा, फायर सेफ्टी सूट खरीदने में खर्च कर दिया। यहीं नहीं बाकी बचा पैसा नेशनल फायर सर्विस गेम पर खर्च कर दिया गया। ऐसे में करोड़ों की कीमत से खरीदी गई चेचिस जंग खाने को मजबूर हो गयी।

इंजन हुए खराब बॉडी में लगा जंगDSC_0651
चौक और पीजीआई फायर स्टेशन में खड़ी चेचिस को देखने से साफ पता चल रहा है कि इनमें से ज्यादातर खराब हो चुकी है। बिजनेस लिंक की पड़ताल में पता चला कि दर्जन भर से ज्यादा गाडिय़ों के इंजन खराब भी हो चुके है, कुछ के हाल तो इतने खराब है कि वे चलने की स्थिति में ही नहीं बची है। फायर अफसरों ने भी चेक किया तो पता चला कि तकनीकी खराबी के चलते यह स्टार्ट ही नहीं हुई। इसकी जानकारी निदेशालय के अफसरों को दी गई तब उन्हें ध्यान आया कि बॉडी बनवाकर गाडिय़ों को जिलों के फायर स्टेशनों को आवंटित किया जाना था। दो साल से लापरवाही बरतने वाले अफसरों ने आनन-फानन में लेटर भेजकर शासन से बजट की मांग की है। ज्यादातर चेचिस में जंग लग चुकी है और बॉडी में पेड़ तक उग आए हैं।

रेट बढऩे पर बजट करना पड़ा वापस
फायर सर्विस के सूत्रों का कहना है कि चेचिस की खरीदारी के बाद अफसरों ने बॉडी मेकिंग के लिए टेंडर भी डाला गया था। बॉडी मेकिंग के दामों में बढ़ोत्तरी और विभाग के कम शेड्यूल रेट के चलते टेंडर प्रक्रिया फेल साबित हुई। ऐसे में इस साल भी बाडी बनवाने के लिए शासन से 5.25 करोड़ रुपये मिले थे, जिसे अधिकारियों ने वापस कर दिया।

गाडिय़ां प्रिंक्योरमेंट प्रोसेस में है। चेचिस आने के बाद बॉडी बनने के लिए जाती है। दोनों की अलग- अलग टेंडरिंग होती है। अब बॉडी का टेंडर होगा। इसके बाद जिस जिले में डिमांड होगी, वहां डिस्ट्रीब्यूट किया जायेगा। ये सारी प्रक्रिया मुख्यालय से होती है। मुझे इससे ज्यादा जानकारी नहीं है, मैं पता करके बता पाऊंगा।
वी.के सिंह, चीफ फायर ऑफिसर

मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। हमारा प्रयास रहता है लोगों के लिए बनाई गयी सुविधाओं का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचे। इस लापरवाही को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
डा. दिनेश शर्मा, उप मुख्यमंत्री, उ.प्र.

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