- सोता रहा जिला प्रशासन-एलडीए तंत्र, शोरूम मालिकों ने मेट्रो से ज्यादा खुदवा डाला गंज
- दशकों पुरानी इमारतों के नीचे बन गये दो से तीन मंजिला बेसमेंट, अब जागे जिम्मेदार
- एलडीए ने 200 से अधिक बड़े शोरूमों में शुरू किया सर्वे, मिले लगभग तीन दर्जन से अधिक अवैध बेसमेंट
- गंज चौराहे से डीएम आवास और मल्टीलेवल पाॢकंग के पीछे है अवैध बेसमेंट की भरमार
- शत्रु संपत्तियों में भी हुआ अवैध निर्माण, मिट्टी-बालू भरकर बंद कराये जा सकते हैं बेसमेंट
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। राजधानी का दिल कहा जाने वाला हजरतगंज खोखला हो चुका है। ऐतिहासिक हजरतगंज मार्केट की दशकों पुरानी इमारतों के नीचे शोरूम मालिको ने 15 से 20 मीटर गहराई तक अवैध बेंसमेंट बनवा लिये हैं। यह कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं, पर इससे इनका कोई लेना-देना नहीं। जानकारों की मानें तो हजरतगंज मार्केट में 70 प्रतिशत व्यापारियों के शोरूमों में अवैध बेसमेंट हैं। दो से तीन मंजिले इन बेसमेंटों का निर्माण पलक झपकते नहीं हुआ, बल्कि सुनियोजित रूट से यह अवैध निर्माण जिला प्रशासन और एलडीए के आला हुक्मरानों की नाक के नीचे अंजाम तक पहुंचे हैं।
जानकारों की मानें तो इतनी खुदाई तो मेट्रो ने अपने भूमिगत रूट और स्टेशन निर्माण के लिये भी नहीं की, हजरतगंज को जितना यहां संचालित शोरूम के व्यापारियों ने खुदवा डाला है। यहां दशकों पुरानी इमारतों के नीचे खुदाई का आलम यह है कि 70 प्रतिशत शोरूमों में अवैध बेसमेंट हैं। बीते दिनों हजरतगंज मार्केट के ही कुछ लोगों ने मंडलायुक्त और एलडीए वीसी को अवगत कराया था कि हजरतगंज में अवैध रूप से 16 मीटर तक गहरे बेसमेंट बना लिये गये हैं। इसकी वजह से 100 साल से अधिक पुरानी इमारतों के ढहने का खतरा है। भविष्य में मेट्रो ट्रेन संचालन के कंपन से यह इमारतें ढह सकती हैं। अधिकतर इमारतों में आवासीय भवन हैं, यहां रहने वाले परिवारों की जान को खतरा है।
एलडीए की प्रवर्तन टीम का भी मानना है कि जिस तेजी से हजरतगंज में अवैध बेसमेंट सामने आ रहे हैं, उससे यकीन है कि हजरतगंज में 70 प्रतिशत तक शोरूमों के अंदर अवैध बेसमेंट बना लिये गये हैं। इनमें से कुछ तो पांच साल से अधिक तक पुराने हैं। इन अवैध निर्माण पर क्या कार्यवाई हो सकती है। अब एलडीए भी विकल्प तलाश रहा है। सूत्रों की मानें तो एलडीए अब जिला प्रशासन को भी इस अवैध निर्माण में कार्रवाई के लिए शामिल करने की कागजी कसरत कर रहा है। एलडीए अधिकारियों का कहना है कि हजरतगंज में अधिकांश शत्रु संपत्तियां हैं। इन इमारतों में बेसमेंट बनाये जाने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति ली जानी चाहिए थी। ऐसे में कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को भी आगे आना चाहिये। एलडीए अधिकारियों ने मौखिक रूप से मंडलायुक्त को इसकी जानकारी दे दी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ऐतिहासिक मार्केट हजरतगंज की नई पहचान ‘अवैध बेसमेंटगंज‘ बनाने वालों की मंषा से जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी अंजान बने रहे और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई? या फिर हजरतगंज को खोखला करने के एवज में इन्होंने सुविधा शुल्क वसूला? यह जांच का विषय है।
मिट्टी-बालू भरकर बंद कराये जा सकते हैं बेसमेंट
एलडीए प्रबंध तंत्र का कहना है कि बेसमेंट का अवैध निर्माण आम इमारतों की तरह नहीं होता। इसे हम जेसीबी लगाकर तोड़ भी नहीं सकते हैं। इसका एक ही विकल्प है कि बेसमेंट को दोबारा मिट्टी या बालू से भर दिया जाय। बेसमेंट को बंद कराने का यही एकमात्र विकल्प होता है। बड़ी संख्या में बेसमेंट होने पर हमें अधिक संसाधनों की जरूरत भी होगी।
सर्वे में मिली चौकानें वाली तस्वीर
शिकायत मिलने पर एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह ने जब मातहतों को फटकार की डोज पिलाई, तब जोन-6 के अधिकारियों ने शोरूमों का सर्वे करने का निर्णय लिया। प्रवर्तन टीम को अब तक लगभग तीन दर्जन से अधिक अवैध बेसमेंट मिल चुके हैं। सर्वे जारी है।
सर्वे में पता चला है कि अधिकांश शोरूम के नीचे अवैध बेसमेंट हैं। जिस व्यापारी विनोद पंजाबी का शोरूम का बेसमेंट सील किया गया है, उसी का मल्टीलेवल पाॄकग के पास भी शोरूम है। इसमें भी अवैध बेसमेंट बना है। यह निर्माण मेट्रो की आड़ में हुआ। ऐसे कई बेसमेंट अभी जानकारी में आये हैं। इनके खिलाफ पूर्व में हुई कार्रवाई और नये निर्माण का भी पता किया जा रहा है।
ओपी मिश्रा, प्रभारी प्रवर्तन -6 एलडीए
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