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स्मारक- पार्कों में घपलेबाजी

  • वाटर प्यूरीफायर खराब, बोरिंग के बजट में लूट, हाथी की सूड़ टूटी, सूख रहे पौधे, सड़कों पर जगह- जगह टूटे- फूटे पत्थर
  • माया सरकार में 4500 करोड़ की लागत से तैयार किये गये थे स्मारक व पार्क

धीरेन्द्र अस्थाना

लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती के शासन में बनाए गए स्मारकों, पार्कों में अनुरक्षण के नाम पर घपलेबाजी की जा रही है। योगी सरकार ने यहां टूट फूट की मरम्मत के लिए लगभग छह करोड़ रुपये दिए। इस रकम से पार्कों और स्मारकों को नए सिरे से संवारा जाना था। लेकिन स्मारकों व पार्कों की हालत कुछ और ही बयां कर रही है। हाथियों को ठीक नहीं कराया गया है, तो वाटर कूलर काफी समय से खराब पड़े हैं। जबकि स्मारक कर्मचारी बाहर पानी की बोतल पर्यटकों को बेंच रहे हैं। यही नहीं सिंचाई के लिए सबमर्सिबल बोरिंग के नाम पर भी हर वर्ष लाखों की लूट हो रही है। इससे पेड़- पौधे सूख रहे हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले ये सारे काम पूरे करवाए जाने के निर्देश थे। स्मारक व पार्कों में पत्थर उखड़ चुके हैं, उनको दोबारा सही करवाया जाना था। वाटर प्यूरीफायर और वाटर कूलर बदले जाने के लिए सरकार से बजट जारी हुआ था। सभी फाउंटेन दुरुस्त होने थे लेकिन वे तो बंद पड़े हैं। स्मारक संरक्षण समिति की ओर से इससे संबंधित टेंडर जारी किए गए थे। मगर काम कराए ही नहीं गए और बजट खत्म हो गया। स्थिति यह है कि गोमती नगर स्थित गोमती नगर स्थित डॉ. अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में करीब चार में से दो वाटर कूलर खराब पड़े हैं। स्मारक संरक्षण समिति के मुख्य प्रबंधक एमपी सिंह का कहना है कि कुछ काम हुए कुछ होने के लिए रह गए हैं। इसके बाद भी अगर बजट मिलने के बाद काम न होने की शिकायत है तो इसकी जांच करायी जाएगी। दोषी होने पर सख्त कार्रवाई होगी। बताते चलें कि 2011 में स्मारक आम लोगों के लिए खोले गए थे। तब लगभग 4500 करोड़ रुपये की लागत से स्मारकों का निर्माण करवाया गया था। गोमती नगर स्थित डॉ. अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, भागीदारी भवन, म्यूजिकल फाउंटेन पार्क और अन्य क्षेत्र के दो पार्कों का निर्माण करवाया गया था। इसी तरह से कानपुर रोड पर कांशीराम ईको गार्डेन, बौद्ध विहार शांति उपवन और कांशीराम स्मारक स्थल बनाए गए थे। पार्क का भ्रमण करने आये दिल्ली के देवांश सक्सेना ने बताया कि पार्क बहुत सुंदर है मगर पानी और ट्वायलेट की समस्या काफी है। पार्क काफी बड़ा है, घंटों घूमने के कारण प्यास लगने पर पानी के लिए तरसना पड़ता है। उनके साथ १0 लोगों का दल यहां आया था, जिसमें ३ महिलाएं भी शामिल थीं। लोगों ने बताया यहां पानी की समस्या है ये बात मुख्य गेट पर ही बता दी जाती है। इससे पर्यटकों को पहले की पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है। पार्क के ही एक कर्मचारी ने बताया कि वाटर प्यूरीफायर सही कराने के लिए पैसा मिला था। काम नहीं कराया गया, यहां काम करने वाले कर्मचारी ही बाहर दुकान लगाकर पानी बेचते हैं।

