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पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले दोगुनी बरामदगी कर रही काले धन को ठिकाने लगाने के नए ट्रेंड की ओर इशारा
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अब तक बरामद हो चुका है 123.5 किलो सोना और 410 किलो से अधिक चांदी
लखनऊ। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बावजूद लोग बल्क में सोना-चांदी और कैश लेकर चलने से बाज नहीं आ रहे। गौरतलब है कि इस बार पिछली बार से दोगुनी मात्रा में सोना- चांदी की बरामदगी आयकर विभाग समेत तमाम एजेंसियों की चिंता को बढ़ा रही है।
एजेंसियों को चिंता सता रही है कि इतनी भारी मात्रा में बरामदगी काले धन को ठिकाने के नए ट्रेंड का संकेत तो नहीं है। आचार संहिता लागू होने के बाद से प्रदेश भर में स्टैटिक टीमों के अलावा पुलिस, आबकारी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो समेत तमाम एजेंसियां चेकिंग अभियान चला रही हैं। ताबड़तोड़ चेकिंग अभियान के परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
तीन चरण के चुनाव संपन्न होने तक प्रदेश भर में 123.50 किलो सोना व 410 किलो चांदी बरामद की गई है। उल्लेखनीय है कि सोने व चांदी की बरामदगी का आंकड़ा चौंकाने वाला है। दरअसल, अब तक जो बरामदगी की गई है वह 2014 लोकसभा चुनाव में मतगणना संपन्न होने तक की गई सोने- चांदी की बरामदगी की दोगुनी है। उस समय सभी एजेंसियों ने कुल मिलाकर 62.33 किलो सोना और करीब 200 किलो चांदी बरामद की थी। सोना-चांदी की इतनी भारी मात्रा में बरामदगी ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।
बल्क में बरामदगी चिंताजनक
प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह इतनी भारी मात्रा में सोना-चांदी बरामद होने को संयोग नहीं मानते। उन्होंने कहा कि सोना-चांदी की यह बरामदगी इस संभावना को बलवती करती है कि नोटबंदी के बाद काला धन को सोना-चांदी के रूप में ठिकाने लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि जिम्मेदार एजेंसियां ऐसी कीमती धातु बेचने वाले व्यापारियों पर भी नजर रखें और बल्क में इनकी खरीद करने वालों की पड़ताल करें। पूर्व डीजीपी ने कहा कि जिस तरह चेकिंग अभियान चुनाव के दौरान चल रहा है, उसे आगे भी चलाया जा सकता है। हालांकि, इसमें यह इंश्योर करना होगा कि इससे आम लोगों या आम व्यापारियों को दिक्कत न हो।
तीन चरणों में ही बरामद हो गये 742 करोड़
शायद इस बार चुनाव आयोग की नजर कुछ ज्यादा ही पैनी है। यही कारण है कि अभी तक बस तीन चरणों के चुनाव हुए हैं लेकिन नकदी 742 करोड़ से ज्यादा पकड़ी जा चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद नकदी पकड़े जाने का रिकार्ड टूट गया है। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान करीब तीन सौ करोड़ नकद जब्त किए गए थे।
अभी चार चरणों का चुनाव बाकी है और बीते लोकसभा चुनाव से दोगुनी नकदी जब्त की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि 2016 में नोटबंदी के बाद से नकदी प्रचलन में कमी लाने के लिए ढेर सारे उपाय किए गए हैं लेकिन इसका असर दिख नहीं रहा है। चुनाव में नकदी धन का उपयोग करने की कोशिश लगातार हो रही है लेकिन चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों और निगरानी तंत्र की वजह से पकड़ी जा रही हैं।
लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ दस मार्च को आचार संहिता लागू हो गई थी। इसके साथ ही चुनावी गतिविधियां शुरू हो गई। तीन चरणों का मतदान भी हो गया है। इस बार चुनाव आयोग की पैनी नजर के कारण 24 अप्रैल तक 742.28 करोड़ रपए की नकदी पकड़ी गई है। इसी तरह से 12,37,251 लीटर शराब पकड़ी गई है।