निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किये बिना चहेती कम्पनियों को दे दिया बिलिंग का काम
रेवडिय़ों की तरह अनट्रेंड कम्पनियों को बांट दिये गये बिलिंग के ठेके
7 साल के लिए दिए गए बिलिंग के ठेके से पावर कॉरपोरेशन को होगा 3000 करोड़ रुपये का घाटा
7-8 रुपये की जगह टेंडर में 11-12 रुपये का कम्पनियों के साथ किया गया है एग्रीमेंट
जिस कम्पनी ने बनाया बिलिंग साफ्टवेयर उस कम्पनी को भी दे दिया बिलिंग का ठेका
पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र की मनमानी के खिलाफ टेंडर प्रक्रिया में शामिल कम्पनियों ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
लखनऊ। चहेतों को लाभ पहुंचाने में करोड़ों रुपये के महाघोटाले की नींव ऊर्जा विभाग में तैयार हो गयी है। प्रकरण यूपी पावर कॉरपोरेशन के मध्यांचल, पूर्वान्चल, दक्षिणांचल व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में बिलिंग एजेंसियों के चयन से जुडा है। जिसमें डिस्काम स्तर पर बिलिंग एजेंसियों के चयन में बड़ी धांधली उजागर हुई है। सूत्रों का दावा है कि यूपी पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र ने निर्धारित प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए चहेती कम्पनियों को बिलिंग का ठेका दे दिया है। निविदा में निर्धारित प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए चहेती अनट्रेंड कम्पनियों को करीब 800 करोड़ का टेंडर अलाट कर दिया गया। सात सालों के लिए किये गये बिलिंग ठेके से पावर कॉरपोरेशन को करीब 3000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया जा रहा है। यह कहना गलत न होगा कि प्रदेश के ऊर्जा विभाग का अब तक का यह सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा। बावजूद इसके कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र अपनी कारस्तानी पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश में है। यूपीपीसीएल की ओर से बीते अप्रैल माह में बिलिंग एजेंसियों के चयन के लिए निविदा निकाली गयी थी। बिलिंग एजेंसी के चयन की निविदा के लिए 21 कम्पनियों ने आवेदन किया। निविदा में इन एजेंसियों के चयन को लेकर प्रक्रिया निर्धारित की गयी थी। सूत्रों की मानें तो टेंडर खोले जाने के पहले निर्धारित प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए प्रबंध तंत्र ने मनमाना रवैया अपनाया। निविदा शर्तों का पालन न करते हुए प्रबंध तंत्र ने सभी कम्पनियों का प्रजेंटेशन करवाया, जिसके लिए 50 अंक निर्धारित किये गये थे। प्रजेंटेशन के बाद किस कम्पनी को कितने अंक मिले यह प्रबंध तंत्र ने वेबसाइट पर कहीं भी अपलोड नहीं किया और न ही इसकी वीडियो रिकार्डिंग ही कराई। यही नहीं जिन 3 लोगों की कमेटी के सामने कम्पनियों को अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत करना था, प्रजेंटेशन के समय कमेटी का कोई भी सदस्य उपस्थित नहीं था। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि कम्पनियों ने किन लोगों के सामने अपना प्रजेंटेशन दिया और जिन कम्पनियों को बिलिंग एजेंसी के रुप में चयनित किया गया उनको माक्र्स किन लोगों ने प्रदान किये। चहेतों को टेंडर देने में प्रबंध तंत्र ने आनन-फानन में फाइनेंशियल बिड को खोलते हुए अन्य को बाहर का रास्ता दिखा दिया। ऐसी कम्पनियों को बिलिंग एजेंसी के रुप में चयनित किया गया जो पूर्व में खराब परफारमेंस के चलते ब्लैक लिस्टेड की जा चुकी हैं। ब्लैक लिस्टेड कम्पनियों को ठेका देने की तेजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टेक्निकल बिड में बाहर होने के तत्काल बाद ही उनसे एग्रीमेंट करते हुए अप्वाइनमेंट कर लिया गया और कम्पनियों को बिलिंग का काम भी अलाट कर दिया गया। तकनीकी बोली में बाहर हुई कम्पनियों को अस्वीकृति के कारण मांगने का समय ही नहीं दिया गया। कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र की धांधली के खिलाफ निविदा से बाहर हुई कम्पनियों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जहां पर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र टालू रवैया अपनाये हुए है।
इन प्रक्रियाओं का नहीं किया गया पालन
1-कम्पनियों की प्रजेंटेशन के समय कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित नहीं थे।
2-सभी आवेदनकर्ताओं ने क्लॉज 10 के अनुसार दृष्टिïकोण पद्घति, कार्य योजना, अनुसूची और बिलिंग अभ्यास पर प्रजेंटेशन दिया।
3-आवेदनकर्ताओं को उनके मोबाइल पर एसएमएस व ईमेल के जरिए 17 जुलाई को सूचित किया गया कि तकनीकी बोली में उनकी बोली खारिज कर दी गयी है।