फायर फाइटिंग फेल, वाटर पम्प खराब
अनुरक्षण के अभाव में पिछले साढ़े छह साल में बसपा शासन काल के स्मारकों और पार्कांे का बुरा हाल होता चला गया। हाथी जगह-जगह से टूटने लगे। जगह- जगह से महंगे पत्थर उखडऩे लगे हैं। ज्यादातर वाटर पंप खराब हो चुके हैं। फायर फाइटिंग सिस्टम और सिक्योरिटी सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुके हैं। पानी भरने के लिए एक दर्जन से ज्यादा बोरिंग खराब पड़ी हैं। जानकारी के अनुसार सैंडस्टोन से बनाए गए हाथियों की मरम्मत व पेंटिंग पर करीब 28 लाख रुपये खर्च करने का बजट अनुमानित किया गया था। इसी प्रकार 31 लाख में सबमर्सिबल और मोनोब्लॉक पंपों की मरम्मत, नए आरओ और वाटर कूलर के वार्षिक अनुरक्षण पर करीब 10 लाख, फाउंटेन और वाटर बॉडी पर करीब 76 लाख का बजट बना। पार्कों और संबंधित क्षेत्र में फायर फाइटिंग सिस्टम के नवीनीकरण के लिए करीब 85 लाख खर्च होने थे। इसी तरह से कई अन्य कार्यों के लिए बजट मिला था, मगर स्मारक व पार्कों में एक भी काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

इतने पार्कों व स्मारकों का जिम्मा
लखनऊ में वर्तमान में डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का वाह्य क्षेत्र, कांशीराम ग्रीन ईको गार्डेन, कांशीराम स्मारक स्थल, बौद्ध विहार शांति उपवन, रमाबाई अम्बेडकर रैली स्थल तथा उससे सम्बन्धित क्षेत्र (श्रीकांशीराम सांस्कृतिक स्थल एवं पार्क, पार्किंग स्थल पी-4) निर्मित किये गये हैं। राजधानी के इन स्मारकों के अतिरिक्त जनपद गौतमबुद्ध नगर में डीएनडी फ्लाईओवर के निकट विकसित पार्क, ग्रेटर नोयडा अथारिटी द्वारा ग्राम बादलपुर में निर्मित गौतमबुद्धा पार्क एवं बाबासाहब अम्बेडकर पार्क का प्रबन्धन, सुरक्षा एवं अनुरक्षण भी समिति द्वारा किया जा रहा है।

नुकसान पर जुर्माना लगेगा
प्रस्ताव के मुताबिक, शूटिंग के दौरान स्मारक के किसी भी हिस्से में कील या दीवारों को नुकसान करने वाली नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं होगा। शूटिंग के बाद टूट-फूट होने पर बुकिंग करवाने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। इसके अलावा पानी- बिजली का इंतजाम भी आयोजकों को खुद ही करना होगा।

ऐसे दूर होगा बजट संकट
प्रेरणा स्थल, अम्बेडकर पार्क और स्मारकों में शूटिंग के रेट और गाइडलाइंस जारी करने का कारण बजट संकट माना जा रहा है। बसपा सरकार में बनी इन इमारतों के लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं मिल रहा। जितना बजट आता है, वह कर्मचारियों के वेतन- भत्तों में खर्च हो जाता है। इसके बाद इमारतों की मरम्मत और रखरखाव के लिए पैसा नहीं बचता।

बजट के लिए शूट पर फीस
पार्कों और स्मारकों में अभी तक लोग महज टिकट खरीदकर प्री-वेडिंग शूट कर लेते हैं। इसके उलट स्मारक समिति ने इसकी फीस 10 से 15 हजार रुपये तक कर दी है। ऐसे में शादी से पहले प्री-वेडिंग शूट करवाने के लिए लोगों को ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। इससे स्मारकों और पार्कों की आमदनी बढ़ेगी और संरक्षण में सुधार आयेगा। साथ ही बजट का रोना भी काफी हद तक कम होने की बात की जा रही है।

कर्मचारियों को 75 फीसद की छूट?
स्मारक समिति के अधीन पार्क, शांति उपवन और स्मारकों के कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को प्री-वेडिंग शूट की फीस में 75 फीसद की छूट मिलेगी। प्रस्ताव के मुताबिक, कर्मचारी के अलावा उसकी बेटी, बेटे, भाई और बहन को ही यह छूट मिल सकेगी।park2 copy

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