- कायस्थ छात्रावास प्रकरण, पहले अपनी मौजूदगी में कराया कब्जा, अब कानून का राग अलाप रही पुलिस
- सडक़ पर उतरे छात्र, गांधी प्रतिमा पर किया प्रदर्शन, जिलाधिकारी आवास पर की नारेबाजी
- एसएसपी कार्यालय के निकट कायस्थ हॉस्टल की बेशकीमती जमीन पर अवैध कब्जे का प्रकरण
लखनऊ। राजधानी के नवीउल्ला रोड स्थित कायस्थ छात्रावास की बेशकीमती जमीन पर भू-माफिया जब टीनशेड लगाकर अवैध कब्जा कर रहे थे, उस दौरान मौके पर मौजूद मित्र पुलिस के सिपहसलार मजदूरों को जल्द काम निपटाने का निर्देश दे रहे थे। देखते ही देखते एसएसपी कार्यालय के निकट स्थित छात्रावास की करोड़ों की जमीन पर रीवर बैंक चौकी प्रभारी की मौजूदगी में टीनशेड की चाहरदीवारी बनाकर अवैध कब्जा कर लिया गया। फिर शुरू हुआ राजधानी के एक चॢचत बिल्डर की धमकियों का दौर, जो अब तक जारी है। कायस्थ छात्रावास में रहने वाले छात्रों के पास मौजद रिकाॄडग में यह बिल्डर अपनी ऊंची पहुंच का गुणगान कर, छात्रों को खुलेआम धमकाते हुए सुना जा सकता है।
मामला वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में है। बावजूद इसके वह किस आसमानी शक्ति के समक्ष नतमस्तक हैं, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। जो सरकार-ए-सरजमीं लखनऊ की कानून-व्यवस्था के साथ ही राज्य सरकार की छवि को धूमिल कर रहा है। कायस्थ हॉस्टल में रह रहे छात्र आक्रोशित हैं। न्याय की उम्मीद में बीते दिनों सडक़ों पर उतरे छात्रों ने जिलाधिकारी आवास का घेराव कर नारेबाजी की। हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया। शांतिपूर्वक कैंडिल मार्च भी निकाला। बावजूद इसके अभी छात्रावास की भूमि पर भू-माफियाओं के गुर्गों का कब्जा है।
गौरतलब है कि राजधानी नवीउल्ला रोड स्थित ‘दि हरगोविन्द दयाल कायस्थ सोसाइटी’ द्वारा संचालित कायस्थ हास्टल का वर्ष १९३४ में कराया गया था। यह अवैध कब्जा होने से पूर्व तक हॉस्टल के 40 कमरों में लगभग 80 छात्र रह रहे थे। लेकिन बीते दिनों सुनियोजित रूट से पुसिल प्रशासन की मौजूदगी में हुए इस अवैध कब्जे के बाद टीनशेड लगाकर लगभग 10 कमरों को जमींदोज कर दिया गया। इतना ही नहीं जमींदोज किए गये हॉस्टल के कमरों का मलबा भी रातो-रात ठिकाने लगवा दिया गया।
जानकारों की मानें तो चूंकि मामला न्यायालय में है, ऐसी स्थिति में हॉस्टल के निर्माण में यथास्थिति बनाये रखना स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी होती है। इस संबंध में जब रिवर बैंक चौकी प्रभारी हंसराज सिंह से शिकायत की गई, तो उन्होंने कहा कि हॉस्टल के कमरों का मलबा गरीब मजदूर ले जा रहे हैं। पहले पुलिस की मौजूदगी में कायस्थ छात्रावास की बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा होना, फिर जमींदोज किये गये 10 कमरों के लाखों का सामान ईंट, दरवाजे-खिड़कियां आदि गायब होने देना, पुलिस की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर रहा है।
‘हम गली छुड़वाने गये थे’
इस बाबत रिवर बैंक पुलिस चौकी प्रभारी हंसराज सिंह का कहना है कि ‘कायस्थ हॉस्टल की जमीन का मामला दो समितियों के मध्य है। मामला न्यायालय में है। जब कब्जा हो रहा था, तो दूसरी समिति को आपत्ति करनी चाहिए थी। मौके पर किसी तरह की अशांति न हो, इस कारण हम लोग तो वहां शांति व्यवस्था बहाल करने गये थे।’ चौकी प्रभारी से जब यह पूछा गया कि क्या न्यायालय ने किसी समिति के पक्ष में आदेश सुनाया है, इस पर उनका जवाब था नहीं।