Breaking News
Home / Breaking News / करोड़ों खर्च, सफाई ध्वस्त

करोड़ों खर्च, सफाई ध्वस्त

लखनऊ। शहर पर लगा गंदगी का दाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन योजना भी नहीं धुल सकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के हाथ में झाडूृ उठाने के बाद भी लखनऊ को इस बदनुमा दाग से छुटकारा नहीं मिल सका है। शहर की प्रथम नागरिक महापौर संयुक्ता भाटिया की सख्ती भी इस दाग को धुल नहीं पा रही है। यही नहीं केंद्र, राज्य सरकार और नगर निगम से मिलने वाले करोड़ों का बजट भी दाग को धोने में बह गया, फिर भी शहर साफ नहीं हो सका।

गौरतलब है कि 2 अक्टूबर 2014 को मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। ऐसा लगा कि शहर साफ सुथरा हो जाएगा क्योंकि सांसद, विधायक, मेयर, प्रशासन के आलाकमान ने झाडू के साथ खूब फोटो खिंचवाई। लखनऊ स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में रैकिंग छह पायदान फिसलकर 121वें स्थान पर पहुंच गई। इसके बाद भी सुधार के मामले में बड़े फैसले नहीं किए गए। सफाई कराने में कदम- कदम पर भ्रष्टाचार ने लखनऊ की छवि देश भर में धूमिल हुई है। उपभोक्ता फोरम का आदेश आईना हो सकता है, इससे पहले हाईकोर्ट, एनजीटी भी समय- समय पर आदेश देता रहा है।

शहर में करीब 62 सौ सफाई कर्मचारी ठेकेदारी प्रथा पर काम कर रहे हैं। नगर निगम प्रतिदिन मानदेय के तौर पर 250 पये प्रति कर्मचारी भुगतान कर रहा है, लेकिन हकीकत में आधे कर्मचारियों से ही काम चलाया जा रहा है। ह्यूमन रिसोर्स टै्रकिंग वॉच से भी यह सच सामने आ चुका है कि कर्मचारियों की लोकेशन उन्नाव और दिल्ली में है और भुगतान यहां हो रहा है। सफाई व्यवस्था पर हर महीने में करीब सौ करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। अफसर, पार्षद और ठेकेदारों का गठजोड़ ही शहर को गंदा कर रहा है।

kuda

कूड़ा उठान में भी घालमेल

कूड़ा उठान में बड़े खेल से पर्दा उठ चुका है। नगर निगम का दावा है कि हर दिन वह अपने वाहनों से 1300 मीटिक टन कूड़ा उठा रहा है, जबकि घर- घर से कूड़ा कर रही कंपनी मेसर्स इकोग्रीन एक हजार मीट्रिक टन कूड़ा उठाने का दावा कर रही है और हर दिन 1604 रुपये मीटिक टन के हिसाब से नगर निगम से भुगतान भी ले रही है, जबकि शहर में हर दिन 1500 मीटिक टन ही कूड़ा निकलता है। ऐसे में आठ सौ मीटिक टन कूड़ा उठान के भुगतान में खेल चल रहा है।

घर-घर से कूड़ा उठान में फेल

स्वच्छता रैकिंग में सबसे कम नंबर कूड़ा उठान में मिला है। इसमें नगर निगम को कूड़ा प्रबंधन में सुधार करना था। यानी घर- घर से कूड़ा एकत्र हो और कूड़े की छंटाई घर पर ही हो जाए, लेकिन शहर के 5.59 लाख भवनों में से 1.40 लाख से ही कूड़ा एकत्र हो पा रहा है और वह भी बिना छंटाई के।

बिना टेंडर बंट रहे 60 करोड़ के काम

सफाई का बजट 50 करोड़ का और काम धेले भर भर भी नहीं। नगर निगम के कई इलाकों में चल रही ठेके पर सफाई व्यवस्था में बड़ा छेद है। हाल यह है कि बिना टेंडर प्रक्रिया के 60 करोड़ के काम ऐसे ही बांटे जा रहे हैं। अधिकारी, पार्षद और ठेकेदार मिलकर सफाई के बजट में खेल कर रहे हैं। ठेकेदारों ने ही कहा था कि अधिकारियों से लेकर कुछ पार्षद कमीशन लेते हैं।

About Editor

Check Also

khiri

लखीमपुर खीरी काण्ड ;  129 दिन बाद आशीष मिश्रा जेल से रिहा

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की आज 129 दिन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>