- प्रथम चरण में चुने गये 16 नगर निगम और बुन्देलखण्ड के सात जनपद
- जनता की भागीदारी से रख-रखाव के लिए बनेगी गो संरक्षण समितियां
- जिलाधिकारी के नेतृत्व में गठित होंगी समितियां, सुरक्षा के लिए शेड, चहारदीवारी का कराया जायेगा निर्माण
लखनऊ। राज्य सरकार प्रदेश के नगर निगमों व बंदेलखंड के जनपदों में गोवंश की सुरक्षा के लिये गोशालायें बनायेगी। योजना के प्रथम चरण में मॉडल के रूप में बुंदेलखंड के सात जनपदों तथा 16 नगर निगमों में एक हजार पशु क्षमता वाली गोशालाओं की स्थापना की जायेगी। इनमें गोवंश व छुटटा पशुओं को रखा जाएगा। इसके बाद अन्य जनपदों में इन गोशालाओं की स्थापना होगी। यह कार्य उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग की देख-रेख में होगा।
इन गोशालाओं के सुचारु संचालन की जिम्मेदारी गो समितियों की होगी। समितियां अपने संसाधनों से इनका संचालन सुनिश्चित करेंगी। इन केंद्रों पर गोवंश की सुरक्षा के लिए शेड निर्माण करने के साथ-साथ बाउंड्री निर्माण कराया जायेगा। शहरी क्षेत्रों में भी गोवंश की सुरक्षा के लिए ऐसे केंद्रों व गोशालाओं की स्थापना होगी, जहां पर छुटटा पशुओं को सुरक्षित रखा जा सके और उनके चारे-पानी की व्यवस्था हो सके और उनके बीच रोग न फैलें।
गोशालाओं के संचालन के लिए जिलाधिकारी के नेतृत्व में समिति गठित की जायेंगी। इन समितियों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में गोशालाएं बनवाकर ग्राम समितियों को उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि वे स्वतंत्र रूप से इन्हें जन सहयोग से चला सकें। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवंश के रख-रखाव एवं छुटटा पशुओं की समस्या के समाधान की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये हैं।
अधिकारियों को निर्देशित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा बंदेलखंड और नगर निगम क्षेत्रों में गोशालाओं के रख-रखाव के लिए गो संरक्षण समितियां बनायी जाएं। इस कार्य में सरकार अपना हर सम्भव सहयोग देगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में गोशालाओं की स्थापना के लिए जो स्थान चुना जाए, वह सुरक्षित हो और इनमें रखे गए गोवंश के लिए चारे-पानी इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। इस कार्य में केंद्र सरकार की विभिन्न नीतियों एवं कार्यक्रमों के साथ ही जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाय।
बुन्देलखण्ड की ‘अन्ना प्रथा’ का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा इसका मूल कारण इस क्षेत्र की गायों द्वारा कम मात्रा में दूध देना है। इस समस्या का समाधान गोवंश के नस्ल सुधार से किया जा सकता है। औषधि के निर्माण में इस्तेमाल के लिए गोमूत्र की काफी मांग है। राज्य में गोनाइल के निर्माण के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की संभावनाओं को तलाशा जाए।
जब दूध के लिए हम गोवंश पर आश्रित हैं तो हमें उनकी रक्षा भी करनी होगी। गोवंश मानव जाति के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अत: हमें इसकी हर हाल में रक्षा करनी होगी।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री