4-विभाग ने आवेदनकर्ताओं को अस्वीकृति के कारण मांगने का समय नहीं दिया, बल्कि सफल बोलीदाताओं की कीमत 1.00 बजे तक खोला।
5-अस्वीकृत व स्वीकृत बोलीदाताओं के निर्दिष्टï अंक, न तो डोमेन पर और न ही मूल्य बोली खोलने से पहले मेल द्वारा प्रदर्शित किये गये।
6-बोलीदाताओं को आवंटित कीमतें उच्च पक्ष और विभाग के अभ्यास के खिलाफ हैं।
7-उच्च मूल्य आवंटन विभाग के कारण सैंकड़ों करोड़ रुपये खो गये।
8-यूपीपीसीएल की वर्तमान पद्घति की सभी अनुभवहीन कम्पनियों ने काम किया।
साफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी का भी चयन
कॉरपोरेशन द्वारा निकाले गये टेंडर में एक ऐसी एजेंसी का भी चयन कर लिया गया जिसने बिलिंग का साफ्टवेयर बनाया है। कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र ने निविदा के तहत फ्लूवेंट ग्रिड कम्पनी को भी बिलिंग का ठेका अलाट कर दिया है। जबकि इसी कम्पनी ने बिलिंग साफ्टवेयर भी बनाया है। ऐसे में बिलिंग साफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी को किस आधार पर बिलिंग का ठेका दे दिया गया यह बड़ा सवाल है। अनुभवहीन कम्पनियों को ठेका अलाट करने का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रबंधन किस प्रकार टेंडर अलाट करने में धांधली की है।
इन कम्पनियों को दिया गया ठेका
पावर कॉरपोरेशन ने मध्यांचल, पूर्वान्चल, दक्षिणांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में बिलिंग के लिए निकाली गयी निविदा के तहत 5 कम्पनियों को चयनित किया गया। इनमें बिलिंग साफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी फ्लूवेंट ग्रिड भी शामिल है। इसके अलावा काम्पिनेंट इनर्जीज, बीसीआईटी, एनसाफ्ट और इनवेंटिव कम्पनियां शामिल हैं। इनमें एनसाफ्ट और इनवेंटिव कम्पनियां पूर्व में भी लेसा में बिलिंग का काम कर चुकी हैं। इन कम्पनियों को अनियमितता और खराब परफारमेंस के चलते ही ब्लैक लिस्टेड किया गया था। बावजूद इसके प्रबंधन ने सबकुछ अनदेखा करते हुए इन कम्पनियों का चयन कर लिया गया। इनमें एनसाफ्ट को पूरे पूर्वान्चल व काम्पिनेंट इनर्जीज व बीसीआईटी को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में बिलिंग का काम सौंपा गया है।
जोन की बजाय डिस्काम वाइज निकाला गया टेंडर
यूपीपीसीएल प्रबंध तंत्र ने बड़ी धांधली को अंजाम देने की नीयत से ही बिलिंग एजेंसी के चयन के लिए डिस्काम स्तर पर निविदा आमंत्रित की गयी। यह पहला मौका है जब विद्युत विभाग में डिस्काम स्तर पर निविदा आमंत्रित की गयी। इसके पूर्व जोन वाइज टेंडर निकालकर एजेंसी का चयन किया जाता रहा है। इस बार के टेंडर में डिस्काम को दो क्लस्टर में बांटकर निविदा निकालकर बड़े खेल को अंजाम दिया गया।
धांधली के चलते ही निरस्त हुआ था टेंडर
चहेतों को ठेका दिलाने के लिए टेंडर में धांधली का कॉरपोरेशन प्रबंधन का यह पहला प्रयास नहीं था। इसके पूर्व भी बीते फरवरी माह में प्रबंधन ने एजेंसी चयन के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। जिसमें खूब मनमानी की जा रही थी और अपनों को ठेका देने के लिए धांधली की पुरजोर कोशिश की जा रही थी। प्रबंधन की इस कारस्तानी के खिलाफ कुछ आवेदनकर्ताओं ने न्यायालय की शरण ली थी। जिसके बाद न्यायालय ने प्रबंधन को फटकार लगाते हुए उचित तरीके से टेंडर प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था। जिसके बाद प्रबंधन ने टेंडर ही निरस्त कर दिया था।
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर अफसरों ने की धांधली
सूत्रों की मानें तो कॉरपोरेशन के उच्चाधिकारियों के दिशानिर्देश पर निचले लेबल के अफसरों ने चहेतों को टेंडर देने के लिए धांधली का पूरा खाका तैयार किया। टेंडर में हुई धांधली में यूपीपीसीएल के एक अफसर और मध्यांचल के एक चीफ लेबल के अफसर की बड़ी भूमिका बतायी जा रही है। दरअसल बिलिंग एजेंसी के टेंडर के लिए चयनित की जाने वाली कम्पनी का चयन 5-6 लोगों की कमेटी करती है। कमेटी में चेयरमैन से लेकर डायरेक्टर, व कामर्शियल विंग से जुड़े अफसर शामिल होते हैं।
विभागीय टेंडर प्रक्रिया से मुझे क्या लेना-देना है। अगर बिलिंग एजेंसी के चयन में किसी तरह की अनियमितता हुई है तो इसके लिए चेयरमैन से बात कीजिये।
श्रीकांत शर्मा, ऊर्जा मंत्री यूपी
बिलिंग व मीटरिंग प्रणाली विभाग का तराजू है। इसमें पारदर्शिता नहीं बरती गई तो विभाग को बड़ी क्षति होगी। इस प्रकरण को नियामक आयोग के समक्ष रखा जायेगा।
अवधेश वर्मा, अध्यक्ष, विद्युत उपभोक्ता परिषद