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घर में कितनी बिजली खर्च हुई बताएगा सेंसर

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मोबाइल से मिलेगी मीटर की एक्यूरेट रीडिंग की जानकारी

रीडिंग में हो रहे खेल पर लगेगा अंकुश, उपभोक्ताओं को मिलेगा सही बिल

लखनऊ। राजधानी के उपभोक्ताओं को सही रीडिंग का बिल मिल सके, इसके लिए लेसा प्रबंधन कई तरह की कोशिशों में लगा हुआ है। इस कड़ी में मध्यांचल प्रबंधन की ओर एक्यूरेट मीटर रीडिंग को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। नई व्यवस्था से साफ है कि मीटर रीडर का स्मार्ट मोबाइल मीटर की रीडिंग को स्टडी करेगा फिर उसके बेस पर उपभोक्ता को बिल दिया जाएगा। इस कदम में मोबाइल और मीटर के बीच सेंसर केबिल अहम भूमिका निभाएगी। जानकारी के अनुसार नई व्यवस्था के अंतर्गत बिजली बिल बनाने के लिए सेंसर लीड को मोबाइल व मीटर के बाहरी हिस्से में लगे सेंसर से जोड़ा जाएगा। इससे मौके पर ही मीटर से रीडिंग डाउनलोड होकर मोबाइल में आ जाएगी। जिसके बाद मीटर रीडर अपने पास रखी प्रिंटिंग मशीन से बिल की रसीद प्रिंट कर उपभोक्ता को देगा। इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उपभोक्ता को औसत बिलिंग का सामना नहीं करना पड़ेगा। उपभोक्ता को जो बिल मिलेगा, वो एक्यूरेट रीडिंग के हिसाब से होगा। जिससे उपभोक्ता के मन में रीडिंग को लेकर कोई सवाल नहीं खड़ा होगा। मीटर रीडर की ओर से भी रीडिंग लेते समय कोई खेल नहीं किया जा सकेगा। आम तौर पर देखने में आता है कि मैनुअल रीडिंग लेने के दौरान रीडिंग में कुछ अंतर आ जाता है, जिससे उपभोक्ता को निर्धारित से अधिक रीडिंग का बिल भरना पड़ता है। नई व्यवस्था से यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी। नई व्यवस्था को जल्द लागू करने के लिए इसका ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है। यह ट्रायल अपट्रॉन, चौक आदि डिवीजन में किया जा रहा है। सबसे पहले उन इलाकों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा, जहां बिजली चोरी अधिक है। अधिकारियों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी। उन्हें मौके पर ही एक्यूरेट रीडिंग के आधार पर बिल मिल जाएगा।

रीडिंग में हेर-फेर के मामले अधिक

लेसा में मीटर की रीडिंग में हेर-फेर के मामले अधिक हैं। खासकर पुराने लखनऊ के इलाके में इसकी तादात ज्यादा है। वहीं अन्य इलाके भी इससे अछूते नहीं है। यह पूरा खेल मीटर रीडरों और कर्मियों की मिलीभगत से होता है। उपभोक्ता का कम रीडिंग का बिल बनाकर रीडर मीटर में रीडिंग स्टोर कर देते हैं। जिसके बाद स्टोर रीडिंग का बिल देने से बचने के लिए लेन-देन की प्रक्रिया शुरू होती है। मीटर रीडरों का यह खेल लगभग हर डिवीजन में होता है। मीटर रीडर और विभागीय कर्मियों के कमाई का यह एक बड़ा जरिया है। नई व्यवस्था सुचारु रूप से संचालित हुई तो मीटर रीडिंग के खेल पर अंकुश लगना तय है।

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