- 12 साल बाद सूबे के बाहर करेगा कार्य, उत्तराखंड के टनकपुर में मिला 34 करोड़ का काम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लगभग बारह साल बाद राज्य के बाहर काम करेगा। निगम टनकपुर में लगभग 34 करोड़ की लागत से सेतु बनायेगा। उत्तराखण्ड सरकार के इस कार्य में सेतु निगम की निविदा प्रथम न्यूनतम है, जल्द ही यह काम निगम को अवार्ड हो जायेगा। बीते लगभग एक दशक से निगम सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही काम कर रहा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम वर्ष 1987 तक ईराक, यमन और नेपाल आदि में अपने काम का लोहा मनवा चुका था। इतना ही नहीं सेतु निगम ने देश के विभिन्न राज्यों दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा, झारखण्ड व बिहार में वर्ष 2007 से पहले कई परियोजनायें पूरी की। निर्माण की गुणवत्ता और उच्च तकनीक के चलते सेतु निगम के नाम कई रिकार्ड दर्ज हुये। कामयाबी का यह सिलसिला और आगे बढ़ता पर बीते एक दशक से सेतु निगम के पैरों में कुछ ऐसी बेडिय़ां पड़ी, जिससे वह सूबे की सीमाओं में ही सिमट कर रह गया। लगभग एक दशक से उत्तर प्रदेश में पुलों और रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण करने वाले सेतु निगम ने बीते दिनों फिर से अपने स्वॢणम इतिहास के पन्नों को पलटने की ठानी। नतीजतन, सेतु निगम को फिलहाल सूबे की सीमा से लगे उत्तराखंड में कार्य करने का मार्ग मिल गया है। इस राह में यदि कांटे न डाले गये तो निकट भविष्य में निगम की कामयाबी का यह रास्ता देश की सीमा के बाहर तक पहुंचना तय है।
बजट के अभाव में सेतु निर्माण ठप
वर्षों बाद सूबे के बाहर कार्य करने की उपलब्धि के बीच उत्तर प्रदेश में सेतुओं का निर्माण कार्य ठप पड़ा है। सेतु निगम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंजूर पुलों व रेलवे ओवर ब्रिजों का निर्माण बजट के अभाव में पूरा नहीं कर पा रहा है। आगरा, इलाहाबाद, बरेली, बस्ती, इटावा, फैजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ और मुरादाबाद आदि अंचलों में लगभग 90 पुलों का निर्माण कार्य ठप पड़ा है। जानकारों की मानें तो वित्तीय संकट के चलते सूबे की सभी सेतु निर्माण परियोजनायें ठप हो गई हैं। यह समस्या सरकार से छिपी नहीं है।
यूपी में बजट ने रोका सेतुओं और आरओबी का निर्माण
सरकार ने इस समस्या से निजात दिलाने के लिये सेतु निगम को हुडको से 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने को कहा है। जानकारों की मानें तो इसमें से 500 करोड़ रुपये पुलों के संपर्क मार्ग बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग को देने होंगे। मगर, कोशिश यह हो रही है कि इनमें से तमाम संपर्क मार्ग खुद सेतु निगम ही बनाये जिसके लिए लोक निर्माण विभाग को दिए जाने वाले पांच सौ करोड़ में से लगभग 330 करोड़ रुपये निगम को और मिल सकें।
यहां पड़े हैं अधूरे पुल
वित्तीय संकट के चलते सेतु निगम के लगभग 90 सेतुओं का निर्माण ठप पड़ा है। इनमें आगरा अंचल में नौ, इलाहाबाद अंचल में पांच, बरेली अंचल में चार, बस्ती अचंल में पांच, इटावा अंचल में दो, फैजाबाद में 10, गाजियाबाद अंचल में नौ, गोरखपुर अंचल में सात, कानपुर अंचल में पांच, लखनऊ अंचल में 13 और मुरादाबाद अंचल में 10 पुलों का निर्माण कार्य बाधित हुआ है।
सांसद-विधायक देंगे प्रस्ताव
सरकार की एक नई व्यवस्था के अनुसार सांसदों व विधायकों से पुलों और रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। इन प्रस्तावों में प्राथमिकता वाले पुलों व रेलवे ओवर ब्रिजों की परियोजनाओं की कुल लागत का कर्ज सरकार अपनी गारण्टी पर राज्य सेतु निगम को दिलवाएगी, जिसकी भरपाई अगले बजट में होगी।
सूबे से बाहर अन्य राज्यों में और मेट्रों का कार्य सेतु निगम करें, इस दिशा में संजीदगी से प्रयास किये जा रहे हैं। निगम की किसी परियोजना मेंं बजट की कमी नहीं होने दी जायेगी।
राजन मित्तल, एमडी, सेतु निगम
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